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15 दिन दलितों के घर प्रवास करेंगे स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती - राम मंंदिर निर्माण में प्रत्येक व्यक्ति से सहयोग मांगेंगे स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आयोजित अखिल भारतीय संत समिति की दो दिवसीय बैठक का रविवार को समापन हो गया. इस अवसर पर स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि वह 14 जनवरी से भारत के विभिन्न स्थानों पर प्रवास के लिए निकलेंगे. 15 दिन तक उनका प्रवास समाज के कमजोर वर्ग व दलितों के घर होगा.

अखिल भारतीय संत समिति की दो दिवसीय बैठक
अखिल भारतीय संत समिति की दो दिवसीय बैठक
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Published : Jan 4, 2021, 9:37 AM IST

वाराणसी: अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती 14 जनवरी से भारत के विभिन्न स्थानों पर प्रवास के लिए निकलेंगे. 15 दिन तक उनका प्रवास समाज के कमजोर वर्ग व दलितों के घर होगा. वह देश के 600 जिलों की यात्राएं भी करेंगे. यह घोषणा उन्होंने रविवार को अखिल भारतीय संत समिति की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के समापन पर की. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की यह बैठक वाराणसी जिले में दुर्गाकुंड स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय में आयोजित की गई थी. इसमें अखिल भारतीय संत समिति के बैनर तले अनेक साधु-संतों ने भाग लिया. बैठक के अंतिम दिन दो प्रस्ताव पास किए गए.

अखिल भारतीय संत समिति की दो दिवसीय बैठक का समापन
अखिल भारतीय संत समिति की दो दिवसीय बैठक का समापन

ये प्रस्ताव पास-

1. ब्रह्मलीन पूज्य वामदेव जी की प्रतिमा लगाने की मांग
अखिल भारतीय संत समिति ने उत्तराखंड में हरिद्वार-देहरादून चौक पर स्वामी वामदेव चौक पर उनकी प्रतिमा लगाने की मांग की. समिति के पहले प्रस्ताव में कहा गया कि वीतराग संत वामदेव जी 1997 में ब्रह्मलीन हुए. 1998 में कल्याण सिंह सरकार ने हरिद्वार-देहरादून चौक का नाम पूज्य वामदेव जी के नाम पर रखा. 2006 में हरिद्वार, ऋषिकेश के संतों ने चौक पर उनकी प्रतिमा स्थापित की. नगर पालिका ने प्रस्ताव पारित कर उस चौक का नाम स्वामी वामदेव चौक कर दिया. 2016 में नेशनल हाइवे के पुनर्निर्माण के दौरान राज्य सरकार और निर्माण एजेंसियों ने संतों को आश्वासन देकर चौक से मूर्ति हटा दी परन्तु पुन: स्थापित नहीं की गई. संतों की यह सभा राज्य सरकार से यह मांग करती है कि कुंभ से पूर्व वीतराग संत ब्रह्मलीन पूज्य वामदेव जी (संस्थापक अखिल भारतीय संत समिति) की प्रतिमा पुन: चौक पर स्थापित की जाए.

2. प्रधानमंत्री को धन्यवाद
अखिल भारतीय संत समिति ने दूसरे प्रस्ताव में प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया. प्रस्ताव में कहा गया कि पूज्य संतों की यह सभा सर्वसम्मति से वाराणसी के सांसद एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उत्तर प्रदेश सरकार को धन्यवाद देती है. उनका कुशल प्रबंधन अयोध्या में वाल्मीकि रामायण में वर्णित अयोध्या के मूल स्वरूप को वापस लाने से लेकर अयोध्या के दिव्यतम एवं भव्यतम विकास में सहायक सिद्ध हो रहा है. साथ ही श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर, सनातन हिन्दू धर्म की धार्मिक राजधानी काशी में बाबा विश्वनाथ एवं मां गंगा के पावन स्वरूप को लौटाने में योगदान दिया गया है. उत्तर प्रदेश के अन्य तीर्थस्थल जैसे मथुरा, वृंदावन, चित्रकूट, नैमिशारण्य, शुक्रताल, देवीपाटन आदि सभी के सम्यक् विकास का खाका राज्य सरकार ने खींचा है. इसके लिए अखिल भारतीय संत समिति हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित करती है.

