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ये है देश का सबसे पढ़ा-लिखा परिवार, डिग्रियों की है भरमार

यूपी के वाराणसी जिले में आब्जर्वर पीस फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. अमर बहादुर सिंह, डॉ. अमरनाथ सिंह, डॉ. अमर ज्योति सिंह एवं इनके पिता आरपी सिंह को शिक्षा के क्षेत्र में सौ से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं. वहीं इन अमर बंधुओं का तीन बार लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज किया गया है.

amar brothers of varanasi
वाराणसी के अमर बंधु.
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Published : Jun 29, 2020, 12:31 PM IST

वाराणसीः काशी ने हमेशा देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को एक नई राह दिखाने का कार्य किया है. मंदिरों का शहर होने के साथ-साथ काशी के विद्वानों ने साहित्य पर बहुत काम किया. आधुनिक हिंदी के जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र, मुंशी प्रेमचंद्र, आचार्य नरेंद्र देव, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, महामना पंडित मदन मोहन मालवीय समेत काशी के कई विद्वानों ने विषम परिस्थितियों में भी भारतीय साहित्य और दर्शन की सेवा की और विकास करने के साथ ही देश को एक नई राह दिखाई. प्राचीन काल से ही काशी में लोग पठन-पाठन और विद्या अर्जन करने आते थे, और यह आज बदस्तूर जारी है.

देश के सबसे पढ़े लिखे परिवार की कहानी

जिले के मीरापुर बसही के रहने वाले अमर बंधुओं ने भी काशी की इसी परंपरा को आगे बढ़ाया है. अमर बंधुओं ने अपनी विद्वता के दम पर सैकड़ों पुरस्कार जीतने के साथ ही कई रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं. इनके घर की दीवारों पर टंगे सैकड़ों प्रमाण पत्र और मेडल इसकी गवाही स्वयं देते हैं. इसके साथ ही देश में सबसे पढ़ें विद्यापति के तौर पर भी इस परिवार को जान जाता है. इस उपलब्धि के लिए 2013 लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने इस परिवार को तीन बार राष्ट्रीय रिकार्ड की श्रेणी में स्थान दिया है.

प्राप्त है डिलीट की उपाधि
शिक्षा के क्षेत्र में सर्वोच्च उपाधि हासिल करने वाले अमर बंधुओं को शुरू से ही पढ़ाई का शौक रहा है. बचपन से ही अमर बंधुओं ने एक दूसरे को देख कर पढ़ाई की है और शिक्षा के क्षेत्र की सर्वोच्च उपाधि डिलीट हासिल की. तीनों अमर बंधुओं ने 2002, 2003 और 2004 में ये उपाधि हासिल की. जिसके लिए लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने भी तीनों भाइयों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया है. डॉ. अमर बहादुर सिंह ने कहा कि हम भाइयों ने शिक्षा जगत की सर्वोच्च उपाधि डिलीट प्राप्त की है. यह पीएचडी के 10 वर्ष बाद प्राप्त होती है.

अलग-अलग क्षेत्र में हैं पारंगत
डॉ. अमर बहादुर सिंह और उनके दो जुड़वा भाई प्रोफेसर अमर ज्योति सिंह और डॉक्टर अमरनाथ सिंह इन तीनों ने अपने क्षेत्र में लगभग डेढ़ सौ से अधिक पुस्तकें लिखी हैं. डॉ. अमरनाथ सिंह इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थाई अधिवक्ता हैं, तो वहीं अमर बहादुर सिंह और अमर ज्योति सिंह नेहरू फर्म भारती विश्वविद्यालय इलाहाबाद में प्रोफेसर हैं और छात्रों को शिक्षा देते हैं.

तीन बार दर्ज हुआ है लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड नाम
अमर बंधुओं को तीन बार लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान प्राप्त है. पहली बार 2005 सबसे पढ़े लिखे भाई के रूप में दूसरी बार 2007 विश्व में सबसे पढ़े-लिखे जुड़वा भाई के रूप और 2013 विश्व में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय डेढ़ सौ से ज्यादा पुरस्कार प्राप्त करने वाले परिवार के रूप नाम दर्ज कराया है.

अमर बंधुओं के परिवार के नाम से बीएचयू देता है छात्रों को मेडल
जो भी लीजेंड पर्सनालिटी होती हैं, बीएचयू उनके नाम से में मेडल देता है. डॉ. अमरनाथ सिंह ने बताया कि, हमारे दादा-दादी और हमारे माता-पिता के साथ हम तीनों भाइयों के नाम पर बीएचयू में टॉपर छात्रों को मेडल दिया जाता है. उन्होंने बताया कि, जो छात्र एलएलएम टॉप करता है उसको मेरे नाम से मेडल दिया जाता है. इसके अलावा एमजे में टॉप करने वाले छात्र को प्रोफेसर अमर बहादुर सिंह के नाम से मेडल दिया जाता है. वहीं जो छात्र एमए सोशलॉजी में सर्वोच्च अंक प्राप्त करता है उसे प्रोफेसर अमर ज्योति सिंह के नाम से मेडल दिया जाता है. साथ ही जो विद्यार्थी एमए पॉलिटिकल साइंस में सर्वोच्च अंक प्राप्त करता है उसे हमारे दादा स्वर्गीय ठाकुर संग्राम सिंह के नाम से मेडल दिया जाता है.
इसे भी पढ़ें- लॉकडाउन में परिवार पालने को मजबूर नेशनल फुटबॉलर को लगाना पड़ा सब्जी का ठेला

