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लॉकडाउन में दम तोड़ता बनारसी पान कारोबार, अब तक हो चुका करोड़ों का नुकसान

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में पान की खेती करने वाले किसान काफी परेशान हैं. लॉकडाउन के कारण पान की बिक्री नहीं हो पा रही, जिसके कारण उनके पान खेतों में सड़ रहे हैं और उन्हें काफी घाटा हो रहा है.

betel farming
पान की खेती
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Published : May 23, 2020, 12:53 PM IST

वाराणसी: बात बनारस की हो तो बनारसी पान को कैसे भूला जा सकता है. आमजन से लेकर बॉलीवुड के सितारे भी इस पान के दीवाने हैं. बनारस को विश्व पटल पर अपनी अलग पहचान बनाने में भी इस पान का अहम योगदान है. लॉकडाउन का इतना वक्त बीत जाने के बाद बनारसी पान के कारोबार की ऐसी दुर्गत तस्वीर उभरकर सामने आ रही है, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. अब तक पान के किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है.

स्पेशल स्टोरी.

लॉकडाउन की चपेट में पान की खेती
लॉकडाउन -4 की मियाद पूरी होने वाली है. इसका असर कई कारोबार पर पड़ रहा है. इन्हीं में से एक है मशहूर बनारसी पान का कारोबार है, जिस पर लॉकडाउन का असर साफ देखा जा रहा है. कई हफ्तों का वक्त बीत जाने के बाद बनारसी पान के कारोबार की ऐसी दुर्गत तस्वीर उभरकर सामने आ रही है, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. ये कारोबार अब तक करोड़ों रुपये के नुकसान को झेल चुका है.

पान है एक संस्कार
पान न केवल एक वनस्पति या खाद्य सामग्री है, बल्कि एक संस्कार भी है. सनातनी परंपरा या शुभ कामों में पान के बगैर किसी भी काम के शुभारंभ की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. वहीं कुछ मजहब वाले बनारसियों के लिए पान एक सत्कार का भी जरिया है. लॉकडाउन के कई हफ्तों के बाद की स्थिति ये है कि देश के सभी कोनों और विदेश में भी पहुंच रखने वाला बनारसी पान अब वेंटिलेटर पर जा चुका है.

घाटे में जा रहा पान कारोबार
पान किसान हो या फिर पान व्यापारी सभी को काफी घाटा हो रहा है. जब ईटीवी भारत की टीम ने पान की खेती करने वाले किसान मन्नू चौरसिया से बात की तो उन्होंने बताया कि 10 हजार रुपये पान के पौधे की देख रेख में लगता है, लेकिन फायदा कुछ नहीं है. लॉकडाउन में खरीदार नहीं हैं. सारे पान खराब हो जा रहे हैं. लॉकडाउन ने कमर तोड़ के रख दी है. उन्होंने बताया कि पहले यहां कई सारे लोग पान की खेती करते थे, लेकिन अब मौसम न हमारे अनुरूप है और न ही अब इस व्यवसाय में उतना फायदा है.

कहीं छोड़ न दें किसाान पान की खेती
इस कारण सभी लोग अब इसे उगाना छोड़ रहे हैं. इसको उगाने में बहुत मेहनत होती है. इसे बारिश, तेज धूप, आंधी सभी से बचना होता है. हर दिन खेत में 8 से 10 घण्टे का काम होता है. इक्का दुक्का कोई व्यापारी आ भी जा रहा है तो पैसा नहीं दे रहा है. हम लोग ढोली के हिसाब से पान बेचते हैं. एक ढोली में 200 पान होता है. छोटी ढोली 30 रुपये की बिकती है और बढ़ी ढोली जिसमें बड़े पान का पत्ता होता है वह 80 रुपये में बिकती है. उन्होंने बताया कि अगर ऐसा ही रहा तो वे अब ये खेती करना बंद कर देंगे.

वाराणसी: बात बनारस की हो तो बनारसी पान को कैसे भूला जा सकता है. आमजन से लेकर बॉलीवुड के सितारे भी इस पान के दीवाने हैं. बनारस को विश्व पटल पर अपनी अलग पहचान बनाने में भी इस पान का अहम योगदान है. लॉकडाउन का इतना वक्त बीत जाने के बाद बनारसी पान के कारोबार की ऐसी दुर्गत तस्वीर उभरकर सामने आ रही है, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. अब तक पान के किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है.

स्पेशल स्टोरी.

लॉकडाउन की चपेट में पान की खेती
लॉकडाउन -4 की मियाद पूरी होने वाली है. इसका असर कई कारोबार पर पड़ रहा है. इन्हीं में से एक है मशहूर बनारसी पान का कारोबार है, जिस पर लॉकडाउन का असर साफ देखा जा रहा है. कई हफ्तों का वक्त बीत जाने के बाद बनारसी पान के कारोबार की ऐसी दुर्गत तस्वीर उभरकर सामने आ रही है, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. ये कारोबार अब तक करोड़ों रुपये के नुकसान को झेल चुका है.

पान है एक संस्कार
पान न केवल एक वनस्पति या खाद्य सामग्री है, बल्कि एक संस्कार भी है. सनातनी परंपरा या शुभ कामों में पान के बगैर किसी भी काम के शुभारंभ की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. वहीं कुछ मजहब वाले बनारसियों के लिए पान एक सत्कार का भी जरिया है. लॉकडाउन के कई हफ्तों के बाद की स्थिति ये है कि देश के सभी कोनों और विदेश में भी पहुंच रखने वाला बनारसी पान अब वेंटिलेटर पर जा चुका है.

घाटे में जा रहा पान कारोबार
पान किसान हो या फिर पान व्यापारी सभी को काफी घाटा हो रहा है. जब ईटीवी भारत की टीम ने पान की खेती करने वाले किसान मन्नू चौरसिया से बात की तो उन्होंने बताया कि 10 हजार रुपये पान के पौधे की देख रेख में लगता है, लेकिन फायदा कुछ नहीं है. लॉकडाउन में खरीदार नहीं हैं. सारे पान खराब हो जा रहे हैं. लॉकडाउन ने कमर तोड़ के रख दी है. उन्होंने बताया कि पहले यहां कई सारे लोग पान की खेती करते थे, लेकिन अब मौसम न हमारे अनुरूप है और न ही अब इस व्यवसाय में उतना फायदा है.

कहीं छोड़ न दें किसाान पान की खेती
इस कारण सभी लोग अब इसे उगाना छोड़ रहे हैं. इसको उगाने में बहुत मेहनत होती है. इसे बारिश, तेज धूप, आंधी सभी से बचना होता है. हर दिन खेत में 8 से 10 घण्टे का काम होता है. इक्का दुक्का कोई व्यापारी आ भी जा रहा है तो पैसा नहीं दे रहा है. हम लोग ढोली के हिसाब से पान बेचते हैं. एक ढोली में 200 पान होता है. छोटी ढोली 30 रुपये की बिकती है और बढ़ी ढोली जिसमें बड़े पान का पत्ता होता है वह 80 रुपये में बिकती है. उन्होंने बताया कि अगर ऐसा ही रहा तो वे अब ये खेती करना बंद कर देंगे.

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