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काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन की तीसरी कड़ी का किया आयोजन

यूपी के वाराणसी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन की तीसरी कड़ी का आयोजन किया. राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन का शुभारंभ आशेष नारायण मिश्र के तबला वादन से हुआ.

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राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन का आयोजन.
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Published : Jun 24, 2020, 1:58 AM IST

वाराणसी: जनपद के काशी हिंदू विश्वविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में 'आत्मनिर्भर भारत: जागे युवा-जागे भारत' कार्यक्रम श्रृंखला में तृतीय ऑनलाइन राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन का आयोजन हुआ. राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन का उद्घाटन राजीव गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, ईटानगर, अरुणांचल प्रदेश के कुलपति साकेत कुशवाहा ने किया.

राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन का शुभारंभ आशेष नारायण मिश्र के तबला वादन से हुआ. तबले पर तीन ताल में बनारस घराना पद्धति से उठान, कायदा, रेला और कुछ प्राचीन बंदिशों की प्रस्तुति हुई. इसके उपरांत पुणे के युवा कलाकार पूर्णेश भागवत ने शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति की.

गायन के आरंभ में दो बंदिशें मध्य लय, एक तीन ताल और द्रुत एक ताल में प्रस्तुत कर कार्यक्रम का समापन बनारसी दादरा से किया गया. अंतिम प्रस्तुति के रूप वाराणसी के युवा कलाकार प्रांजल सिंह ने राग यमन में अलाप, मध्य लय और द्रुत में बांसुरी वादन की प्रस्तुति की.

प्रोफेसर साकेत कुशवाहा अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि युवाओं को अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने और भारतीय संस्कृति को ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम’ के माध्यम से भारत भर के विभिन्न राज्यों में युवाओं तक पहुंचाने का यह एक महत्वपूर्ण प्रयास है. उन्होंने इस वक्त ऐसे ऑनलाइन कार्यक्रमों के आयोजन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि ऐसे में युवा एक दूसरे की संस्कृति से जुड़कर सृजनशीलता का परिचय दे रहे हैं.

विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने संबोधन में भारत सरकार युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय राष्ट्रीय सेवा योजना के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. अशोक श्रोती ने कहा कि भारतीय शास्त्रीय संगीत दुनिया भर में एक प्रभावशाली संगीत है. इसके माध्यम से वैज्ञानिक और चिकित्सक असाध्य रोगों की चिकित्सा हेतु उसके प्रयोग पर शोध कर रहे हैं. उन्होंने युवाओं से शास्त्रीय संगीत को सुनने का आह्वान किया.

वाराणसी: जनपद के काशी हिंदू विश्वविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में 'आत्मनिर्भर भारत: जागे युवा-जागे भारत' कार्यक्रम श्रृंखला में तृतीय ऑनलाइन राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन का आयोजन हुआ. राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन का उद्घाटन राजीव गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, ईटानगर, अरुणांचल प्रदेश के कुलपति साकेत कुशवाहा ने किया.

राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन का शुभारंभ आशेष नारायण मिश्र के तबला वादन से हुआ. तबले पर तीन ताल में बनारस घराना पद्धति से उठान, कायदा, रेला और कुछ प्राचीन बंदिशों की प्रस्तुति हुई. इसके उपरांत पुणे के युवा कलाकार पूर्णेश भागवत ने शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति की.

गायन के आरंभ में दो बंदिशें मध्य लय, एक तीन ताल और द्रुत एक ताल में प्रस्तुत कर कार्यक्रम का समापन बनारसी दादरा से किया गया. अंतिम प्रस्तुति के रूप वाराणसी के युवा कलाकार प्रांजल सिंह ने राग यमन में अलाप, मध्य लय और द्रुत में बांसुरी वादन की प्रस्तुति की.

प्रोफेसर साकेत कुशवाहा अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि युवाओं को अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने और भारतीय संस्कृति को ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम’ के माध्यम से भारत भर के विभिन्न राज्यों में युवाओं तक पहुंचाने का यह एक महत्वपूर्ण प्रयास है. उन्होंने इस वक्त ऐसे ऑनलाइन कार्यक्रमों के आयोजन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि ऐसे में युवा एक दूसरे की संस्कृति से जुड़कर सृजनशीलता का परिचय दे रहे हैं.

विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने संबोधन में भारत सरकार युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय राष्ट्रीय सेवा योजना के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. अशोक श्रोती ने कहा कि भारतीय शास्त्रीय संगीत दुनिया भर में एक प्रभावशाली संगीत है. इसके माध्यम से वैज्ञानिक और चिकित्सक असाध्य रोगों की चिकित्सा हेतु उसके प्रयोग पर शोध कर रहे हैं. उन्होंने युवाओं से शास्त्रीय संगीत को सुनने का आह्वान किया.

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