वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामला ठंडा होने का नाम ही नहीं ले रहा है. हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष अपने-अपने दावे करके न्यायालय के फैसले से पहले ही अपने फैसले सुना रहे हैं, कोई उसे शिवलिंग बताकर वहां जलाभिषेक की तैयारी कर रहा है तो कोई उसे फव्वारा बताकर बेवजह मामले को तूल देने के आरोप लगा रहा है. इन सब के बीच अब इस पूरे मामले को श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद की बैठक में उठाए जाने की तैयारी भी कर ली गई है. ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के सदस्य पंडित प्रसाद दीक्षित ने यह स्वीकार किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वजू खाने में जो पत्थर मिला है वह शिवलिंग है और उस शिवलिंग के पूजा का अधिकार न्यास परिषद मांगेगा और इतना ही नहीं इस पूरे मामले को इस माह होने वाली न्यास परिषद की बैठक में भी उठाया जाएगा.
ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में पंडित प्रसाद दीक्षित ने कहा कि लोग कहते हैं कि 1669 में औरंगजेब ने मस्जिद का निर्माण करवाया लेकिन वहां मंदिर था ही नहीं मैं उन लोगों से पूछना चाहता हूं कि जो यह दावा कर रहे हैं क्या उस वक्त वह वहां मौजूद थे, मौजूद तो हम भी नहीं थे, लेकिन वहां पर मंदिरों के निशान दीवारें चीख-चीख कर कह रही हैं, कि यहां पर मंदिर था और मंदिर ही रहेगा.
हम इस बार न्यास परिषद की बैठक में इस मामले को गंभीरता से उठाएंगे और हमारी मांग है कि न्यास परिषद के नेतृत्व में शिवलिंग की देखरेख की जिम्मेदारी बाबा विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह के पुजारियों और अर्चकों को सौंपी जाए. हम यह नहीं कहते हैं कि अंदर दर्शन की अनुमति दी जाए और भीड़-भाड़ इकट्ठा की जाए बस एक पुजारी जाए पूजा करे और वापस आ जाए, इसके अतिरिक्त हमें कुछ नहीं चाहिए. जब तक न्यायालय में मामला है तब तक यह कार्य नियमित रूप से जारी रहना चाहिए.
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