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100 साल पहले बनारस से चोरी हुई मां अन्नपूर्णा की अद्भुत प्रतिमा लौटेगी भारत - maa annapurna statue will be return india

वाराणसी से चोरी कर सात समंदर पार ले जाई गई मां अन्नपूर्णा की प्राचीन कालीन मूर्ति को वाराणसी वापस लाया जाएगा. यह प्रतिमा देवी अन्नपूर्णा की है. इस मूर्ति को एक सदी पहले वाराणसी के घाट से चोरी कर ली गई थी.

मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा
मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा
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Published : Nov 22, 2020, 8:28 AM IST

वाराणसी: लगभग सौ साल पहले वाराणसी से चोरी कर सात समंदर पार ले जाई गई एक प्राचीन काल मूर्ति को फिर से काशी वापस लाया जाएगा. यह प्रतिमा देवी अन्नपूर्णा की है, जो एक सदी पहले वाराणसी के घाट से चोरी हो गई थी. यह मूर्ति कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ रेजिना में मिली थी. 19 से 25 नवंबर तक वर्ल्ड हेरिटेज वीक की शुरुआत के दौरान एक आर्टिस्ट की नजर मूर्ति पर पड़ी और उन्होंने इसका मुद्दा उठाया. अब इस मूर्ति को भारत लाने की तैयारी चल रही है.

कनाडा में है मूर्ति

यह जानकारी राष्ट्रपति और विश्वविद्यालय के उप-कुलपति थॉमस चेस, कनाडा में भारत के उच्चायुक्त अजय बिसारिया के बीच 19 नवंबर को एक समारोह में दी गई. इस समारोह में मैकेंजी आर्ट गैलरी, ग्लोबल अफेयर्स कनाडा और कनाडा बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी के प्रतिनिधि भी शामिल हुए. आर्टिस्ट दिव्या मेहरा ने गैलरी के स्थाई कलेक्शन में पाया कि इस मूर्ति की वसीयत 1936 में मैकेंजी ने करवाई थी और गैलरी के संग्रह में जोड़ा गया था. इसके बाद इसका नाम रखा गया. दिव्या ने मुद्दा उठाया और कहा था कि यह अवैध रूप से कनाडा में लाई गई है. इसके बाद इस मूर्ति को एक बार फिर से भारत लाने की तैयारी की गई है.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अधिकारियों ने जाहिर की खुशी

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अभी संदर्भ में उनके पास फिलहाल कोई जानकारी नहीं है. हालांकि उन्होंने इस पर खुशी जाहिर की है. शोध में सामने आया कि मैकेंजी ने 1913 में भारत की यात्रा की थी. यह मूर्ति उसी के बाद यहां से कनाडा पहुंची. अन्नपूर्णा माता अपने एक हाथ में खीर का पात्र और दूसरे में चम्मच लिए हुए हैं.

वाराणसी: लगभग सौ साल पहले वाराणसी से चोरी कर सात समंदर पार ले जाई गई एक प्राचीन काल मूर्ति को फिर से काशी वापस लाया जाएगा. यह प्रतिमा देवी अन्नपूर्णा की है, जो एक सदी पहले वाराणसी के घाट से चोरी हो गई थी. यह मूर्ति कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ रेजिना में मिली थी. 19 से 25 नवंबर तक वर्ल्ड हेरिटेज वीक की शुरुआत के दौरान एक आर्टिस्ट की नजर मूर्ति पर पड़ी और उन्होंने इसका मुद्दा उठाया. अब इस मूर्ति को भारत लाने की तैयारी चल रही है.

कनाडा में है मूर्ति

यह जानकारी राष्ट्रपति और विश्वविद्यालय के उप-कुलपति थॉमस चेस, कनाडा में भारत के उच्चायुक्त अजय बिसारिया के बीच 19 नवंबर को एक समारोह में दी गई. इस समारोह में मैकेंजी आर्ट गैलरी, ग्लोबल अफेयर्स कनाडा और कनाडा बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी के प्रतिनिधि भी शामिल हुए. आर्टिस्ट दिव्या मेहरा ने गैलरी के स्थाई कलेक्शन में पाया कि इस मूर्ति की वसीयत 1936 में मैकेंजी ने करवाई थी और गैलरी के संग्रह में जोड़ा गया था. इसके बाद इसका नाम रखा गया. दिव्या ने मुद्दा उठाया और कहा था कि यह अवैध रूप से कनाडा में लाई गई है. इसके बाद इस मूर्ति को एक बार फिर से भारत लाने की तैयारी की गई है.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अधिकारियों ने जाहिर की खुशी

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अभी संदर्भ में उनके पास फिलहाल कोई जानकारी नहीं है. हालांकि उन्होंने इस पर खुशी जाहिर की है. शोध में सामने आया कि मैकेंजी ने 1913 में भारत की यात्रा की थी. यह मूर्ति उसी के बाद यहां से कनाडा पहुंची. अन्नपूर्णा माता अपने एक हाथ में खीर का पात्र और दूसरे में चम्मच लिए हुए हैं.

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