राममंदिर निर्माण में हर व्यक्ति की भूमिका
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि संत समिति को अपने सांगठनिक विस्तार के लिए संकल्पित होकर आगे बढ़ना होगा. उन्होंने इस अवसर पर कहा कि आने वाले दिनों में मैं देश के करीब 600 जिलों की यात्राएं करूंगा. मेरा प्रयास होगा कि भारत के सभी जिलों में संत समितियों का गठन प्रमुखता से हो. साथ ही 14 जनवरी से 15 दिनों का मेरा प्रवास समाज के कमजोर वर्गों व दलितों के घर होगा. मेरा प्रयास होगा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण में समाज के अंतिम व्यक्ति की भूमिका को मैं सुनिश्चित कर सकूं. साथ ही साधुओं के साथ होने वाले किसी भी अनैतिक कृत्य के खिलाफ मैंने पहले भी आवाज उठाई है और आगे भी विरोध करूंगा.

धर्मस्थलों का संरक्षण
अखिल भारतीय संत समिति के निदेशक रामानुजाचार्य वासुदेवाचार्य ने कहा कि हमें भारत के सभी मठों और धर्मस्थलों का संरक्षण करना होगा. साधुओं ने समाज की सुरक्षा के लिए सदैव आगे बढ़कर कार्य किया. आवश्यकता पड़ने पर संत समाज ने सरकार का भी सहयोग किया पर अब हमें स्वयं संगठित प्रयासों से संत समाज के हितों के लिए भी तत्पर रहना होगा, तभी हम सुरक्षित रह पाएंगे.

संस्कृति का विस्तार
अध्यक्षीय भाषण में शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि कई बार सरकारें भी हिन्दू मान्यताओं को लेकर विरोधाभास की स्थिति में रही हैं. हालांकि वर्तमान सरकार ने सनातन संस्कृति के विस्तार के कुछ कार्य किए हैं, जो प्रशंसनीय हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार किसी भी प्रकार के परिवर्तन किसी भी मंदिर में करना चाहती है तो वह एक समिति बनाकर ही किसी भी प्रकार के परिवर्तन के कार्य करे.

वाराणसी: अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती 14 जनवरी से भारत के विभिन्न स्थानों पर प्रवास के लिए निकलेंगे. 15 दिन तक उनका प्रवास समाज के कमजोर वर्ग व दलितों के घर होगा. वह देश के 600 जिलों की यात्राएं भी करेंगे. यह घोषणा उन्होंने रविवार को अखिल भारतीय संत समिति की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के समापन पर की. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की यह बैठक वाराणसी जिले में दुर्गाकुंड स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय में आयोजित की गई थी. इसमें अखिल भारतीय संत समिति के बैनर तले अनेक साधु-संतों ने भाग लिया. बैठक के अंतिम दिन दो प्रस्ताव पास किए गए.

अखिल भारतीय संत समिति की दो दिवसीय बैठक का समापन
अखिल भारतीय संत समिति की दो दिवसीय बैठक का समापन

ये प्रस्ताव पास-

1. ब्रह्मलीन पूज्य वामदेव जी की प्रतिमा लगाने की मांग
अखिल भारतीय संत समिति ने उत्तराखंड में हरिद्वार-देहरादून चौक पर स्वामी वामदेव चौक पर उनकी प्रतिमा लगाने की मांग की. समिति के पहले प्रस्ताव में कहा गया कि वीतराग संत वामदेव जी 1997 में ब्रह्मलीन हुए. 1998 में कल्याण सिंह सरकार ने हरिद्वार-देहरादून चौक का नाम पूज्य वामदेव जी के नाम पर रखा. 2006 में हरिद्वार, ऋषिकेश के संतों ने चौक पर उनकी प्रतिमा स्थापित की. नगर पालिका ने प्रस्ताव पारित कर उस चौक का नाम स्वामी वामदेव चौक कर दिया. 2016 में नेशनल हाइवे के पुनर्निर्माण के दौरान राज्य सरकार और निर्माण एजेंसियों ने संतों को आश्वासन देकर चौक से मूर्ति हटा दी परन्तु पुन: स्थापित नहीं की गई. संतों की यह सभा राज्य सरकार से यह मांग करती है कि कुंभ से पूर्व वीतराग संत ब्रह्मलीन पूज्य वामदेव जी (संस्थापक अखिल भारतीय संत समिति) की प्रतिमा पुन: चौक पर स्थापित की जाए.

