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स्वामी शंकर से संतृप्त होने की कामना है पूर्णाहुति: स्वामी विजयानंद

धर्मनगरी काशी के गंगा तट पर 13 नवंबर से आयोजित 'अति रुद्रम यज्ञ' में 24 नवंबर को महा पूर्णाहुति होगी. ऐसे में अवधूत दत्त पीठम के उत्तराधिकारी श्री दत्त विजयानंद तीठा स्वामी ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की और पूर्णाहुति की महत्ता के बारे में जानकारी दी.

अति रुद्रम यज्ञ की पूर्णाहुति.
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Published : Nov 23, 2019, 6:10 PM IST

वाराणसी: काशी में गंगा तट पर 13 नवंबर से आयोजित 'अति रुद्रम यज्ञ' में 200 पंडितों के रूद्र अध्याय पाठ के बाद प्रतिदिन होने वाली पूर्णाहुति दर्शन की श्रद्धालुओं को प्रतीक्षा रहती है. शनिवार को 11वें दिन की पूर्णाहुति अवधूत दत्त पीठम के पीठाधिपति जगतगुरु श्री गणपति सच्चिदानंद स्वामी ने की. इस अवसर पर पूरा यज्ञस्थल ओम नमः शिवाय उद्घोष से गुंजायमान हो उठा.

अति रुद्रम यज्ञ की पूर्णाहुति.

24 नवंबर को होगी महापूर्णाहुति
रूद्र अध्याय के सस्वर पाठ और हवन के बाद जगतगुरु श्री गणपति सच्चिदानंद स्वामी ने हजारों श्रद्धालुओं उपस्थिति में पूर्णाहुति संपन्न कराई. रविवार को यज्ञ की महापूर्णाहुति की जाएगी. इस विषय पर अवधूत दत्त पीठम के उत्तराधिकारी श्री दत्त विजयानंद तीठा स्वामी ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की.

प्रतिदिन की जाती है पूर्णाहुति
श्री दत्त विजयानंद तीठा स्वामी ने बताया कि यज्ञ आयोजन में श्रद्धालु स्वामी श्री शिव को यथाशक्ति घृत, अन्न आदि हवन सामग्री के समर्पण का संकल्प लेते हैं. हर रोज रूद्र अध्याय पाठ के बाद हवन किया जाता है. इसी क्रम में प्रतिदिन के यज्ञ की पूर्णाहुति की जाती है.

यज्ञकर्ता श्री स्वामी शंकर से करते हैं प्रार्थना
स्वामी ने बताया कि इस पूर्णाहुति का आशय है, यज्ञकर्ता श्री स्वामी शंकर से प्रार्थना करते हैं कि यथाशक्ति वस्तुओं का समर्पण किया, इनसे वह प्रसन्न हों. लेकिन ईश्वर सर्वशक्तिमान है, सभी वस्तुएं उसी से प्राप्त हैं. ऐसे में ऐसा अभिमान नहीं किया जा सकता कि ईश्वर की उपासना आराधना के लिए श्रद्धालुओं ने जो आमंत्रण दिया था. उसके अनुरूप उन्होंने उनकी पूरी कामना तृप्त करते हुए यज्ञ पूरा किया है.

11 दिन पर होती है महापूर्णाहुति
स्वामी शिव से संतृप्त होने की कामना करते हुए भक्त अपने पूर्णाहुति के साथ प्रार्थना करता है कि जो कुछ भी संभव था, जो कुछ भी उपलब्ध था उसे समर्पित किया. अब शेष जो भी है, उसे पूर्ण मानते हुए स्वीकार करें. उन्होंने कहा कि हर रोज यज्ञ की पूर्णाहुति होती है, लेकिन अति रुद्रम यज्ञ की महापूर्णाहुति 11 दिन पर होती है. रविवार 24 नवंबर को महापूर्णाहुति होगी, इसके साथ ही अति रुद्रम संपन्न हो जाएगा.

इसे भी पढ़ें- देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने अति रुद्रम् यज्ञ में किया भगवान शिव का अभिषेक

वाराणसी: काशी में गंगा तट पर 13 नवंबर से आयोजित 'अति रुद्रम यज्ञ' में 200 पंडितों के रूद्र अध्याय पाठ के बाद प्रतिदिन होने वाली पूर्णाहुति दर्शन की श्रद्धालुओं को प्रतीक्षा रहती है. शनिवार को 11वें दिन की पूर्णाहुति अवधूत दत्त पीठम के पीठाधिपति जगतगुरु श्री गणपति सच्चिदानंद स्वामी ने की. इस अवसर पर पूरा यज्ञस्थल ओम नमः शिवाय उद्घोष से गुंजायमान हो उठा.

अति रुद्रम यज्ञ की पूर्णाहुति.

24 नवंबर को होगी महापूर्णाहुति
रूद्र अध्याय के सस्वर पाठ और हवन के बाद जगतगुरु श्री गणपति सच्चिदानंद स्वामी ने हजारों श्रद्धालुओं उपस्थिति में पूर्णाहुति संपन्न कराई. रविवार को यज्ञ की महापूर्णाहुति की जाएगी. इस विषय पर अवधूत दत्त पीठम के उत्तराधिकारी श्री दत्त विजयानंद तीठा स्वामी ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की.

