वाराणसी : रामनगरी में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. इस ऐतिहासिक पल के आने में कुछ ही दिन बाकी हैं. इसे लेकर मंगलवार से अनुष्ठान की शुरुआत कर दी गई है. आज रामलला अपने गर्भ गृह में विराजमान हो जाएंगे. कार्यक्रम में 8000 विशिष्ट अतिथि बुलाए गए हैं. इसी क्रम में बुधवार को काशी के जगतगुरु और सुमेर पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती को भी निमंत्रण दिया गया.
स्वामी ननरेंद्रानंद सरस्वती ने निमंत्रण मिलने पर काफी खुशी जताई. मीडिया से बातचीत में कहा कि सनातन धर्म के लिए यह आनंद का पल है. राम मंदिर में रामलला की प्रतिष्ठा का मुहूर्त पूर्णता शास्त्र सम्मत है. इसका आधार प्रतिष्ठा महोदधी, परमेश्वर संहिता, धर्म सिंधु एवं निर्णय सिंधु आदि से लिया गया है. भगवान राम ने अपने पूरे जीवनकाल में जटायु एवं शबरी निचले स्तर के लोगों का कल्याण किया. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जीवन आज भी लोगों को सीख देता है.
नरेन्द्रानन्द सरस्वती ने कहा कि कई वर्षों के इंतजार के बाद यह पल आया है. पहली बार कोई प्रधानमंत्री अयोध्या का भ्रमण कर रहा है. राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के संदर्भ में किसी भी प्रकार का समाज में विरोध नहीं है. स्व. अशोक सिंघल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मंदिर आंदोलन में सराहनीय योगदान दिया. प्राण प्रतिष्ठा शास्त्र सम्मत विधि से हो रही है. यह राष्ट्र की एकता और अखंडता की बात है. जो लोग इस पर प्रश्न उठा रहे हैं वह पहले चिंतन और मनन कर लें. निमंत्रण देने के दौरान धर्म संघ शिक्षा मंडल के जगजीत पांडेय भी मौजूद रहे.
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