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कोरोना के बाद ब्लैक फंगस से जूझ रही काशी, जानें कैसे रहें सुरक्षित

कोरोना वायरस का कहर थमा भी नहीं है कि एक और बीमारी ब्लैक फंगस ने दस्तक दे दी. इस बीमारी के लक्षण क्या है और इससे कैसे बचा जाए, इसको लेकर ईटीवी भारत ने शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय चिकित्सालय के वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर शशि भूषण उपाध्याय से बातचीत की. देखिए ये रिपोर्ट..

senior physician doctor shashi bhushan upadhyay
फिजिशियन डॉक्टर शशि भूषण उपाध्याय.
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Published : May 15, 2021, 6:51 AM IST

वाराणसी: कोरोना महामारी के बीच उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों के साथ वाराणसी में ब्लैक फंगस ने दस्तक दे दी है. लगातार इससे जुड़े मामले सामने आ रहे हैं. प्रदेश में सबसे ज्यादा ब्लैक फंगस के केस वाराणसी जनपद में देखने को मिले हैं. अब तक 23 ऐसे मरीज सामने आए हैं, जिन्हें इस बीमारी की शिकायत है. सबसे ज्यादा शिकार कोरोना संक्रमित खासकर आईसीयू से लौटे मरीज बन रहे हैं. इस बीमारी से कैसे बचा जाए, किस तरीके के उपाय किए जाएं, इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय चिकित्सालय के वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर शशि भूषण उपाध्याय से बातचीत की.

जानकारी देते वरिष्ठ फिजिशियन.
स्टेरॉयड की ज्यादा डोज है घातक
वाराणसी के शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय चिकित्सालय के वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर शशि भूषण उपाध्याय ने बताया कि ने बताया कि ब्लैक फंगस को म्यूकर माइकोसिस इंफेक्शन के रूप में जाना जाता है. इसे आम बोलचाल की भाषा में लोग ब्लैक फंगस कहते हैं. इससे मरीज के दिमाग फेफड़े और स्किन पर खास असर पड़ता है. इस बीमारी से कई मरीजों की आंखों की रोशनी चली जाती है, जबकि कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी के गलन की भी दिक्कत होती है. यदि इसे समय के साथ कंट्रोल नहीं किया गया तो मरीज की मौत भी हो सकती है. उन्होंने बताया कि इस बीमारी से शरीर के आंतरिक हिस्से में एक तरीके का फंगल इंफेक्शन होता है, जिसमें गुच्छे या गांठ स्किन के बीच में दिखते हैं.

ये हैं लक्षण
डॉ. उपाध्याय ने बताया कि यह मुख्य रूप से उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जो पहले से ही तमाम तरीके की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. ऐसे वातावरण में मरीज के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और फंगल इन्फेक्शन अपना प्रभाव दिखाने लगता है. वर्तमान में इस बीमारी की शिकायतें अक्सर कोविड मरीजों की रिकवरी के बाद देखने को मिल रहे हैं. इससे कई लक्षण होते हैं.
  • बुखार या तेज सिर दर्द
  • खांसी
  • खून की उल्टी होना
  • नाक से खून आना या काले रंग का स्राव होना
  • आंखों या नाक के आसपास दर्द
  • आंखों या नाक के आसपास लाल चकत्ते बनना
  • आंख में दर्द या धुंधलापन दिखाई देना
  • गाल की हड्डी में दर्द या एक तरफ से चेहरे में दर्द, सूजन का होना
  • दांतों में ढीलापन महसूस होना
  • मसूड़ों में तेज दर्द होना
  • छाती में दर्द होना सांस लेने में तकलीफ होना


इस तरीके से करे उपचार
डॉ. उपाध्याय ने बताया कि कुछ बातों का ध्यान रखकर ब्लैक फंगस से सुरक्षित रखा जा सकता है. इसके लिए मधुमेह से ग्रसित मरीजों के साथ ही कोरोना से ठीक हुए मरीजों को ब्लड ग्लूकोज पर ध्यान देना है. स्टेरॉयड के इस्तेमाल से बचना है और यदि इसका इस्तेमाल करना है तो डॉक्टर से परामर्श लेने के दौरान ही करना है. कई बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि लोग अपने तरीके से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं जिसकी वजह से उन्हें इसके विपरीत परिणाम देखने को मिल रहे हैं. उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान स्टेराइल वाटर का प्रयोग करें. इसके साथ ही इम्यून मॉडयूलेटिंग दवाओं का इस्तेमाल बंद कर दें. ऐसे मरीजों को एंटी फंगल दवाइयों को लेना शुरू कर देना चाहिए, जिससे शरीर में हो रहे फंगस को रोका जा सके.

ये भी पढ़ें: BHU में ब्लैक फंगस मरीज का ऑपरेशन, आधा चेहरा निकाल कर बचाई जान

दिनचर्या का भी रखें खास ख्याल
उन्होंने बताया कि किसी भी बीमारी से सुरक्षित रहने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति अपनी दिनचर्या नियमित रखें. क्योंकि व्यक्ति यदि मानसिक रूप से स्वस्थ रहेगा तभी वह शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रह सकता है. इसके लिए सभी लोगों को योग का सहारा लेने की जरूरत है, जिनमें प्राणायाम और कुछ क्रियाओं को करने की आवश्यकता है. इससे सभी लोग शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेंगे और उनके अंदर बिना दवाओं के सेवन के प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होगा, जो हर प्रकार की बीमारी से लड़ने में मदद देगा. इसके साथ ही समय से खानपान की जरूरत है, जिससे उन्हें ऊर्जा मिलती रहे.

