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राम मंदिर निर्माण शुरू होने से पहले काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन की घोषणा

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण शुरू होने से पहले उत्तर प्रदेश के वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन की घोषणा हुई है. याचिकाकर्ता सुधीर सिंह ने आंदोलन की शुरुआत कर सिविल जज सीनियर डिवीजन के कोर्ट में एक वाद दाखिल किया है, जिसमें मुगलकाल में मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनाए जाने की बात कही गई है और मुस्लिम पक्षकारों से ज्ञानवापी मस्जिद को हिंदुओं को सुपुर्द करने की अपील की गई है.

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श्री काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन की घोषणा
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Published : Feb 20, 2020, 7:19 AM IST

Updated : Sep 22, 2022, 1:09 PM IST

वाराणसी: अयोध्या में राम मंदिर को लेकर आए फैसले के बाद अब जिले के काशी विश्वनाथ मंदिर के पास मौजूद ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर एक के बाद एक नया विवाद सामने आ रहा है. दरअसल बीते दिनों हिंदू पक्षकारों की तरफ से कोर्ट में मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराए जाने को लेकर अभी सुनवाई शुरू भी नहीं हो पाई है कि इसी बीच श्री काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन करने की तैयारी की जाने लगी है.

पहले सपा फिर शिवपाल सिंह यादव की पार्टी में शामिल होने वाले वाराणसी के सुधीर सिंह ने इस आंदोलन की शुरुआत कर सिविल जज सीनियर डिवीजन के कोर्ट में एक वाद दाखिल किया है, जिसमें उन्होंने मुगलकाल में मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनाए जाने की बात कहते हुए मुस्लिम पक्षकारों से ज्ञानवापी मस्जिद को हिंदुओं को सुपुर्द करने की अपील की है.

याचिकाकर्ता ने कही ये बातें
इस बारे में याचिकाकर्ता सुधीर सिंह ने बताया कि काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन की शुरुआत महाशिवरात्रि यानी 21 फरवरी से वह वाराणसी में करने जा रहे हैं. साथ ही उनका कहना है कि यह आंदोलन तब तक चलेगा, जब तक हमें सफलता नहीं मिल जाती.

'मंदिर तोड़कर किया गया निर्माण'
सुधीर सिंह का कहना है कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अनादि काल से है और इस बात का सबूत साफ तौर पर दिखता है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर किया गया. मस्जिद के पीछे हिस्से में मंदिर के सबूत साफ तौर पर दिखाई देते हैं. कोर्ट में पुरातात्विक सर्वेक्षण कराए जाने को लेकर चल रही बहस पर कोई कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है.

मुस्लिम पक्षकार से धर्म स्थल सौंपने की अपील
उन्होंने कहा कि राम मंदिर के लिए बाबरी मस्जिद के स्थान का पुरातात्विक सर्वेक्षण खोदकर कराए गए मलबे के आधार पर हुआ था, लेकिन यहां पर तो सामने सब कुछ प्रत्यक्ष दिख रहा है तो फिर क्यों जबरदस्ती की कानूनी कार्रवाई की जाए. इसलिए हम यह चाहते हैं कि वाराणसी के मुस्लिम पक्षकार जो बहुत समझदार और मिल-जुलकर रहने वाले लोग हैं, वे स्वयं से हिंदुओं के धर्मस्थल को उनके सुपुर्द कर दें, ताकि एकता की मिसाल कायम रहे.

'महाशिवरात्रि से होगी आंदोलन की शुरुआत'
उन्होंने बताया कि इसे लेकर महाशिवरात्रि से आंदोलन की शुरुआत होगी. इसके अलावा महाशिवरात्रि के मौके पर ही समिति के सदस्यों और हिंदू भाइयों द्वारा शाम 8:00 बजे से अस्सी घाट पर एकत्र होकर डमरू और शंख का उद्घोष शुरू किया जाएगा.

लोगों को किया जाएगा जागरूक
याचिकाकर्ता का कहना है कि 22 फरवरी को मुफ्ती-ए-बनारस को अनुरोध पत्र देकर उनसे भी समर्थन की अपील की जाएगी. 23 फरवरी को 11:00 बजे से केदार मंदिर में जलाभिषेक का कार्यक्रम होगा और हर सोमवार को काशी के विभिन्न शिवालयों में जलाभिषेक कर इस आंदोलन को आगे बढ़ाने का काम किया जाएगा. साथ ही इस आंदोलन से जन-जन जुड़े, इसके लिए भी लगातार लोगों के बीच जाकर जागरूक करने का कार्य किया जाएगा.

