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ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग का मुद्दा विश्वनाथ मंदिर न्यास की बैठक में उठेगा, ये भी मांग उठाएंगे

विश्वनाथ मंदिर न्याय की बैठक में जल्द ही ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग का मुद्दा उठाया जाएगा. इसके साथ ही शिवलिंग की पूजा-अर्चना से जुड़ी मांग भी उठाई जाएगी.

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श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के सदस्य पंडित प्रसाद दीक्षित यह बोले.
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Published : Jun 2, 2022, 5:12 PM IST

वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामला ठंडा होने का नाम ही नहीं ले रहा है. हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष अपने-अपने दावे करके न्यायालय के फैसले से पहले ही अपने फैसले सुना रहे हैं, कोई उसे शिवलिंग बताकर वहां जलाभिषेक की तैयारी कर रहा है तो कोई उसे फव्वारा बताकर बेवजह मामले को तूल देने के आरोप लगा रहा है. इन सब के बीच अब इस पूरे मामले को श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद की बैठक में उठाए जाने की तैयारी भी कर ली गई है. ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के सदस्य पंडित प्रसाद दीक्षित ने यह स्वीकार किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वजू खाने में जो पत्थर मिला है वह शिवलिंग है और उस शिवलिंग के पूजा का अधिकार न्यास परिषद मांगेगा और इतना ही नहीं इस पूरे मामले को इस माह होने वाली न्यास परिषद की बैठक में भी उठाया जाएगा.


ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में पंडित प्रसाद दीक्षित ने कहा कि लोग कहते हैं कि 1669 में औरंगजेब ने मस्जिद का निर्माण करवाया लेकिन वहां मंदिर था ही नहीं मैं उन लोगों से पूछना चाहता हूं कि जो यह दावा कर रहे हैं क्या उस वक्त वह वहां मौजूद थे, मौजूद तो हम भी नहीं थे, लेकिन वहां पर मंदिरों के निशान दीवारें चीख-चीख कर कह रही हैं, कि यहां पर मंदिर था और मंदिर ही रहेगा.

श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के सदस्य पंडित प्रसाद दीक्षित यह बोले.
इस बात को बेवजह तूल देने की कोशिश की जा रही है. उनका कहना था कि वजू खाने के अंदर जो मिला है वह शिवलिंग ही है मैं यह गारंटी के साथ कह रहा हूं. उसका रंग आदि सब कुछ यह स्पष्ट कर रही है कि वह शिवलिंग है. यह बात अच्छे से हिंदू भाइयों के साथ मुस्लिम भाई भी जानते हैं लेकिन वह कहने से डर रहे हैं. इसलिए अब यह मुद्दा हिंदुओं की आस्था से जुड़ा मामला है इसलिए अब न्यास परिषद इस मामले में दखल करेगा. न्यास परिषद पहले से ही न्यास अध्यक्ष की अगुवाई में इस मामले को लेकर मुखर है और हम इस शिवलिंग के पूजा के अधिकार के लिए कोर्ट में जाने की भी तैयारी कर चुके हैं.जल्द ही न्यास परिषद की इस माह होने वाली बैठक में भी बैठक के एजेंडे के तौर पर इस मामले को उठाया जाएगा. हम यह मांग रहे हैं कि विश्वनाथ मंदिर की तरफ से एक पुजारी की नियुक्ति यहां पर की जाए और वह सुबह-शाम दोनों वक्त जाकर भगवान भोलेनाथ को गंगा जल अर्पित करें. उनकी आराधना पूजा संपन्न करें आरती करें भोग लगाएं यह आवश्यक है क्योंकि जब तक हमें यह नहीं पता था कि वहां शिवलिंग है, तब तक की बात अलग थी लेकिन अब जब यह जानकारी हो गई है कि वहां शिवलिंग मौजूद है तो उसकी नियमित पूजा आराधना न होना उन पर गंगाजल अर्पित ना होना यह सनातन धर्म के लोगों को पाप का भागी बनाएगा.

हम इस बार न्यास परिषद की बैठक में इस मामले को गंभीरता से उठाएंगे और हमारी मांग है कि न्यास परिषद के नेतृत्व में शिवलिंग की देखरेख की जिम्मेदारी बाबा विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह के पुजारियों और अर्चकों को सौंपी जाए. हम यह नहीं कहते हैं कि अंदर दर्शन की अनुमति दी जाए और भीड़-भाड़ इकट्ठा की जाए बस एक पुजारी जाए पूजा करे और वापस आ जाए, इसके अतिरिक्त हमें कुछ नहीं चाहिए. जब तक न्यायालय में मामला है तब तक यह कार्य नियमित रूप से जारी रहना चाहिए.

