वाराणसी: आज विश्व महिला दिवस है और इस खास मौके पर देशभर में महिला सशक्तिकरण और महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए चलाई जा रही योजनाओं की चर्चा हो रही है. इन सबके बीच आज हम आपको उन महिलाओं से मिलाने जा रहे हैं. जिन्होंने अपनी आराम और सरल जिंदगी को छोड़कर ऐसी नौकरी को चुना जो पुरुषों के लिए भी कठिन कहीं जाती थी. हम बात कर रहे हैं भारतीय रेल में अलग-अलग पदों पर काम कर रही उन महिलाओं की जो आज न सिर्फ भारतीय रेल में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं बल्कि महिला सशक्तिकरण के उस संदेश को पुख्ता भी कर रही हैं. ऐसी ही महिलाएं वाराणसी के पूर्वोत्तर रेलवे में काम करने वाली सुनीता, प्रिया और अमृता हैं. सुनीता और प्रिया तो लोको पायलट की भूमिका में हैं जबकि अमृता इंडियन रेलवे में टेक्निकल टीम का हिस्सा हैं.
प्रिया एक्सप्रेस से लेकर पैसेंजर ट्रेनों का करती हैं संचालन
बीते 5 सालों से भारतीय रेल में अपनी सेवाएं दे रहीं प्रिया इस भूमिका के साथ एक मां पत्नी बेटी और बहु की भी भूमिका निभाती हैं. सामाजिक ताने-बाने के साथ अपने इस प्रोफेशन को उन्होंने पूरी तरह से अपना लिया है. प्रिया भारतीय रेल में एक्सप्रेस से लेकर पैसेंजर ट्रेनों को संचालित करती हैं. आज भी वह महिला दिवस के मौके पर वह मंडुवाडीह से भटनी तक जाने वाली पैसेंजर ट्रेन लेकर रवाना हुई हैं.
पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही महिलाएं
प्रिया का कहना है कि महिलाओं की सोच थी कि वह साइकिल और गाड़ी नहीं चला सकती है. अब महिलाओं ने इसे बहुत पीछे छोड़ दिया है आज की महिला ट्रेन चला रही हैं, प्लेन उड़ा रही है और पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है. प्रिया का कहना है कि जॉब बहुत टफ है, लेकिन मेरा साथ मेरा परिवार और मेरे सहयोगी पूरी तरह से देते हैं, जिसकी वजह से आज 2014 से लेकर अब तक मैं इस नौकरी को बखूबी करने में सफल रही हूं.
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प्रिया के साथ लोको पायलट की भूमिका में पूर्वोत्तर रेलवे में सुनीता कुमारी भी हैं. सुनीता रविवार सुबह ही वाराणसी के मंडुवाडीह स्टेशन से प्रयागराज तक ट्रेन लेकर रवाना हुई हैं. इसके अलावा बनारस के इस स्टेशन पर टेक्निकल टीम के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाली अमृता पाल भी महिला दिवस के मौके पर पुरुषों से न पीछे रहने और उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का संदेश दे रही हैं.
हम महिलाओं के इस योगदान पर उन्हें सलाम करते हैं और उन्हें किसी तरह की तकलीफ न हो इसका भी पूरा ध्यान भारतीय रेल लगता है.
-विजय कुमार पंजियार,डीआरएम, पूर्वोत्तर रेलवे