वाराणसी: अयोध्या में राम मंदिर को लेकर आए फैसले के बाद अब जिले के काशी विश्वनाथ मंदिर के पास मौजूद ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर एक के बाद एक नया विवाद सामने आ रहा है. दरअसल बीते दिनों हिंदू पक्षकारों की तरफ से कोर्ट में मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराए जाने को लेकर अभी सुनवाई शुरू भी नहीं हो पाई है कि इसी बीच श्री काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन करने की तैयारी की जाने लगी है.

पहले सपा फिर शिवपाल सिंह यादव की पार्टी में शामिल होने वाले वाराणसी के सुधीर सिंह ने इस आंदोलन की शुरुआत कर सिविल जज सीनियर डिवीजन के कोर्ट में एक वाद दाखिल किया है, जिसमें उन्होंने मुगलकाल में मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनाए जाने की बात कहते हुए मुस्लिम पक्षकारों से ज्ञानवापी मस्जिद को हिंदुओं को सुपुर्द करने की अपील की है.

याचिकाकर्ता ने कही ये बातें
इस बारे में याचिकाकर्ता सुधीर सिंह ने बताया कि काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन की शुरुआत महाशिवरात्रि यानी 21 फरवरी से वह वाराणसी में करने जा रहे हैं. साथ ही उनका कहना है कि यह आंदोलन तब तक चलेगा, जब तक हमें सफलता नहीं मिल जाती.

'मंदिर तोड़कर किया गया निर्माण'
सुधीर सिंह का कहना है कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अनादि काल से है और इस बात का सबूत साफ तौर पर दिखता है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर किया गया. मस्जिद के पीछे हिस्से में मंदिर के सबूत साफ तौर पर दिखाई देते हैं. कोर्ट में पुरातात्विक सर्वेक्षण कराए जाने को लेकर चल रही बहस पर कोई कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है.

मुस्लिम पक्षकार से धर्म स्थल सौंपने की अपील
उन्होंने कहा कि राम मंदिर के लिए बाबरी मस्जिद के स्थान का पुरातात्विक सर्वेक्षण खोदकर कराए गए मलबे के आधार पर हुआ था, लेकिन यहां पर तो सामने सब कुछ प्रत्यक्ष दिख रहा है तो फिर क्यों जबरदस्ती की कानूनी कार्रवाई की जाए. इसलिए हम यह चाहते हैं कि वाराणसी के मुस्लिम पक्षकार जो बहुत समझदार और मिल-जुलकर रहने वाले लोग हैं, वे स्वयं से हिंदुओं के धर्मस्थल को उनके सुपुर्द कर दें, ताकि एकता की मिसाल कायम रहे.

'महाशिवरात्रि से होगी आंदोलन की शुरुआत'
उन्होंने बताया कि इसे लेकर महाशिवरात्रि से आंदोलन की शुरुआत होगी. इसके अलावा महाशिवरात्रि के मौके पर ही समिति के सदस्यों और हिंदू भाइयों द्वारा शाम 8:00 बजे से अस्सी घाट पर एकत्र होकर डमरू और शंख का उद्घोष शुरू किया जाएगा.

लोगों को किया जाएगा जागरूक
याचिकाकर्ता का कहना है कि 22 फरवरी को मुफ्ती-ए-बनारस को अनुरोध पत्र देकर उनसे भी समर्थन की अपील की जाएगी. 23 फरवरी को 11:00 बजे से केदार मंदिर में जलाभिषेक का कार्यक्रम होगा और हर सोमवार को काशी के विभिन्न शिवालयों में जलाभिषेक कर इस आंदोलन को आगे बढ़ाने का काम किया जाएगा. साथ ही इस आंदोलन से जन-जन जुड़े, इसके लिए भी लगातार लोगों के बीच जाकर जागरूक करने का कार्य किया जाएगा.

Last Updated : Sep 22, 2022, 1:09 PM IST
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