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सेना भर्ती में अब संस्कृत के विद्यार्थियों को नही होगी समस्या, विश्वविद्यालय ने उठाया ये कदम....

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Published : Jan 23, 2022, 8:31 PM IST

सेना में धर्मगुरु के पद पर भर्ती के लिए अब शास्त्री के विद्यार्थियों को समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा. इसके लिए काशी के संपूर्णानंद विश्वविद्यालय ने एक अहम फैसला किया है. चलिए जानते हैं इस बारे में.

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सेना भर्ती में अब संस्कृत के विद्यार्थियों को नही होगी समस्या.

वाराणसीः सेना में धर्मगुरु के पद पर भर्ती के लिए अब शास्त्री के विद्यार्थियों को समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा. जी हां, संपूर्णानंद विश्वविद्यालय ने वर्ष 2022 से शास्त्री की उपाधि पर स्नातक भी अंकित करने का निर्णय लिया है जिससे उन्हें भी स्नातक के समकक्ष लिखित रूप से माना जाए.

गौरतलब है कि बीते दिनों सेना में धर्मगुरु के पद की भर्ती के लिए अभ्यर्थियों को स्नातक के समकक्ष न मानते हुए भर्ती की प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया था, जिसके बाद इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था.




इस बाबत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर हरे राम त्रिपाठी ने बताया कि विद्यार्थियों की समस्या को देखते हुए एक बैठक कर सर्वसम्मति से यह सहमति बनाई गई है कि 2022 से शास्त्री उपाधि में बीए अंकित किया जाएगा. इस तरह अब शास्त्री उपाधि धारक बीए स्नातक भी कहे जाएंगे.

इसके साथ ही पूर्व मध्यमा को हाईस्कूल व उत्तर मध्यमा की इंटरमीडिएट की अंकित उपाधि भी प्राप्त की जा सकेगी. विश्वविद्यालय ने छात्र हित में यह फैसला किया है.इसके लिए विधिक रुप से मैं समर्पित हूं और मुझसे संस्कृत के अभ्युदय के लिए यथासंभव जो भी हो सकेगा मैं वह करूंगा.

ये भी पढ़ेंः चंद्रशेखर आजाद बोले-अखिलेश यादव मेरे बड़े भाई, उनके खिलाफ नहीं उतारूंगा प्रत्याशी...





उन्होंने बताया कि बीते दिनों इस संस्था से शास्त्री की उपाधि ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों को सेना में धर्मगुरु के पद पर चयन करने के लिए स्नातक ना मानते हुए उनकी उपाधि अस्वीकार कर दी थी.

इस मामले के संज्ञान में आते ही रक्षा मंत्री डॉ राजनाथ सिंह से मिलकर इस समस्या के स्थाई निराकरण करने का अनुरोध किया गया. इसके साथ ही सेना के प्रमुख सेना मुख्यालय चयन बोर्ड को लिखित पत्र व ईमेल भेजा गया था. इन सबको लेकर रक्षा मंत्री ने अप्रैल तक इसके स्थाई निराकरण की सहमति भी दी थी.



विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया कि इसके अतिरिक्त जो विद्यार्थी सेना में धर्मगुरु के लिए अभ्यार्थी रहे हैं,उनके द्वारा मांगने पर एक प्रारूप के तहत विश्वविद्यालय शास्त्री की बीए के समकक्षता पर लिखित प्रमाण पत्र देगा जो कि कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक के द्वारा हस्ताक्षर प्रमाणित होगा. इसके पूर्व आचार्य में एमए जोड़ा जा चुका है, जो कि आचार्य व एमए स्नाकोत्तर के उपाधि धारक कहे जाते हैं.


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वाराणसीः सेना में धर्मगुरु के पद पर भर्ती के लिए अब शास्त्री के विद्यार्थियों को समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा. जी हां, संपूर्णानंद विश्वविद्यालय ने वर्ष 2022 से शास्त्री की उपाधि पर स्नातक भी अंकित करने का निर्णय लिया है जिससे उन्हें भी स्नातक के समकक्ष लिखित रूप से माना जाए.

गौरतलब है कि बीते दिनों सेना में धर्मगुरु के पद की भर्ती के लिए अभ्यर्थियों को स्नातक के समकक्ष न मानते हुए भर्ती की प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया था, जिसके बाद इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था.




इस बाबत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर हरे राम त्रिपाठी ने बताया कि विद्यार्थियों की समस्या को देखते हुए एक बैठक कर सर्वसम्मति से यह सहमति बनाई गई है कि 2022 से शास्त्री उपाधि में बीए अंकित किया जाएगा. इस तरह अब शास्त्री उपाधि धारक बीए स्नातक भी कहे जाएंगे.

इसके साथ ही पूर्व मध्यमा को हाईस्कूल व उत्तर मध्यमा की इंटरमीडिएट की अंकित उपाधि भी प्राप्त की जा सकेगी. विश्वविद्यालय ने छात्र हित में यह फैसला किया है.इसके लिए विधिक रुप से मैं समर्पित हूं और मुझसे संस्कृत के अभ्युदय के लिए यथासंभव जो भी हो सकेगा मैं वह करूंगा.

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उन्होंने बताया कि बीते दिनों इस संस्था से शास्त्री की उपाधि ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों को सेना में धर्मगुरु के पद पर चयन करने के लिए स्नातक ना मानते हुए उनकी उपाधि अस्वीकार कर दी थी.

इस मामले के संज्ञान में आते ही रक्षा मंत्री डॉ राजनाथ सिंह से मिलकर इस समस्या के स्थाई निराकरण करने का अनुरोध किया गया. इसके साथ ही सेना के प्रमुख सेना मुख्यालय चयन बोर्ड को लिखित पत्र व ईमेल भेजा गया था. इन सबको लेकर रक्षा मंत्री ने अप्रैल तक इसके स्थाई निराकरण की सहमति भी दी थी.



विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया कि इसके अतिरिक्त जो विद्यार्थी सेना में धर्मगुरु के लिए अभ्यार्थी रहे हैं,उनके द्वारा मांगने पर एक प्रारूप के तहत विश्वविद्यालय शास्त्री की बीए के समकक्षता पर लिखित प्रमाण पत्र देगा जो कि कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक के द्वारा हस्ताक्षर प्रमाणित होगा. इसके पूर्व आचार्य में एमए जोड़ा जा चुका है, जो कि आचार्य व एमए स्नाकोत्तर के उपाधि धारक कहे जाते हैं.


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