वाराणसी: विश्व की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक शहरों में शुमार काशी में हल्की सर्दियां शुरू होते ही घाटों पर साइबेरियन पक्षी का आगमन शुरू हो जाता है. यह विदेशी पक्षी लगभग 2 से 4 महीने तक काशी के घाटों पर रहते हैं. यहां की शोभा बढ़ाते हैं. इसके साथ ही नौका विहार करने वाले लोगों के लिए ये पक्षी आकर्षक का केंद्र बन जाते हैं. जिसे देखने के लिए पूर्वांचल सहित बिहार व अन्य राज्यों के पर्यटक यहां आते हैं.
काशी में नवंबर माह के मध्य से ही साइबेरियन पक्षी गंगा की लहरों के बीच अठखेलियां करते हुए नजर आते हैं. यही कारण है कि काशी में नौका विहार करने वाले लोगों के लिए यह आकर्षण का केंद्र होता है. विशेषकर सैलानी भी इस समय काशी के घाटों का लुफ्त उठाने के लिए आते हैं.
नौका विहार करने वालों का कहना है कि अगर नौका विहार के समय इन पक्षियों को नजदीक से नहीं देखा तो नौका विहार अधूरा माना जाता है. लोग दाने लेकर पक्षियों को पास बुलाते हैं और कुछ समय इन विदेशी पक्षियों के साथ गुजारते हैं.
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वहीं, पक्षियों की चहचहाहट की आवाज तब तेज हो जाती है जब लोग उन्हें खाने को दाने देते हैं. यह पक्षी गुलाबी ठंड के आते ही काशी आ जाते हैं और मार्च के शुरू होते वापस लौट जाते हैं. इन पक्षियों के संबंध में काशी के नाभिक समाज का कहना है कि इन पक्षियों की वजह से नौका विहार करने वालों की संख्या में इजाफा होता है.
जिसके कारण नाभिक की रोजी-रोटी अच्छी चलती है. शंभू साहनी ने बताया कि चार महीने के लिए विदेशी पक्षी हमारे यहां आते हैं. जिनका नाम साइबेरियन बर्ड्स है. वहीं, इनके आने से हमारी रोजी-रोटी के साथ ही काशी का पर्यटन भी बढ़ जाता है.
पक्षियों की वजह से बाहर से आने वाले पर्यटक नाव बुक करते हैं और इन पंक्षियों को देने खिलाने के साथ ही सेल्फी लेते हैं. साइबेरियन पक्षी का इंतजार बनारस के लोग कई मायनों में करते हैं. बहुत से लोग फोटो शूट करने के लिए तो बहुत से लोग इनकी सेवा करने के लिए घाट पर सुबह से ही उमड़ने लगते हैं.
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