वाराणसीः काशी ने हमेशा देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को एक नई राह दिखाने का कार्य किया है. मंदिरों का शहर होने के साथ-साथ काशी के विद्वानों ने साहित्य पर बहुत काम किया. आधुनिक हिंदी के जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र, मुंशी प्रेमचंद्र, आचार्य नरेंद्र देव, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, महामना पंडित मदन मोहन मालवीय समेत काशी के कई विद्वानों ने विषम परिस्थितियों में भी भारतीय साहित्य और दर्शन की सेवा की और विकास करने के साथ ही देश को एक नई राह दिखाई. प्राचीन काल से ही काशी में लोग पठन-पाठन और विद्या अर्जन करने आते थे, और यह आज बदस्तूर जारी है.

देश के सबसे पढ़े लिखे परिवार की कहानी

जिले के मीरापुर बसही के रहने वाले अमर बंधुओं ने भी काशी की इसी परंपरा को आगे बढ़ाया है. अमर बंधुओं ने अपनी विद्वता के दम पर सैकड़ों पुरस्कार जीतने के साथ ही कई रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं. इनके घर की दीवारों पर टंगे सैकड़ों प्रमाण पत्र और मेडल इसकी गवाही स्वयं देते हैं. इसके साथ ही देश में सबसे पढ़ें विद्यापति के तौर पर भी इस परिवार को जान जाता है. इस उपलब्धि के लिए 2013 लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने इस परिवार को तीन बार राष्ट्रीय रिकार्ड की श्रेणी में स्थान दिया है.

प्राप्त है डिलीट की उपाधि
शिक्षा के क्षेत्र में सर्वोच्च उपाधि हासिल करने वाले अमर बंधुओं को शुरू से ही पढ़ाई का शौक रहा है. बचपन से ही अमर बंधुओं ने एक दूसरे को देख कर पढ़ाई की है और शिक्षा के क्षेत्र की सर्वोच्च उपाधि डिलीट हासिल की. तीनों अमर बंधुओं ने 2002, 2003 और 2004 में ये उपाधि हासिल की. जिसके लिए लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने भी तीनों भाइयों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया है. डॉ. अमर बहादुर सिंह ने कहा कि हम भाइयों ने शिक्षा जगत की सर्वोच्च उपाधि डिलीट प्राप्त की है. यह पीएचडी के 10 वर्ष बाद प्राप्त होती है.

अलग-अलग क्षेत्र में हैं पारंगत
डॉ. अमर बहादुर सिंह और उनके दो जुड़वा भाई प्रोफेसर अमर ज्योति सिंह और डॉक्टर अमरनाथ सिंह इन तीनों ने अपने क्षेत्र में लगभग डेढ़ सौ से अधिक पुस्तकें लिखी हैं. डॉ. अमरनाथ सिंह इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थाई अधिवक्ता हैं, तो वहीं अमर बहादुर सिंह और अमर ज्योति सिंह नेहरू फर्म भारती विश्वविद्यालय इलाहाबाद में प्रोफेसर हैं और छात्रों को शिक्षा देते हैं.

तीन बार दर्ज हुआ है लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड नाम
अमर बंधुओं को तीन बार लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान प्राप्त है. पहली बार 2005 सबसे पढ़े लिखे भाई के रूप में दूसरी बार 2007 विश्व में सबसे पढ़े-लिखे जुड़वा भाई के रूप और 2013 विश्व में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय डेढ़ सौ से ज्यादा पुरस्कार प्राप्त करने वाले परिवार के रूप नाम दर्ज कराया है.

अमर बंधुओं के परिवार के नाम से बीएचयू देता है छात्रों को मेडल
जो भी लीजेंड पर्सनालिटी होती हैं, बीएचयू उनके नाम से में मेडल देता है. डॉ. अमरनाथ सिंह ने बताया कि, हमारे दादा-दादी और हमारे माता-पिता के साथ हम तीनों भाइयों के नाम पर बीएचयू में टॉपर छात्रों को मेडल दिया जाता है. उन्होंने बताया कि, जो छात्र एलएलएम टॉप करता है उसको मेरे नाम से मेडल दिया जाता है. इसके अलावा एमजे में टॉप करने वाले छात्र को प्रोफेसर अमर बहादुर सिंह के नाम से मेडल दिया जाता है. वहीं जो छात्र एमए सोशलॉजी में सर्वोच्च अंक प्राप्त करता है उसे प्रोफेसर अमर ज्योति सिंह के नाम से मेडल दिया जाता है. साथ ही जो विद्यार्थी एमए पॉलिटिकल साइंस में सर्वोच्च अंक प्राप्त करता है उसे हमारे दादा स्वर्गीय ठाकुर संग्राम सिंह के नाम से मेडल दिया जाता है.
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