वाराणसी: कबीरा खड़ा बाजार में मांगे सबकी खैर, ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर, कबीर दास जिनकी वाणी और कही गई बातें आज के युग में बिल्कुल सत्य साबित हो रही हैं. राम को अपने जीवन का सबसे मजबूत आधार बनाकर अपनी रचनाओं को गढ़ने वाले कबीर का प्राकट्य काशी में माना जाता है. काशी के लहरतारा इलाके में वह तालाब आज भी मौजूद है, जहां पर कबीर का उद्भव हुआ था. लेकिन समय के हिसाब से यह तालाब बदहाली की स्थिति में पहुंचता जा रहा था. लगभग 17 एकड़ में फैले तालाब का अधिकांश हिस्सा इन दिनों कब्जे की जद में है. इस तालाब को अब एक बार फिर से पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की तैयारी की गई है. 7 करोड़ रुपये केंद्र सरकार और राज्य सरकार के 50 लाख रुपये के बजट से कबीर के इस उद्भव स्थल को बेहद सुंदर और शानदार बनाया जा रहा है.
दरअसल, कबीर जिस तालाब किनारे मिले थे, वह हमेशा से उपेक्षा का शिकार रहा है. सरकार एक के बाद एक बदलती रही लेकिन इस ओर किसी ने कभी ध्यान नहीं दिया. ईटीवी भारत ने भी पिछले दिनों इस बदहाली की तस्वीर दिखाने की कोशिश की थी. लगातार प्रयासों के बाद अब तालाब का सुंदरीकरण शुरू हो चुका है.
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2 एकड़ तालाब का बदलेगा स्वरूप
कबीर प्राकट्य स्थल के महंत आचार्य गोविंद दास शास्त्री का कहना है कि आने वाले वक्त में कबीर का यह पवित्र स्थल पर्यटकों के लिए बड़ा केंद्र बनेगा. 2 एकड़ का जो तालाब पूरी कब्जे से मुक्त है, उसके चारों तरफ लाल पत्थरों का नकाशीदार घाट तैयार किया जा रहा है. इसी स्थान पर कबीर पथ भी बनाया जाएगा. जहां पर कबीर की वाणी और कबीर के दोहे स्पीकर्स पर लगातार सुनाई देते रहेंगे. इसके साथ यहां आने वाले लोग शानदार लाइटिंग और फव्वारों के साथ घाट पर चहलकदमी करते हुए कबीर को जान सकेंगे.
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मठ में बनेगा गेस्ट हाउस
इसके अलावा कबीर मठ जहां पर कबीर का बचपन बीता और अपने माता-पिता के साथ लंबा वक्त बिताया था, उस स्थान को भी राज्य सरकार की तरफ से विकसित किया जा रहा है. कबीर का जहां मंदिर है, उस स्थान पर चारों तरफ से छत गेस्ट हाउस पार्किंग और अन्य सुविधाएं बनाई जा रही हैं, ताकि यहां आने वाले पर्यटकों को किसी तरह की परेशानी न हो. प्राकट्य स्थल के महंत का कहना है कि सबसे सुंदर तालाब का वह हिस्सा होगा. जिसमें पर्यटक घाट के रास्ते से पानी पर बनाए गए पतले से पुल से होते हुए तालाब के बीचो-बीच कमल पुष्प पर विराजमान कबीर साहब के दर्शन करने के लिए पहुंचेंगे. यह बेहद ही सुंदर तरीके से तैयार कराया जा रहा है. जो आने वाले दिसंबर महीने तक पूरा भी हो जाएगा. नए साल पर पर्यटक कबीर के बारे में जानने और समझने के लिए यहां आकर एक नया अनुभाव भी पा सकेंगे.