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सर्दियां शुरू होते ही काशी पहुंचे अनोखे मेहमान, उठा रहे मेहमान-नवाजी का लुत्फ

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Published : Nov 26, 2019, 7:07 PM IST

उत्तर प्रदेश के काशी में गुलाबी ठंड ने दस्तक दे दी है. साथ ही साइबेरियन पक्षियों ने गंगा के घाटों की रौनक बढ़ा दी है. यह सफेद रंग के शांत स्वभाव वाले पक्षी लोगों का आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.

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गंगा के घाट पहुंते साइबेरियन पक्षी.

वाराणसी: काशी का घाट इन दिनों अनोखे मेहमानों से गुलजार है. सरहदों को पार कर आई ये साइबेरियन पक्षी इन दिनों काशी की रौनक बढ़ा रही हैं. यह पक्षी हर वर्ष ठंड के समय सात समुंदर पार करते हुए मां गंगा में आकर रौनक बिखेर देते हैं. शांत स्वभाव वाले इन पक्षियों का सफेद रंग लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता है.

गंगा के घाट पहुंते साइबेरियन पक्षी.

गुलाबी ठंड में आते हैं यह साइबेरियन पक्षी
काशी के घाटों पर विदेशी सैलानियों का सैलाब हर साल देखने को मिलाता है. गुलाबी ठंडी के शुरू होते इन साइबेरियन पक्षियों का जमावड़ा भी गंगा की धारा में तैरते हुए एक अलग ही खूबसूरती का एहसास दिलाता है. इन पक्षियों को लेकर लोगों का मानना है कि यह पक्षी शांति के दूत हैं जो शांति का पैगाम लेकर आते हैं.

सेल्फी लेते नजर आते हैं लोग
इन पक्षियों के आने से काशी के घाटों की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं. घाटों पर लोग कहीं सेल्फी लेते नजर आते हैं तो कहीं लोग इन पक्षियों का वीडियो बनाते. लोग इन पक्षियों के लिए अलग-अलग प्रकार के दाने भी ले आते हैं. इन पक्षियों से गंगा में रह रही मछलियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचातीं.

इसे भी पढ़ें- आगरा के बाद अब वाराणसी में भी होगा टूरिस्ट पुलिस स्टेशन

लोग लाते हैं कई प्रकार के दाने
इनकी चहचहाहट की आवाज भी तब तेज होती है जब लोगों द्वारा इन्हें दाना खिलाया जाता है. यह पक्षी गुलाबी ठंडी के आते ही काशी आ जाते हैं और मार्च की गर्मी शुरू होते साइबेरिया का रुख ले लेते हैं.

वाराणसी: काशी का घाट इन दिनों अनोखे मेहमानों से गुलजार है. सरहदों को पार कर आई ये साइबेरियन पक्षी इन दिनों काशी की रौनक बढ़ा रही हैं. यह पक्षी हर वर्ष ठंड के समय सात समुंदर पार करते हुए मां गंगा में आकर रौनक बिखेर देते हैं. शांत स्वभाव वाले इन पक्षियों का सफेद रंग लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता है.

गंगा के घाट पहुंते साइबेरियन पक्षी.

गुलाबी ठंड में आते हैं यह साइबेरियन पक्षी
काशी के घाटों पर विदेशी सैलानियों का सैलाब हर साल देखने को मिलाता है. गुलाबी ठंडी के शुरू होते इन साइबेरियन पक्षियों का जमावड़ा भी गंगा की धारा में तैरते हुए एक अलग ही खूबसूरती का एहसास दिलाता है. इन पक्षियों को लेकर लोगों का मानना है कि यह पक्षी शांति के दूत हैं जो शांति का पैगाम लेकर आते हैं.

