वाराणसी: फिल्म आदिपुरुष के डायलॉग लेखन पर उठ रहे सवालों के बीच अब अखिल भारतीय संत समिति ने भी आक्रोश व्यक्त किया है. उनका आक्रोश सबसे ज्यादा लेखक मनोज मुंतशिर पर उतरा है. संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद ने बयान जारी कर संतों के रुख को इस फिल्म के लिए साफ किया है.
फिल्म के बारे में स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती का कहना है कि आदिपुरुष फिल्म के डायलाग लेखन जिस प्रकार से हुआ है, वह संतों को पच नहीं रहा है. महामंत्री ने आगे कहा कि मनोज वास्तव में मुंतशिर ही था, उसने शुक्ला बनने की कोशिश की थी. सनातन धर्म में तथ्यों से छेड़छाड़ और महापुरुषों का सरलीकरण करना, परमात्मा का सरलीकरण करना यह अक्षम्य अपराध है.
डायलॉग टपोरीछाप लेखक के है शब्द: उन्होंने कहा कि इस फिल्म के डायलॉग को सुनकर ऐसा लग रहा है. जो मोहल्ले का टपोरीछाप, लफंगा जैसे लेखक ने शब्दों को प्रयोग करता है. यह संत समाज को स्वीकार्य नहीं है. धर्म का क्षेत्र मर्यादा चाहता है, शब्दों का चयन शत्रुओं के लिए भी मर्यादित हो होता है. मर्यादाविहीन पटकथा लेखक और निर्देशक ऐसे कभी स्वीकार नहीं किए जा सकते हैं.
अधिवक्ताओं ने भी किया विरोध: गौरतलब हो कि पूरे देश में विवाद के साथ आज वाराणसी में अधिवक्ताओं ने भी आदिपुरुष फिल्म का विरोध किया और एफआईआर दर्ज करने के लिए तहरीर दी है. वहीं, संतो ने भी अपना आक्रोश व्यक्त कर दिया है. इस फिल्म में डायलॉग व अन्य कृत्य को सनातन धर्म का विरोधी बताया है.
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