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Tauktae Cyclone : आंसू और उम्मीद से भरी आंखों को है यकीं, लौटेगा बेटा

यतींद्र विक्रम सिंह के परिजनों को आज भी उनके लौट आने का इंतजार है. यतींद्र विक्रम सिंह तौकते तूफान के वक्त 18 मई से लापता हैं. वह पिछले 15 वर्षों से मुंबई में एक प्राइवेट शिपिंग कॉर्पोरेशन में नौकरी कर रहे थे.

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varanasi
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Published : May 27, 2021, 11:01 PM IST

वाराणसी: बीते दिनों मुंबई गुजरात समेत कई हिस्सों में तौकते तूफान का कहर देखने को मिला. इस तूफान ने महाराष्ट्र में बड़ी तबाही मचाई. इस तबाही में कितने लापता हुए, कितनों के घर उजड़ गए और कितने अब तक अपने घर वालों से दूर हैं. इन सबके बीच चंदौली जिले के हिंगुतगढ़ के रहने वाले एक मरीन कंपनी में बतौर चीफ ऑफिसर काम कर रहे यतींद्र विक्रम सिंह बीते 18 मई से लापता हैं. यतींद्र एक प्राइवेट शिपिंग कॉरपोरेशन में पोस्टेड थे. 15 सालों से मुंबई में नौकरी कर रहे यतींद्र ने 18 तारीख से एक दिन पहले यानि 17 तारीख की रात अपनी पत्नी रजनी से आखिरी बार फोन पर बातचीत की थी. समुद्र में शिप पर रहते हुए उन्होंने नेटवर्क की समस्या होने की वजह से फोन नहीं लग पाने के कारण दो-तीन दिनों तक बात ना हो पाने के लिए भी कहा था. लेकिन, तब किसी को क्या पता था कि यह कॉल उनके जीवन की आखिरी कॉल हो जाएगी.

वीडियो रिपोर्ट

डीएनए से होगी शवों की पहचान

18 मई के बाद से यतीन्द्र अपने शिप पर तैनात 11 अन्य कर्मचारियों के साथ लापता हैं. इस शिप पर कुल 13 लोग तैनात थे, जिनमें कैप्टन, कुक के साथ अन्य लोग भी थे. अब तक 2 लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है जबकि 11 में से 3 लाशें बरामद हुई हैं. यह लाशें किसकी हैं, इसका पता अभी नहीं लग सका है. क्योंकि समुद्र में रहने की वजह से लाशें इतनी ज्यादा डिकंपोज्ड हो चुकी हैं कि उनकी पहचान के लिए यतीन्द्र के बड़े भाई मुंबई डीएनए सैंपल देने के लिए गए हैं. यतींद्र की पत्नी रजनी, छोटी बेटी समेत मां को अब भी उनके वापस आने का इंतजार है.




4 साल की बेटी को पापा का इंतजार

यतींद्र के परिवार में मातम का माहौल है. मां और पत्नी रो-रोकर बेहाल हैं और छोटी बेटी जो 9 महीने की है, वह तो अब तक अपने पिता की शक्ल भी नहीं देख सकी है. बड़ी बेटी सभ्या सिंह इन बातों से अनजान है. परिवार के अन्य सदस्यों का कहना है कि आज लगभग 10 दिन होने जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में जब इतना भीषण तूफान आया हो और 11 में से 3 लोगों की लाशें बरामद हुई हों तो उम्मीद ना के बराबर है.

पीएम, रक्षा मंत्री सब से लगा रहे गुहार

फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, इंडियन नेवी, कोस्ट गार्ड समेत डीजी शिप तक से ट्विटर के जरिए यतींद्र के साले गौरव सिंह ने गुहार लगाई है, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है. वहीं इस तूफान की शुरुआत के समय का दो वीडियो जो यतींद्र ने अपने परिवार को भेजा था, वह भी परिवार के पास मौजूद है. वीडियो में तौकते तूफान की भयावहता साफ दिखाई दे रही है.


कंपनी ने दिखाया अमानवीय रुख

यतीन्द्र के बड़े भाई शैलेंद्र का कहना है कि यतींद्र 15 सालों से शिपिंग कंपनी में काम कर रहे थे. उस जिस मालवाहक जहाज पर वह तैनात हैं, उसका नाम ओसियन 303 है और उसके 11 लोग लापता हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि जिस दिन यतींद्र लापता हुए उसके कम से कम 3 दिनों तक शिपिंग कंपनी के मालिक यह मानने को तैयार ही नहीं थे कि उनका जहाज डूबा है और कर्मचारी लापता हैं. 2 दिन बाद एक मैनेजर के जरिए बातचीत आगे बढ़ी तो उन्होंने स्वीकार किया कि जहाज डूब गया है. शैलेंद्र का कहना है कि कंपनी ने बहुत ही गैर जिम्मेदाराना तरीके से पूरे प्रकरण को देखा है. उनका भाई अब तक लापता है. जिंदा है या नहीं यह भी नहीं पता. लेकिन, कंपनी के लोग ना कोई जवाब दे रहे हैं, ना ही मदद के लिए आगे आ रहे हैं. इसलिए अब यह बेहद जरूरी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमारी मदद करें और हमारे भाई का पता लगाकर यदि वह जिंदा है तो उसे घर भेजें यदि वह नहीं बचा है तो कम से कम उसका शव ही हमें मिल जाए, ताकि हम अच्छे से अंतिम संस्कार तो कर सकें. उम्मीद की रोशनी तो तौकते तूफान के साथ ही बुझ चुकी है, लेकिन दिल को समझाना इतना आसान नहीं होता. एक तूफान तो आकर चला गया लेकिन उसकी टीस बरसों तलक बाकी रहेगी.


