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विश्व पर्यटन दिवस पर मायूस है बनारस, नहीं दिख रहा पुराना रंग - tourism in varanasi

उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी में इस बार विश्व पर्यटन दिवस पर कुछ खास देखने को नहीं मिल रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह कोरोना का असर है. हर बार विश्व पर्यटन दिवस पर देश-विदेश से तमाम पर्यटक वाराणसी के पर्यटन स्थलों को देखने आते थे, लेकिन इस बार यहां सन्नाटा पसरा हुआ है.

पर्यटन स्थलों पर पसरा सन्नाटा.
पर्यटन स्थलों पर पसरा सन्नाटा.
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Published : Sep 27, 2020, 10:21 AM IST

वाराणसी: अतिथि देवो भवः, यानी मेहमान भगवान होता है. जिस भारत में मेहमानों को भगवान का दर्जा दिया जाता है और जब वहां से मेहमान रूठ जाएं तो निश्चित ही यही माना जाएगा कि भगवान ने मुंह फेर लिया है. ऐसे ही कुछ हालात धर्म नगरी काशी में भी देखने को मिल रही है. पर्यटन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश में सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले इस धार्मिक स्थल पर इस बार विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर मायूसी है.

मायूसी इसलिए क्योंकि हर साल विश्व पर्यटन दिवस पर काशी में न सिर्फ वृहद आयोजन होते थे, बल्कि यहां आने वाले सैलानियों को भव्यता और एक अलग नजारा देखने को मिलता था. वहीं इस बार कोविड-19 ने ऐसा कहर बरपाया है कि विश्व पर्यटन दिवस पर होने वाले सरकारी और गैर सरकारी आयोजन रद्द हैं. पर्यटक हैं नहीं तो फिर आयोजन कैसे, होटलों से लेकर गंगा घाट तक सब जगह सन्नाटा पसरा हुआ है. भले ही अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई हो, लेकिन बनारस में सैलानियों की आमद अभी भी न के बराबर है.

पर्यटन स्थलों पर पसरा सन्नाटा.

दरअसल, विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर काशी में पर्यटन विभाग पर्यटकों का स्वागत करने के साथ ही साथ कई सांस्कृतिक कार्यक्रम करता था. इसके लिए सरकारी बजट एलॉट होता था, लेकिन इस बार न बजट मिला और न सरकारी आयोजन होने की कोई उम्मीद है. हालात यह हैं कि पर्यटकों का न आना बनारस के कारोबार के लिए भी बेहद खराब है. खासतौर पर होटल कारोबारी तो मायूस हैं, क्योंकि न कमरे बुक हो रहे हैं और न ही हालात सुधरने की कोई उम्मीद नजर आ रही है. होटल कारोबारियों का कहना है कि हर बार विश्व पर्यटन दिवस पर हम पर्यटकों का स्वागत करते थे, लेकिन इस बार पर्यटक हैं ही नहीं, जिससे होटल कारोबार बेहद नुकसान में जा रहा है.

वहीं विश्व पर्यटन दिवस पर कोई आयोजन न होने पर पर्यटन विभाग का कहना है कि सरकारी नियमों के आधार पर कार्रवाई की जा रही है. पर्यटकों की आमद नहीं है, इसलिए वर्चुअल और डिजिटल तरीके से ही प्रचार-प्रसार और पर्यटकों से जुड़ने का प्रयास किया जा रहा है. इसके अलावा उम्मीद यही है कि स्थिति सुधरेगी. हालांकि अब होटलों में 10% पर्यटकों की आमद होना शुरू हो चुकी है, लेकिन जो संख्या हर साल इस मौके पर हजारों-लाखों में होती थी, वह अब महज सैकड़ों में है.

वहीं पर्यटक भी बेहद मायूस हैं. पर्यटकों का कहना है कि बनारस का एक अलग रंग देखने को मिलता था, लेकिन बनारस आकर भी यह महसूस ही नहीं हो रहा कि हम बनारस में हैं. गंगा आरती सिर्फ परंपरा के लिए हो रही है. नौकाओं का संचालन भी पूरी तरह से नहीं है. घाटों पर सन्नाटा है, बाजार में रौनक नहीं है. कुल मिलाकर बनारस का वह रंग देखने को नहीं मिल रहा जो पहले देखने को मिलता था. यानी विश्व पर्यटन दिवस पर इस बार बनारस मायूस है.

एक नजर में वाराणसी का पर्यटन...

  • बनारस में कुल 350 से ज्यादा होटल, गेस्ट हाउस और लॉज हैं.
  • वर्तमान समय में पूरी तरह से लगभग 180 से ज्यादा होटल, लॉज और गेस्ट हाउस संचालित हो रहे हैं.
  • बनारस में गंगा घाट मंदिर, सारनाथ, बीएचयू समेत तमाम पर्यटन स्थल महत्वपूर्ण हैं.
  • हर साल विश्व पर्यटन दिवस पर पर्यटकों का एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, होटल और पर्यटन स्थलों पर भव्य स्वागत के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता था.
  • इस बार पर्यटन विभाग को न सरकारी बजट मिला न ऐसा आयोजन का प्लान बना.

