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'संगीत संत पद्म विभूषण छन्नू लाल मिश्र' पुस्तक का विमोचन - वाराणसी समाचार

यूपी के वाराणसी में पद्म विभूषण शास्त्रीय संगीत गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र महाराज की जीवन पर आधारित पुस्तक 'संगीत संत पद्म विभूषण छन्नू लाल मिश्र' नामक पुस्तक का विमोचन किया गया. यह पुस्तक पंडित छन्नू लाल मिश्र की पुत्री नम्रता मिश्रा ने किताब लिखी है.

पंडित छन्नूलाल मिश्र महाराज.
पंडित छन्नूलाल मिश्र महाराज.
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Published : Mar 16, 2021, 8:00 PM IST

वाराणसीः पद्म विभूषण शास्त्रीय संगीत गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र महाराज की जीवन पर आधारित पुस्तक 'संगीत संत पद्म विभूषण छन्नू लाल मिश्र' नामक पुस्तक का विमोचन रविवार को रथयात्रा स्थित एक सभागार में किया गया. यह पुस्तक पंडित छन्नू लाल मिश्र की पुत्री नम्रता मिश्रा ने किताब लिखी है. पं. छन्नूलाल किराना घराना और बनारस घराना की गायकी के प्रतिनिधि कलाकार हैं. पुस्तक विमोचन में कार्यक्रम में संपूर्णानंद के कुलपति राजाराम शुक्ल, पद्म विभूषण पंडित राजन मिश्र, पंडित साजन मिश्र, संकट मोचन मंदिर के महंत विशंभर नाथ मिश्र शामिल थे.

10 साल में पुत्री ने लिखी किताब
'संगीत संत पद्म विभूषण छन्नू लाल मिश्र' पुस्तक लिखने वाली नम्रता मिश्रा आरसीए विमेंस कॉलेज मथुरा में वोकल विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं. इस किताब को लिखने में 10 साल का समय लगा है. इस किताब में पंडित छन्नू लाल मिश्र के संगीत अध्ययन से लेकर आध्यत्म से जुड़ाव के बारे में जिक्र किया गया है. उनके गुरु कौन है, कैसे शिक्षा प्राप्त की है सबका जिक्र किया गया है.

हरिहरपुर गांव से निकलकर विश्व प्रसिद्ध कलाकार बनने की कहानी
नम्रता मिश्रा बताती हैं कि 'संगीत संत पद्म विभूषण पंडित छन्नू लाल मिश्र' पुस्तक में बताया गया है की उनका जीवन कितना कष्ट भरा रहा है. उन्होंने संगीत की शिक्षा कितनी मुश्किलों से पाए और किस तरह आजमगढ़ के हरिहरपुर गांव से निकलकर आज विश्व प्रसिद्ध कलाकार और पद्मभूषण से सम्मानित है. नम्रता बताती हैं कि मैंने पिताजी को बचपन से देखा है. वह सारी चीजें, अपना अनुभव जब से होश संभाला है, तबसे अपने पिताजी के बारे में तो मुझे लगता था कि यह बात सबको मालूम होना चाहिए. ज्ञान अध्यात्मिक की बातें जो किसी पुस्तक में नहीं है. वह सबको मालूम होनी चाहिए.

बनारस की संगीत परंपरा
नर्मता पंडित छन्नू लाल मिश्र के बारे में आगे बताती है की इसमें कोई दो राय नहीं है कि बनारस की ठुमरी, चैयती एवं कजरी इसके स्तंभ माने जाते हैं. उनकी विशेष पहचान है. बनारस की संगीत परंपरा को इस पुस्तक में मैंने काफी विस्तार से लिखा है, पिताजी ने संगीत की शिक्षा कहां से ली उनके गुरु कौन थे, आध्यात्मिक गुरु कौन हैं. उन्होंने सिद्धांत किससे सीखा और कैसे पढ़ा. आज यहां तक कैसे पहुंचे, सारी बातों का जिक्र पुस्तक में किया गया है. संगीत एवं अध्यात्म में पिताजी का काफी बल रहा है. वह अध्यात्म और संगीत को जोड़कर ही बताते हैं. इसीलिए पुस्तक का जो शीर्षक है संगीत संत लिखा है.

वाराणसीः पद्म विभूषण शास्त्रीय संगीत गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र महाराज की जीवन पर आधारित पुस्तक 'संगीत संत पद्म विभूषण छन्नू लाल मिश्र' नामक पुस्तक का विमोचन रविवार को रथयात्रा स्थित एक सभागार में किया गया. यह पुस्तक पंडित छन्नू लाल मिश्र की पुत्री नम्रता मिश्रा ने किताब लिखी है. पं. छन्नूलाल किराना घराना और बनारस घराना की गायकी के प्रतिनिधि कलाकार हैं. पुस्तक विमोचन में कार्यक्रम में संपूर्णानंद के कुलपति राजाराम शुक्ल, पद्म विभूषण पंडित राजन मिश्र, पंडित साजन मिश्र, संकट मोचन मंदिर के महंत विशंभर नाथ मिश्र शामिल थे.

10 साल में पुत्री ने लिखी किताब
'संगीत संत पद्म विभूषण छन्नू लाल मिश्र' पुस्तक लिखने वाली नम्रता मिश्रा आरसीए विमेंस कॉलेज मथुरा में वोकल विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं. इस किताब को लिखने में 10 साल का समय लगा है. इस किताब में पंडित छन्नू लाल मिश्र के संगीत अध्ययन से लेकर आध्यत्म से जुड़ाव के बारे में जिक्र किया गया है. उनके गुरु कौन है, कैसे शिक्षा प्राप्त की है सबका जिक्र किया गया है.

हरिहरपुर गांव से निकलकर विश्व प्रसिद्ध कलाकार बनने की कहानी
नम्रता मिश्रा बताती हैं कि 'संगीत संत पद्म विभूषण पंडित छन्नू लाल मिश्र' पुस्तक में बताया गया है की उनका जीवन कितना कष्ट भरा रहा है. उन्होंने संगीत की शिक्षा कितनी मुश्किलों से पाए और किस तरह आजमगढ़ के हरिहरपुर गांव से निकलकर आज विश्व प्रसिद्ध कलाकार और पद्मभूषण से सम्मानित है. नम्रता बताती हैं कि मैंने पिताजी को बचपन से देखा है. वह सारी चीजें, अपना अनुभव जब से होश संभाला है, तबसे अपने पिताजी के बारे में तो मुझे लगता था कि यह बात सबको मालूम होना चाहिए. ज्ञान अध्यात्मिक की बातें जो किसी पुस्तक में नहीं है. वह सबको मालूम होनी चाहिए.

बनारस की संगीत परंपरा
नर्मता पंडित छन्नू लाल मिश्र के बारे में आगे बताती है की इसमें कोई दो राय नहीं है कि बनारस की ठुमरी, चैयती एवं कजरी इसके स्तंभ माने जाते हैं. उनकी विशेष पहचान है. बनारस की संगीत परंपरा को इस पुस्तक में मैंने काफी विस्तार से लिखा है, पिताजी ने संगीत की शिक्षा कहां से ली उनके गुरु कौन थे, आध्यात्मिक गुरु कौन हैं. उन्होंने सिद्धांत किससे सीखा और कैसे पढ़ा. आज यहां तक कैसे पहुंचे, सारी बातों का जिक्र पुस्तक में किया गया है. संगीत एवं अध्यात्म में पिताजी का काफी बल रहा है. वह अध्यात्म और संगीत को जोड़कर ही बताते हैं. इसीलिए पुस्तक का जो शीर्षक है संगीत संत लिखा है.

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