इसे भी पढ़ें - तूफान 'यास' को लेकर वाराणसी में अलर्ट, नावों को किया जा रहा सुरक्षित

वाराणसी: बीते दिनों मुंबई गुजरात समेत कई हिस्सों में तौकते तूफान का कहर देखने को मिला. इस तूफान ने महाराष्ट्र में बड़ी तबाही मचाई. इस तबाही में कितने लापता हुए, कितनों के घर उजड़ गए और कितने अब तक अपने घर वालों से दूर हैं. इन सबके बीच चंदौली जिले के हिंगुतगढ़ के रहने वाले एक मरीन कंपनी में बतौर चीफ ऑफिसर काम कर रहे यतींद्र विक्रम सिंह बीते 18 मई से लापता हैं. यतींद्र एक प्राइवेट शिपिंग कॉरपोरेशन में पोस्टेड थे. 15 सालों से मुंबई में नौकरी कर रहे यतींद्र ने 18 तारीख से एक दिन पहले यानि 17 तारीख की रात अपनी पत्नी रजनी से आखिरी बार फोन पर बातचीत की थी. समुद्र में शिप पर रहते हुए उन्होंने नेटवर्क की समस्या होने की वजह से फोन नहीं लग पाने के कारण दो-तीन दिनों तक बात ना हो पाने के लिए भी कहा था. लेकिन, तब किसी को क्या पता था कि यह कॉल उनके जीवन की आखिरी कॉल हो जाएगी.

वीडियो रिपोर्ट

डीएनए से होगी शवों की पहचान

18 मई के बाद से यतीन्द्र अपने शिप पर तैनात 11 अन्य कर्मचारियों के साथ लापता हैं. इस शिप पर कुल 13 लोग तैनात थे, जिनमें कैप्टन, कुक के साथ अन्य लोग भी थे. अब तक 2 लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है जबकि 11 में से 3 लाशें बरामद हुई हैं. यह लाशें किसकी हैं, इसका पता अभी नहीं लग सका है. क्योंकि समुद्र में रहने की वजह से लाशें इतनी ज्यादा डिकंपोज्ड हो चुकी हैं कि उनकी पहचान के लिए यतीन्द्र के बड़े भाई मुंबई डीएनए सैंपल देने के लिए गए हैं. यतींद्र की पत्नी रजनी, छोटी बेटी समेत मां को अब भी उनके वापस आने का इंतजार है.




4 साल की बेटी को पापा का इंतजार

यतींद्र के परिवार में मातम का माहौल है. मां और पत्नी रो-रोकर बेहाल हैं और छोटी बेटी जो 9 महीने की है, वह तो अब तक अपने पिता की शक्ल भी नहीं देख सकी है. बड़ी बेटी सभ्या सिंह इन बातों से अनजान है. परिवार के अन्य सदस्यों का कहना है कि आज लगभग 10 दिन होने जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में जब इतना भीषण तूफान आया हो और 11 में से 3 लोगों की लाशें बरामद हुई हों तो उम्मीद ना के बराबर है.

पीएम, रक्षा मंत्री सब से लगा रहे गुहार

फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, इंडियन नेवी, कोस्ट गार्ड समेत डीजी शिप तक से ट्विटर के जरिए यतींद्र के साले गौरव सिंह ने गुहार लगाई है, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है. वहीं इस तूफान की शुरुआत के समय का दो वीडियो जो यतींद्र ने अपने परिवार को भेजा था, वह भी परिवार के पास मौजूद है. वीडियो में तौकते तूफान की भयावहता साफ दिखाई दे रही है.


कंपनी ने दिखाया अमानवीय रुख

यतीन्द्र के बड़े भाई शैलेंद्र का कहना है कि यतींद्र 15 सालों से शिपिंग कंपनी में काम कर रहे थे. उस जिस मालवाहक जहाज पर वह तैनात हैं, उसका नाम ओसियन 303 है और उसके 11 लोग लापता हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि जिस दिन यतींद्र लापता हुए उसके कम से कम 3 दिनों तक शिपिंग कंपनी के मालिक यह मानने को तैयार ही नहीं थे कि उनका जहाज डूबा है और कर्मचारी लापता हैं. 2 दिन बाद एक मैनेजर के जरिए बातचीत आगे बढ़ी तो उन्होंने स्वीकार किया कि जहाज डूब गया है. शैलेंद्र का कहना है कि कंपनी ने बहुत ही गैर जिम्मेदाराना तरीके से पूरे प्रकरण को देखा है. उनका भाई अब तक लापता है. जिंदा है या नहीं यह भी नहीं पता. लेकिन, कंपनी के लोग ना कोई जवाब दे रहे हैं, ना ही मदद के लिए आगे आ रहे हैं. इसलिए अब यह बेहद जरूरी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमारी मदद करें और हमारे भाई का पता लगाकर यदि वह जिंदा है तो उसे घर भेजें यदि वह नहीं बचा है तो कम से कम उसका शव ही हमें मिल जाए, ताकि हम अच्छे से अंतिम संस्कार तो कर सकें. उम्मीद की रोशनी तो तौकते तूफान के साथ ही बुझ चुकी है, लेकिन दिल को समझाना इतना आसान नहीं होता. एक तूफान तो आकर चला गया लेकिन उसकी टीस बरसों तलक बाकी रहेगी.


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