प्रतिदिन की जाती है पूर्णाहुति
श्री दत्त विजयानंद तीठा स्वामी ने बताया कि यज्ञ आयोजन में श्रद्धालु स्वामी श्री शिव को यथाशक्ति घृत, अन्न आदि हवन सामग्री के समर्पण का संकल्प लेते हैं. हर रोज रूद्र अध्याय पाठ के बाद हवन किया जाता है. इसी क्रम में प्रतिदिन के यज्ञ की पूर्णाहुति की जाती है.

यज्ञकर्ता श्री स्वामी शंकर से करते हैं प्रार्थना
स्वामी ने बताया कि इस पूर्णाहुति का आशय है, यज्ञकर्ता श्री स्वामी शंकर से प्रार्थना करते हैं कि यथाशक्ति वस्तुओं का समर्पण किया, इनसे वह प्रसन्न हों. लेकिन ईश्वर सर्वशक्तिमान है, सभी वस्तुएं उसी से प्राप्त हैं. ऐसे में ऐसा अभिमान नहीं किया जा सकता कि ईश्वर की उपासना आराधना के लिए श्रद्धालुओं ने जो आमंत्रण दिया था. उसके अनुरूप उन्होंने उनकी पूरी कामना तृप्त करते हुए यज्ञ पूरा किया है.

11 दिन पर होती है महापूर्णाहुति
स्वामी शिव से संतृप्त होने की कामना करते हुए भक्त अपने पूर्णाहुति के साथ प्रार्थना करता है कि जो कुछ भी संभव था, जो कुछ भी उपलब्ध था उसे समर्पित किया. अब शेष जो भी है, उसे पूर्ण मानते हुए स्वीकार करें. उन्होंने कहा कि हर रोज यज्ञ की पूर्णाहुति होती है, लेकिन अति रुद्रम यज्ञ की महापूर्णाहुति 11 दिन पर होती है. रविवार 24 नवंबर को महापूर्णाहुति होगी, इसके साथ ही अति रुद्रम संपन्न हो जाएगा.

इसे भी पढ़ें- देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने अति रुद्रम् यज्ञ में किया भगवान शिव का अभिषेक

Intro:वाराणसी. काशी में गंगा तट पर 13 नवंबर से आयोजित "अति रुद्रम यज्ञ " में 200 पंडितों के ' रूद्र अध्याय पाठ ' के बाद प्रतिदिन 'पूर्णाहुति दर्शन' की प्रतिक्षा श्रद्धालुओं को अत्यंत व्याकुलता के साथ रहती है। शनिवार को 11 वें दिन की पूर्णाहुति अवधूत दत्त पीठम के पीठाधिपति जगतगुरु श्री गणपति सच्चिदानंद स्वामी ने की तो ओम नमः शिवाय उच्चारण से पूरा यज्ञ स्थल गुंजायमान हो उठा।


Body:रूद्र अध्याय के सस्वर पाठ और हवन के बाद जगतगुरु श्री गणपति सच्चिदानंद स्वामी ने हजारों श्रद्धालुओं उपस्थिति में पूर्णाहुति संपन्न कराई। रविवार को यज्ञ की महा पूर्णाहुति की जाएगी। यज्ञ पूर्णाहुति के बारे में अवधूत दत्त पीठम के उत्तराधिकारी श्री दत्त विजयानंद तीठा स्वामी ने ईटीवी भारत को बताया यज्ञ आयोजन में श्रद्धालु स्वामी श्री शिव को यथाशक्ति घृत ,अन्न आदि हवन सामग्री के समर्पण का संकल्प लेते हैं। हर रोज रूद्र अध्याय पाठ के बाद हवन किया जाता है इसी क्रम में प्रतिदिन के यज्ञ की पूर्णाहुति की जाती है इस पूर्णाहुति का आशय है यज्ञ करता श्री स्वामी शंकर से प्रार्थना करता है कि यथाशक्ति वस्तुओं का समर्पण किया इनसे वह प्रसन्न हो लेकिन ईश्वर क्योंकि सर्वशक्तिमान है। सभी वस्तुएं उसी से प्राप्त हैं ऐसे में ऐसा अभिमान नहीं किया जा सकता कि ईश्वर की उपासना आराधना के लिए श्रद्धालुओं ने जो आमंत्रण दिया था उसके अनुरूप उन्होंने उनकी पूरी कामना तृप्त करते हुए यज्ञ पूरा किया है। स्वामी शिव से संतृप्त होने की कामना करते हुए भक्त अपने पूर्णाहुति के साथ प्रार्थना करता है कि जो कुछ भी संभव था, जो कुछ भी उपलब्ध था उसे समर्पित किया। अब शेष जो भी है उसे पूर्ण मानते हुए स्वीकार करें। उन्होंने कहा कि हर रोज यज्ञ की पूर्णाहुति होती है लेकिन अति रुद्रम यज्ञ की महा पूर्णाहुति 11 दिन पर होती है । रविवार 24 नवंबर को महा पूर्णाहुति होगी इसके साथ ही अति रुद्रम संपन्न हो जाएगा ।

वन ओ वन /श्री दत्त विजयानंद तीठा स्वामी, अवधूत दत्त पीठ



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