वाराणसी: कोरोना महामारी के बीच उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों के साथ वाराणसी में ब्लैक फंगस ने दस्तक दे दी है. लगातार इससे जुड़े मामले सामने आ रहे हैं. प्रदेश में सबसे ज्यादा ब्लैक फंगस के केस वाराणसी जनपद में देखने को मिले हैं. अब तक 23 ऐसे मरीज सामने आए हैं, जिन्हें इस बीमारी की शिकायत है. सबसे ज्यादा शिकार कोरोना संक्रमित खासकर आईसीयू से लौटे मरीज बन रहे हैं. इस बीमारी से कैसे बचा जाए, किस तरीके के उपाय किए जाएं, इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय चिकित्सालय के वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर शशि भूषण उपाध्याय से बातचीत की.

जानकारी देते वरिष्ठ फिजिशियन.
स्टेरॉयड की ज्यादा डोज है घातक
वाराणसी के शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय चिकित्सालय के वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर शशि भूषण उपाध्याय ने बताया कि ने बताया कि ब्लैक फंगस को म्यूकर माइकोसिस इंफेक्शन के रूप में जाना जाता है. इसे आम बोलचाल की भाषा में लोग ब्लैक फंगस कहते हैं. इससे मरीज के दिमाग फेफड़े और स्किन पर खास असर पड़ता है. इस बीमारी से कई मरीजों की आंखों की रोशनी चली जाती है, जबकि कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी के गलन की भी दिक्कत होती है. यदि इसे समय के साथ कंट्रोल नहीं किया गया तो मरीज की मौत भी हो सकती है. उन्होंने बताया कि इस बीमारी से शरीर के आंतरिक हिस्से में एक तरीके का फंगल इंफेक्शन होता है, जिसमें गुच्छे या गांठ स्किन के बीच में दिखते हैं.

ये हैं लक्षण
डॉ. उपाध्याय ने बताया कि यह मुख्य रूप से उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जो पहले से ही तमाम तरीके की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. ऐसे वातावरण में मरीज के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और फंगल इन्फेक्शन अपना प्रभाव दिखाने लगता है. वर्तमान में इस बीमारी की शिकायतें अक्सर कोविड मरीजों की रिकवरी के बाद देखने को मिल रहे हैं. इससे कई लक्षण होते हैं.
  • बुखार या तेज सिर दर्द
  • खांसी
  • खून की उल्टी होना
  • नाक से खून आना या काले रंग का स्राव होना
  • आंखों या नाक के आसपास दर्द
  • आंखों या नाक के आसपास लाल चकत्ते बनना
  • आंख में दर्द या धुंधलापन दिखाई देना
  • गाल की हड्डी में दर्द या एक तरफ से चेहरे में दर्द, सूजन का होना
  • दांतों में ढीलापन महसूस होना
  • मसूड़ों में तेज दर्द होना
  • छाती में दर्द होना सांस लेने में तकलीफ होना


इस तरीके से करे उपचार
डॉ. उपाध्याय ने बताया कि कुछ बातों का ध्यान रखकर ब्लैक फंगस से सुरक्षित रखा जा सकता है. इसके लिए मधुमेह से ग्रसित मरीजों के साथ ही कोरोना से ठीक हुए मरीजों को ब्लड ग्लूकोज पर ध्यान देना है. स्टेरॉयड के इस्तेमाल से बचना है और यदि इसका इस्तेमाल करना है तो डॉक्टर से परामर्श लेने के दौरान ही करना है. कई बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि लोग अपने तरीके से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं जिसकी वजह से उन्हें इसके विपरीत परिणाम देखने को मिल रहे हैं. उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान स्टेराइल वाटर का प्रयोग करें. इसके साथ ही इम्यून मॉडयूलेटिंग दवाओं का इस्तेमाल बंद कर दें. ऐसे मरीजों को एंटी फंगल दवाइयों को लेना शुरू कर देना चाहिए, जिससे शरीर में हो रहे फंगस को रोका जा सके.

ये भी पढ़ें: BHU में ब्लैक फंगस मरीज का ऑपरेशन, आधा चेहरा निकाल कर बचाई जान

दिनचर्या का भी रखें खास ख्याल
उन्होंने बताया कि किसी भी बीमारी से सुरक्षित रहने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति अपनी दिनचर्या नियमित रखें. क्योंकि व्यक्ति यदि मानसिक रूप से स्वस्थ रहेगा तभी वह शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रह सकता है. इसके लिए सभी लोगों को योग का सहारा लेने की जरूरत है, जिनमें प्राणायाम और कुछ क्रियाओं को करने की आवश्यकता है. इससे सभी लोग शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेंगे और उनके अंदर बिना दवाओं के सेवन के प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होगा, जो हर प्रकार की बीमारी से लड़ने में मदद देगा. इसके साथ ही समय से खानपान की जरूरत है, जिससे उन्हें ऊर्जा मिलती रहे.

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