आंकड़ों में हाल इस साल 2020

महीनाविदेशी सैलानीघरेलू सैलानी
जनवरी30156255015
फरवरी35202268260
मार्च33603293076
अप्रैल0000
मई0000
जून001384
जुलाई001926
अगस्त002859

वाराणसी: अतिथि देवो भवः, यानी मेहमान भगवान होता है. जिस भारत में मेहमानों को भगवान का दर्जा दिया जाता है और जब वहां से मेहमान रूठ जाएं तो निश्चित ही यही माना जाएगा कि भगवान ने मुंह फेर लिया है. ऐसे ही कुछ हालात धर्म नगरी काशी में भी देखने को मिल रही है. पर्यटन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश में सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले इस धार्मिक स्थल पर इस बार विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर मायूसी है.

मायूसी इसलिए क्योंकि हर साल विश्व पर्यटन दिवस पर काशी में न सिर्फ वृहद आयोजन होते थे, बल्कि यहां आने वाले सैलानियों को भव्यता और एक अलग नजारा देखने को मिलता था. वहीं इस बार कोविड-19 ने ऐसा कहर बरपाया है कि विश्व पर्यटन दिवस पर होने वाले सरकारी और गैर सरकारी आयोजन रद्द हैं. पर्यटक हैं नहीं तो फिर आयोजन कैसे, होटलों से लेकर गंगा घाट तक सब जगह सन्नाटा पसरा हुआ है. भले ही अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई हो, लेकिन बनारस में सैलानियों की आमद अभी भी न के बराबर है.

पर्यटन स्थलों पर पसरा सन्नाटा.

दरअसल, विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर काशी में पर्यटन विभाग पर्यटकों का स्वागत करने के साथ ही साथ कई सांस्कृतिक कार्यक्रम करता था. इसके लिए सरकारी बजट एलॉट होता था, लेकिन इस बार न बजट मिला और न सरकारी आयोजन होने की कोई उम्मीद है. हालात यह हैं कि पर्यटकों का न आना बनारस के कारोबार के लिए भी बेहद खराब है. खासतौर पर होटल कारोबारी तो मायूस हैं, क्योंकि न कमरे बुक हो रहे हैं और न ही हालात सुधरने की कोई उम्मीद नजर आ रही है. होटल कारोबारियों का कहना है कि हर बार विश्व पर्यटन दिवस पर हम पर्यटकों का स्वागत करते थे, लेकिन इस बार पर्यटक हैं ही नहीं, जिससे होटल कारोबार बेहद नुकसान में जा रहा है.

वहीं विश्व पर्यटन दिवस पर कोई आयोजन न होने पर पर्यटन विभाग का कहना है कि सरकारी नियमों के आधार पर कार्रवाई की जा रही है. पर्यटकों की आमद नहीं है, इसलिए वर्चुअल और डिजिटल तरीके से ही प्रचार-प्रसार और पर्यटकों से जुड़ने का प्रयास किया जा रहा है. इसके अलावा उम्मीद यही है कि स्थिति सुधरेगी. हालांकि अब होटलों में 10% पर्यटकों की आमद होना शुरू हो चुकी है, लेकिन जो संख्या हर साल इस मौके पर हजारों-लाखों में होती थी, वह अब महज सैकड़ों में है.

वहीं पर्यटक भी बेहद मायूस हैं. पर्यटकों का कहना है कि बनारस का एक अलग रंग देखने को मिलता था, लेकिन बनारस आकर भी यह महसूस ही नहीं हो रहा कि हम बनारस में हैं. गंगा आरती सिर्फ परंपरा के लिए हो रही है. नौकाओं का संचालन भी पूरी तरह से नहीं है. घाटों पर सन्नाटा है, बाजार में रौनक नहीं है. कुल मिलाकर बनारस का वह रंग देखने को नहीं मिल रहा जो पहले देखने को मिलता था. यानी विश्व पर्यटन दिवस पर इस बार बनारस मायूस है.

एक नजर में वाराणसी का पर्यटन...

  • बनारस में कुल 350 से ज्यादा होटल, गेस्ट हाउस और लॉज हैं.
  • वर्तमान समय में पूरी तरह से लगभग 180 से ज्यादा होटल, लॉज और गेस्ट हाउस संचालित हो रहे हैं.
  • बनारस में गंगा घाट मंदिर, सारनाथ, बीएचयू समेत तमाम पर्यटन स्थल महत्वपूर्ण हैं.
  • हर साल विश्व पर्यटन दिवस पर पर्यटकों का एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, होटल और पर्यटन स्थलों पर भव्य स्वागत के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता था.
  • इस बार पर्यटन विभाग को न सरकारी बजट मिला न ऐसा आयोजन का प्लान बना.

आंकड़ों में हाल इस साल 2020

महीनाविदेशी सैलानीघरेलू सैलानी
जनवरी30156255015
फरवरी35202268260
मार्च33603293076
अप्रैल0000
मई0000
जून001384
जुलाई001926
अगस्त002859
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