वाराणसीः गांधी जयंती के अवसर पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय(Banaras Hindu University) के विद्यार्थियों को खास सौगात मिली है. अब प्रतिवर्ष विद्यार्थियों को 25 हजार की छात्रवृत्ति(Scholarship) मिलेगी. यह विद्यार्थियों के शिक्षा में सहायक होगी.
दरअसल, गांधी जयंती के अवसर पर विश्वविद्यालय के मालवीय भवन में अहिंसा दिवस(non-violence day) का आयोजन हुआ, जहां गांधी चबूतरा पर बापू को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इस दौरान विद्यार्थियों के लिए दो कल्याणकारी योजनाएं लागू की गईं, जिससे विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष 25,000 की छात्रवृत्ति उपलब्ध कराई जाएगी.
विद्यार्थी कल्याण योजनाओं की घोषणा
बता दें कि, गांधी जयंती के अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन(Vice Chancellor Prof Sudhir Kumar Jain) ने विद्यार्थी कल्याण की दो महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणा की. पहली योजना के तहत विश्वविद्यालय के दिव्यांग विद्यार्थियों के खाते में प्रतिवर्ष 25,000 की राशि हस्तांतरित की जाएगी. दूसरी योजना के तहत विश्वविद्यालय के बीपीएल कार्डधारक विद्यार्थी(BPL card holder students) प्रति वर्ष 25,000 रुपये का आर्थिक सहयोग पाने के हकदार होंगे, जो सीधे उनके बैंक खाते में डाले जाएंगे. कुलपति ने कहा कि भविष्य में छात्रवृत्तियों की राशि बढ़ाने पर भी विचार किया जाएगा.
मालवीय व गांधी जी के विचार पर शोध की आवश्यकता
कार्यक्रम में कुलपति प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन (Vice Chancellor Prof Sudhir Kumar Jain) ने कहा कि 'गांधी जी व शास्त्री जी, दोनों ही महापुरुषों काव्यक्तित्व अत्यंत सरल था व हम सभी को प्रेरित करता है.' उन्होंने कहा कि, 'हमने ऐसा पढ़ा है कि मालवीय जी कई मामलों में गांधी जी से सहमत होते थे, तो कुछ मामलों में वैचारिक रूप से असहमति भी रखते थे, यह अपने आप में अध्ययन व शोध का विषय है.' उन्होंने शिक्षकों का आह्वान किया कि मिलजुल कर विश्वविद्यालय के विकास में सहयोग करें.
प्रतिवर्ष दो अक्टूबर को होगी प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता
कुलपति प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन ने कहा कि 'प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जी से संबंधित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता होनी चाहिए. गांधी जी मानते थे कि यदि समाज को आगे बढ़ाना है तो शिक्षा को सुदृढ़ करना होगा. शिक्षा वही उचित है, जो विद्यार्थियों को उनके कर्तव्य का बोध कराए और चरित्र का निर्माण करे. हमें सोचना होगा कि क्या हम अपने उत्तरदायित्व का ईमानदारी से निर्वहन कर पा रहे हैं.'
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