2. प्रधानमंत्री को धन्यवाद
अखिल भारतीय संत समिति ने दूसरे प्रस्ताव में प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया. प्रस्ताव में कहा गया कि पूज्य संतों की यह सभा सर्वसम्मति से वाराणसी के सांसद एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उत्तर प्रदेश सरकार को धन्यवाद देती है. उनका कुशल प्रबंधन अयोध्या में वाल्मीकि रामायण में वर्णित अयोध्या के मूल स्वरूप को वापस लाने से लेकर अयोध्या के दिव्यतम एवं भव्यतम विकास में सहायक सिद्ध हो रहा है. साथ ही श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर, सनातन हिन्दू धर्म की धार्मिक राजधानी काशी में बाबा विश्वनाथ एवं मां गंगा के पावन स्वरूप को लौटाने में योगदान दिया गया है. उत्तर प्रदेश के अन्य तीर्थस्थल जैसे मथुरा, वृंदावन, चित्रकूट, नैमिशारण्य, शुक्रताल, देवीपाटन आदि सभी के सम्यक् विकास का खाका राज्य सरकार ने खींचा है. इसके लिए अखिल भारतीय संत समिति हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित करती है.

राममंदिर निर्माण में हर व्यक्ति की भूमिका
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि संत समिति को अपने सांगठनिक विस्तार के लिए संकल्पित होकर आगे बढ़ना होगा. उन्होंने इस अवसर पर कहा कि आने वाले दिनों में मैं देश के करीब 600 जिलों की यात्राएं करूंगा. मेरा प्रयास होगा कि भारत के सभी जिलों में संत समितियों का गठन प्रमुखता से हो. साथ ही 14 जनवरी से 15 दिनों का मेरा प्रवास समाज के कमजोर वर्गों व दलितों के घर होगा. मेरा प्रयास होगा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण में समाज के अंतिम व्यक्ति की भूमिका को मैं सुनिश्चित कर सकूं. साथ ही साधुओं के साथ होने वाले किसी भी अनैतिक कृत्य के खिलाफ मैंने पहले भी आवाज उठाई है और आगे भी विरोध करूंगा.

धर्मस्थलों का संरक्षण
अखिल भारतीय संत समिति के निदेशक रामानुजाचार्य वासुदेवाचार्य ने कहा कि हमें भारत के सभी मठों और धर्मस्थलों का संरक्षण करना होगा. साधुओं ने समाज की सुरक्षा के लिए सदैव आगे बढ़कर कार्य किया. आवश्यकता पड़ने पर संत समाज ने सरकार का भी सहयोग किया पर अब हमें स्वयं संगठित प्रयासों से संत समाज के हितों के लिए भी तत्पर रहना होगा, तभी हम सुरक्षित रह पाएंगे.

संस्कृति का विस्तार
अध्यक्षीय भाषण में शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि कई बार सरकारें भी हिन्दू मान्यताओं को लेकर विरोधाभास की स्थिति में रही हैं. हालांकि वर्तमान सरकार ने सनातन संस्कृति के विस्तार के कुछ कार्य किए हैं, जो प्रशंसनीय हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार किसी भी प्रकार के परिवर्तन किसी भी मंदिर में करना चाहती है तो वह एक समिति बनाकर ही किसी भी प्रकार के परिवर्तन के कार्य करे.

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