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बनारस की सीढ़ियों पर सजेगा घुमक्कड़ों का मेला

धर्म नगरी काशी अपने अलग-अलग पर्व और त्योहारों के लिए दुनिया भर में जानी जाती है. वाराणसी के मिजाज को जानने के लिए कुछ प्रोफेसर ने अंतरराष्ट्रीय काशी घाट वर्क विश्वविद्यालय नाम से एक संस्था की स्थापना की. 31 जनवरी को इस संस्था के 3 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में वाराणसी के घाट पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.

घाट.
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Published : Jan 29, 2021, 2:07 PM IST

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी अपने अलग-अलग पर्व और त्योहारों के वजह से जानी जाती है. यही वजह है कि बनारस का मिजाज जानने के लिए पूरे देश ही नहीं बल्कि विश्व के कोने-कोने से लोग आते हैं. ऐसे ही कुछ बनारस के प्रोफेसर ने मिलकर एक संस्था का गठन किया. जिसका नाम अंतरराष्ट्रीय काशी घाट वर्क विश्वविद्यालय रखा गया है, जिसे 3 साल पूरे हो गए हैं. इसके उपलक्ष्य में 31 जनवरी को इसका उत्सव मनाया जाएगा. यह कार्यक्रम किसी मंच या थिएटर पर नहीं बल्कि बनारस के घाटों और सीढ़ियों पर मनाया जाएगा.

बनारस के घाटों में समेटा है इतिहास
बनारस के घाट आदि काल से प्रचलित रहे हैं. यही वजह थी कि इन्हें घाटों पर बैठकर गोस्वामी तुलसीदास जी ने राम चरित्र मानस के कुछ अंश की रचना की. रविदास जी को उनके गुरु के दर्शन इन्हीं घाटों पर हुए. मां भगवती के कान का कुंडल इन्हीं घाटों पर गिरा जो आज महाशमशान मणिकर्णिका के रूप में जाना जाता है. ब्रह्मा जी ने स्वयं दस अश्वमेध यज्ञ किए तब काशी का दशाश्वमेध घाट बना. काशी के पंचगंगा घाट पर पांच नदियों का संगम है. गंगा, यमुना, विशाखा, धुपापा, किरणा का संगम होता है.

कोविड वेक्सीनेशन के लिए करेंगे जागरूक
डॉ. विजय नाथ मिश्र ने बताया इस उत्सव के माध्यम से हम लोगों को काशी के घाटों से जुड़ेंगे. लोगों को यह बताने का प्रयास करेंगे जब आप काशी के घाटों पर आइए. तो अपने सारे परेशानी काशी के घाटों से जोड़ने में लगाइए. गंगा काशी और घाट यही हमारा जीवन है. कोविड वेक्सीनेशन के दो डोज बहुत ही जरूरी है. यह सबको बताने की जरूरत है. जो लोग काशी का घाट घूमने आते हैं या जो लोग काशी के घाटों पर रहते हैं उनके लिए बहुत बड़ा कटआउट बनाया है. जो पूरे वॉक में साथ-साथ चलेगा. गणतंत्र दिवस पर जिस तरह का वैक्सीनेशन वाला कट आउट बना था. वैसा ही बना है. यह पूरे देश और दुनिया को मैसेज देगा. महामारी हो या किसी भी प्रकार की दिक्कत तो हम एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ेंगे. कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे जीवन की नई शुरुआत करेंगे.

विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम
मानसरोवर घाट पर पर्यावरण एवं प्रौद्योगिक संयोजन में मुक्ति महिला वह घाट वॉक संस्कृति पर मंथन होगा. सिंधिया घाट पर कत्थक है भाव सजेंगे. शक्का का घाट पर कोरोना वायरस संयम और नियम स्वास्थ्य पर चर्चा होगी. विभिन्न घाटों पर बनारस के मशहूर कवियों द्वारा कविता का पाठ होगा. लगभग 6 किलोमीटर के इस घाट पार्क में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे.

प्रो. श्री प्रकाश शुक्ला ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय काशी घाट वर्क विश्वविद्यालय का यह तीसरा समारोह है. 31 जनवरी 2021 को दोपहर 1:00 बजे काशी के रीवाघाट से प्रारंभ होगा. यह एक ऐसा विश्वविद्यालय है जिसकी कोई सीमा नहीं है. जिस तरह गंगा प्रभावित होती रहती है. उस तरह यह ज्ञान का विश्वविद्यालय है. जो अनादि से लेकर अनंत तक की यात्रा करता है. कोरोना काल में हमारी चिकित्सकों ने हमें किस तरह बचाया. इस पर चर्चा होगी उसके साथ ही नारी सशक्तिकरण पर कार्यक्रम होंगे.