सेल्फी लेते नजर आते हैं लोग
इन पक्षियों के आने से काशी के घाटों की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं. घाटों पर लोग कहीं सेल्फी लेते नजर आते हैं तो कहीं लोग इन पक्षियों का वीडियो बनाते. लोग इन पक्षियों के लिए अलग-अलग प्रकार के दाने भी ले आते हैं. इन पक्षियों से गंगा में रह रही मछलियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचातीं.

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लोग लाते हैं कई प्रकार के दाने
इनकी चहचहाहट की आवाज भी तब तेज होती है जब लोगों द्वारा इन्हें दाना खिलाया जाता है. यह पक्षी गुलाबी ठंडी के आते ही काशी आ जाते हैं और मार्च की गर्मी शुरू होते साइबेरिया का रुख ले लेते हैं.

Intro:वाराणसी। वाराणसी के घाट इन दिनों अनोखे मेहमानों के आने से गुलजार है। दुनिया के अलग-अलग कोनों से आए सरहदों को पार कर साइबेरियन पक्षी इन दिनों काशी की रौनक बढ़ा रहे हैं। यूं तो इस शहर में देश विदेश के अलग-अलग कोनों से मेहमान आते रहते हैं, लेकिन यह साइबेरियन पक्षी ऐसे अनोखे मेहमान है जो मां गंगा की शोभा बढ़ाते हैं और सात समंदर पार करके सर्दियों का लुत्फ उठाने बनारस पहुंचते हैं। गंगा की धारा में आने वाले साइबेरियन पक्षियों का सफेद रण लोगों के लिए आकर्षण का भी केंद्र बनता है तो वहीं लोगों की जुबान से यह भी निकलता है कि शांति की इस नगरी में शांत स्वभाव के यह पक्षी अद्भुत सौंदर्य प्रदान करते हैं।


Body:VO1: वैसे तो काशी के गंगा घाटों को देखने विदेशी सैलानी साल भर आते रहते हैं, लेकिन गुलाबी ठंड का एहसास शुरू होते ही सात समंदर पार से साइबेरियन पंछी आना शुरू हो जाते हैं। काशी में हमेशा आने वाले यह अतिथि देव के रूप में शहर वासियों द्वारा देखे जाते हैं और यह सफेद पंछी शांति के दूत हैं, जिनका स्वागत भी कुछ विशेष अंदाज में किया जाता है। लोगों का मानना है कि कई सरहदों को पार करके आए यह साइबेरियन शांति का पैगाम देते हैं। घूमने आने वाले सैलानियों की माने तो यहां का नजारा इन पक्षियों के आने से और अच्छा हो जाता है। कहीं लोग सेल्फी लेते नजर आते हैं तो कहीं इन पंछियों का वीडियो बनाते युवा मां गंगा की लहरों के बीच इन पंछियों के साथ आनंद लेते हैं।

बाइट: वीरेंद्र निषाद, नाविक, गंगा घाट


Conclusion:VO2: बनारस में रहने वाले लोगों का कहना है कि सर्दियों में आने के बाद इन पंछियों के लिए लोग अलग-अलग तरह के दाने लाते हैं। यह पंछी मां गंगा में रह रही मछलियों को कोई हानि नहीं पहुंचाते लेकिन लोगों के हाथ से लाए हुए दानों को खाकर इन की चहचहाहट और बढ़ती हुई सुनाई देती है। अभिवादन का तरीका वहां का मौसम बताएं यहां के लोगों की माने तो माने से पहले शुरू हुई गुलाब जाते हैं और मार्च में गर्मी शुरू होते हैं। वहां से वापस साइबेरिया का रुख करते हैं। इन पंछियों को दाना खिला कर मनोकामना लोगों का मानना है कि मुराद पूरी होती

बाइट: डॉ. आलोक कुमार, सोशल रिसर्चर

नोट: इस खबर के विसुअल्स और बाइट LiveU से Siberian Birds Varanasi नाम के फोल्डर से भेजे गये हैं, कृपया चेक कर लें।

Regards
Arnima Dwivedi
Varanasi
7523863236
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