वाराणसी: सनातन धर्म में अक्षय पुण्य काल की कामना के लिए मनाए जाने वाला पर्व अक्षय तृतीया आज मनाया जाएगा. वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन इस पर्व को मनाए जाने की परंपरा है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए यह दिन विशेष माना जाता है.
सबसे बड़ी बात यह है कि सौभाग्य और सुख संपदा देने वाला यह विशेष पर्व इस बार सौभाग्य योग एवं रोहिणी नक्षत्र के अनुपम संयोग के साथ पड़ा है, जिसमें श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करना विशेष फलदाई होगा. तो क्या है अक्षय पर्व का महत्व और कैसे करें विधि विधान से श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन, आप भी जानिए-
इस तिथि में बन रहा रोहिणी नक्षत्र का अनूठा संयोग
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पांडे का कहना है कि अक्षय तृतीया पुण्य फल की कामना के संग मनाया जाने वाला पर्व अक्षय तृतीया मंगलवार को मनाया जाएगा. सोमवार की अर्धरात्रि के बाद 3:18 पर तृतीया तिथि लगेगी, जो अगले दिन 7 मई मंगलवार को अर्धरात्रि के पश्चात 2:17 तक रहेगी. इस दिन रोहिणी नक्षत्र 7 मई शाम 4:27 तक रहेगा. इसलिए तृतीया तिथि में रोहिणी नक्षत्र का अनूठा संयोग बन रहा है, जो कि पूजा अर्चना के लिए विशेष पुण्य फलदाई है. श्री भगवान हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए व्रत और उपवास रखकर इन का विधि-विधान से पूजन-अर्चन करना विशेष फलदाई माना जाता है. पंडित विनय पांडे का कहना है कि अक्षय का वास्तविक अर्थ कभी न नष्ट होने वाला होता है, इस दिन किया गया पुण्य दान कभी भी नष्ट नहीं होता और ईश्वर की कृपा हमेशा बनी रहती है.
सभी तीर्थों का फल होता है प्राप्त
ज्योतिषी विमल जैन का कहना है कि धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, अक्षय तृतीया का व्रत जो भी व्यक्ति करता है, उसे सभी तीर्थों का फल प्राप्त होता है. इस दिन परशुराम जयंती भी मनाई जाती है. अक्षय तृतीया के दिन मनुष्य के कोटि-कोटि जन्म के तन-मन-वचन से किए गए महापाप भी नष्ट हो जाते हैं. इस दिन श्री हरि विष्णु को बुने हुए सत्तू से निर्मित नैवेद्य अर्पित करके धूप-दीप के साथ उनकी पूजा अर्चना करनी चाहिए. पूजा-अर्चना के बाद जल से भरे हुए मिट्टी के घड़े या कलश को नए वस्त्रों से सजाकर, खड़ाऊं, छाता, चावल, दही, सत्तू, खरबूजा, तरबूज, गेहूं, चना और गुड़ इत्यादि वस्तुओं के साथ दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
जरूरी है श्री हरि विष्णु का पूजन और माता लक्ष्मी की आराधना
अक्षय तृतीया को लेकर मान्यता है कि इस दिन किसी स्वर्ण या रजत आभूषण को खरीदना फलदाई होता है, लेकिन ऐसी बात शास्त्र-सम्मत नहीं मानी जाती. हां, यह जरूर है कि अक्षय तृतीया का दिन शुभ दिन होता है. इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना किसी मुहूर्त को देखे किया जा सकता है और मांगलिक आयोजन भी किए जा सकते हैं. लेकिन इस दिन किसी नई वस्तु का खरीदना जरूरी नहीं होता. जरूरी होता है तो श्री हरि विष्णु का पूजन और माता लक्ष्मी की आराधना के साथ दान और पुण्य करना.