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ब्रह्मचारिणी मां के दर्शन मात्र से पूरी होती हैं सभी इच्छाएं, इस मंत्र से करें आराधना

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Published : Apr 3, 2022, 12:48 PM IST

प्रथम दिन जहां माता शैलपुत्री का दर्शन पूजन संपन्न हुआ, वहीं आज दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी के दर्शन का विधान है. ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि देवी ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जप की माला होती है और बाएं हाथ में कमंडल रहता है. माता ब्रह्मचारिणी को कमल व सफेद फूल बेहद पसंद है.

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ब्रह्मचारिणी मां

वाराणसी: नवरात्र का पावन पर्व चल रहा है और नवरात्र के इस पावन पर्व पर 9 दिन नौ अलग-अलग रूपों का दर्शन करके भक्त अपने आप को सौभाग्यशाली मानते हैं. प्रथम दिन जहां माता शैलपुत्री का दर्शन पूजन संपन्न हुआ, वहीं आज दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी के दर्शन का विधान है. माता ब्रह्मचारिणी के दर्शन मात्र से जीवन में खुशहाली आती है. माता ब्रह्मचारिणी को कमल व सफेद फूल बेहद पसंद है.

ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि देवी ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जप की माला होती है और बाएं हाथ में कमंडल रहता है. देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप हैं अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप हैं. ये देवी भगवती दुर्गा, शिवस्वरूपा, गणेशजननी, नारायनी, विष्णुमाया और पूर्ण ब्रह्मस्वरूपिणी के नाम से प्रसिद्ध हैं. माता ब्रह्मचारिणी को कमल का पुष्प व सफेद फूल बेहद पसंद है. उनकी आराधना विशेष तौर पर कमल की फूल से करना विशेष फलदाई माना जाता है. इसके साथ ही माता ब्रह्मचारिणी को नारियल से बनी मिठाइयों का भोग लगाने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.

यह भी पढ़ें- या देवी सर्वभुतेषु... नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की ऐसे करें पूजन, चढ़ाएं यह अतिप्रिय चीजें


इस मंत्र से करें देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना
दधाना करपद्माभ्यामक्ष माला कमंडलु।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिणय नुत्तमा।

वंदे वांछित लाभयचंद्रर्घ्रकृत शेखराम।
जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम।

देवी ब्रह्मचारिणी को चढ़ाएं यह
देवी को सफेद पुष्प या कमल के साथ आराधना विशेष फलदाई होती है. माता ब्रह्मचारिणी को रुद्राक्ष बेहद पसंद है, इसलिए उनको रुद्राक्ष की माला यदि संभव हो तो चढ़ाएं, यदि रुद्राक्ष की माला ना हो तो कम से कम एक दाना रुद्राक्ष का उन्हें अर्पित जरूर करें. इसके साथ ही साथ माता ब्रह्मचारिणी के आगे नारियल की बनी मिठाईयों का भोग लगाएं और एक नारियल चढ़ाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें.

माता ब्रह्मचारिणी की आराधना का महत्व
देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है. जीवन की कठिन समय में भी उसका मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता है. देवी अपने साधकों की मलिनता, दुर्गुणों ओर दोषों को दूर करती हैं. देवी की कृपा से सर्वत्र सिद्धि और विजय प्राप्त होती है.

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वाराणसी: नवरात्र का पावन पर्व चल रहा है और नवरात्र के इस पावन पर्व पर 9 दिन नौ अलग-अलग रूपों का दर्शन करके भक्त अपने आप को सौभाग्यशाली मानते हैं. प्रथम दिन जहां माता शैलपुत्री का दर्शन पूजन संपन्न हुआ, वहीं आज दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी के दर्शन का विधान है. माता ब्रह्मचारिणी के दर्शन मात्र से जीवन में खुशहाली आती है. माता ब्रह्मचारिणी को कमल व सफेद फूल बेहद पसंद है.

ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि देवी ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जप की माला होती है और बाएं हाथ में कमंडल रहता है. देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप हैं अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप हैं. ये देवी भगवती दुर्गा, शिवस्वरूपा, गणेशजननी, नारायनी, विष्णुमाया और पूर्ण ब्रह्मस्वरूपिणी के नाम से प्रसिद्ध हैं. माता ब्रह्मचारिणी को कमल का पुष्प व सफेद फूल बेहद पसंद है. उनकी आराधना विशेष तौर पर कमल की फूल से करना विशेष फलदाई माना जाता है. इसके साथ ही माता ब्रह्मचारिणी को नारियल से बनी मिठाइयों का भोग लगाने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.

यह भी पढ़ें- या देवी सर्वभुतेषु... नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की ऐसे करें पूजन, चढ़ाएं यह अतिप्रिय चीजें


इस मंत्र से करें देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना
दधाना करपद्माभ्यामक्ष माला कमंडलु।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिणय नुत्तमा।

वंदे वांछित लाभयचंद्रर्घ्रकृत शेखराम।
जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम।

देवी ब्रह्मचारिणी को चढ़ाएं यह
देवी को सफेद पुष्प या कमल के साथ आराधना विशेष फलदाई होती है. माता ब्रह्मचारिणी को रुद्राक्ष बेहद पसंद है, इसलिए उनको रुद्राक्ष की माला यदि संभव हो तो चढ़ाएं, यदि रुद्राक्ष की माला ना हो तो कम से कम एक दाना रुद्राक्ष का उन्हें अर्पित जरूर करें. इसके साथ ही साथ माता ब्रह्मचारिणी के आगे नारियल की बनी मिठाईयों का भोग लगाएं और एक नारियल चढ़ाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें.

माता ब्रह्मचारिणी की आराधना का महत्व
देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है. जीवन की कठिन समय में भी उसका मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता है. देवी अपने साधकों की मलिनता, दुर्गुणों ओर दोषों को दूर करती हैं. देवी की कृपा से सर्वत्र सिद्धि और विजय प्राप्त होती है.

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