इसे भी पढ़ें- फर्जी नियुक्ति पर बोले काशी विद्यापीठ के चीफ प्रॉक्टर, हर तफ्तीश को हूं तैयार

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी अपने अलग-अलग पर्व और त्योहारों के वजह से जानी जाती है. यही वजह है कि बनारस का मिजाज जानने के लिए पूरे देश ही नहीं बल्कि विश्व के कोने-कोने से लोग आते हैं. ऐसे ही कुछ बनारस के प्रोफेसर ने मिलकर एक संस्था का गठन किया. जिसका नाम अंतरराष्ट्रीय काशी घाट वर्क विश्वविद्यालय रखा गया है, जिसे 3 साल पूरे हो गए हैं. इसके उपलक्ष्य में 31 जनवरी को इसका उत्सव मनाया जाएगा. यह कार्यक्रम किसी मंच या थिएटर पर नहीं बल्कि बनारस के घाटों और सीढ़ियों पर मनाया जाएगा.

बनारस के घाटों में समेटा है इतिहास
बनारस के घाट आदि काल से प्रचलित रहे हैं. यही वजह थी कि इन्हें घाटों पर बैठकर गोस्वामी तुलसीदास जी ने राम चरित्र मानस के कुछ अंश की रचना की. रविदास जी को उनके गुरु के दर्शन इन्हीं घाटों पर हुए. मां भगवती के कान का कुंडल इन्हीं घाटों पर गिरा जो आज महाशमशान मणिकर्णिका के रूप में जाना जाता है. ब्रह्मा जी ने स्वयं दस अश्वमेध यज्ञ किए तब काशी का दशाश्वमेध घाट बना. काशी के पंचगंगा घाट पर पांच नदियों का संगम है. गंगा, यमुना, विशाखा, धुपापा, किरणा का संगम होता है.

कोविड वेक्सीनेशन के लिए करेंगे जागरूक
डॉ. विजय नाथ मिश्र ने बताया इस उत्सव के माध्यम से हम लोगों को काशी के घाटों से जुड़ेंगे. लोगों को यह बताने का प्रयास करेंगे जब आप काशी के घाटों पर आइए. तो अपने सारे परेशानी काशी के घाटों से जोड़ने में लगाइए. गंगा काशी और घाट यही हमारा जीवन है. कोविड वेक्सीनेशन के दो डोज बहुत ही जरूरी है. यह सबको बताने की जरूरत है. जो लोग काशी का घाट घूमने आते हैं या जो लोग काशी के घाटों पर रहते हैं उनके लिए बहुत बड़ा कटआउट बनाया है. जो पूरे वॉक में साथ-साथ चलेगा. गणतंत्र दिवस पर जिस तरह का वैक्सीनेशन वाला कट आउट बना था. वैसा ही बना है. यह पूरे देश और दुनिया को मैसेज देगा. महामारी हो या किसी भी प्रकार की दिक्कत तो हम एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ेंगे. कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे जीवन की नई शुरुआत करेंगे.

विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम
मानसरोवर घाट पर पर्यावरण एवं प्रौद्योगिक संयोजन में मुक्ति महिला वह घाट वॉक संस्कृति पर मंथन होगा. सिंधिया घाट पर कत्थक है भाव सजेंगे. शक्का का घाट पर कोरोना वायरस संयम और नियम स्वास्थ्य पर चर्चा होगी. विभिन्न घाटों पर बनारस के मशहूर कवियों द्वारा कविता का पाठ होगा. लगभग 6 किलोमीटर के इस घाट पार्क में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे.

प्रो. श्री प्रकाश शुक्ला ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय काशी घाट वर्क विश्वविद्यालय का यह तीसरा समारोह है. 31 जनवरी 2021 को दोपहर 1:00 बजे काशी के रीवाघाट से प्रारंभ होगा. यह एक ऐसा विश्वविद्यालय है जिसकी कोई सीमा नहीं है. जिस तरह गंगा प्रभावित होती रहती है. उस तरह यह ज्ञान का विश्वविद्यालय है. जो अनादि से लेकर अनंत तक की यात्रा करता है. कोरोना काल में हमारी चिकित्सकों ने हमें किस तरह बचाया. इस पर चर्चा होगी उसके साथ ही नारी सशक्तिकरण पर कार्यक्रम होंगे.

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