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वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामला ठंडा होने का नाम ही नहीं ले रहा है. हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष अपने-अपने दावे करके न्यायालय के फैसले से पहले ही अपने फैसले सुना रहे हैं, कोई उसे शिवलिंग बताकर वहां जलाभिषेक की तैयारी कर रहा है तो कोई उसे फव्वारा बताकर बेवजह मामले को तूल देने के आरोप लगा रहा है. इन सब के बीच अब इस पूरे मामले को श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद की बैठक में उठाए जाने की तैयारी भी कर ली गई है. ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के सदस्य पंडित प्रसाद दीक्षित ने यह स्वीकार किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वजू खाने में जो पत्थर मिला है वह शिवलिंग है और उस शिवलिंग के पूजा का अधिकार न्यास परिषद मांगेगा और इतना ही नहीं इस पूरे मामले को इस माह होने वाली न्यास परिषद की बैठक में भी उठाया जाएगा.


ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में पंडित प्रसाद दीक्षित ने कहा कि लोग कहते हैं कि 1669 में औरंगजेब ने मस्जिद का निर्माण करवाया लेकिन वहां मंदिर था ही नहीं मैं उन लोगों से पूछना चाहता हूं कि जो यह दावा कर रहे हैं क्या उस वक्त वह वहां मौजूद थे, मौजूद तो हम भी नहीं थे, लेकिन वहां पर मंदिरों के निशान दीवारें चीख-चीख कर कह रही हैं, कि यहां पर मंदिर था और मंदिर ही रहेगा.

श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के सदस्य पंडित प्रसाद दीक्षित यह बोले.
इस बात को बेवजह तूल देने की कोशिश की जा रही है. उनका कहना था कि वजू खाने के अंदर जो मिला है वह शिवलिंग ही है मैं यह गारंटी के साथ कह रहा हूं. उसका रंग आदि सब कुछ यह स्पष्ट कर रही है कि वह शिवलिंग है. यह बात अच्छे से हिंदू भाइयों के साथ मुस्लिम भाई भी जानते हैं लेकिन वह कहने से डर रहे हैं. इसलिए अब यह मुद्दा हिंदुओं की आस्था से जुड़ा मामला है इसलिए अब न्यास परिषद इस मामले में दखल करेगा. न्यास परिषद पहले से ही न्यास अध्यक्ष की अगुवाई में इस मामले को लेकर मुखर है और हम इस शिवलिंग के पूजा के अधिकार के लिए कोर्ट में जाने की भी तैयारी कर चुके हैं.जल्द ही न्यास परिषद की इस माह होने वाली बैठक में भी बैठक के एजेंडे के तौर पर इस मामले को उठाया जाएगा. हम यह मांग रहे हैं कि विश्वनाथ मंदिर की तरफ से एक पुजारी की नियुक्ति यहां पर की जाए और वह सुबह-शाम दोनों वक्त जाकर भगवान भोलेनाथ को गंगा जल अर्पित करें. उनकी आराधना पूजा संपन्न करें आरती करें भोग लगाएं यह आवश्यक है क्योंकि जब तक हमें यह नहीं पता था कि वहां शिवलिंग है, तब तक की बात अलग थी लेकिन अब जब यह जानकारी हो गई है कि वहां शिवलिंग मौजूद है तो उसकी नियमित पूजा आराधना न होना उन पर गंगाजल अर्पित ना होना यह सनातन धर्म के लोगों को पाप का भागी बनाएगा.

हम इस बार न्यास परिषद की बैठक में इस मामले को गंभीरता से उठाएंगे और हमारी मांग है कि न्यास परिषद के नेतृत्व में शिवलिंग की देखरेख की जिम्मेदारी बाबा विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह के पुजारियों और अर्चकों को सौंपी जाए. हम यह नहीं कहते हैं कि अंदर दर्शन की अनुमति दी जाए और भीड़-भाड़ इकट्ठा की जाए बस एक पुजारी जाए पूजा करे और वापस आ जाए, इसके अतिरिक्त हमें कुछ नहीं चाहिए. जब तक न्यायालय में मामला है तब तक यह कार्य नियमित रूप से जारी रहना चाहिए.

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