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पटाखे पर पाबंदी से संतों में नाराजगी, सीएम को लिखा पत्र

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में पटाखे पर पाबंदी को लेकर संत समाज ने नाराजगी जाहिर की है. संतों ने नाराजगी जताते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. संतों ने एक दिन के लिए पटाखे जलाने की अनुमति मांगी है.

संतों ने जताई नाराजगी.
संतों ने जताई नाराजगी.
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Published : Nov 12, 2020, 8:07 AM IST

वाराणसी: एनजीटी की तरफ से प्रदेश के 13 शहरों में पटाखों पर पाबंदी लगा दी गई है. इसके बाद अब इसका विरोध भी शुरू हो गया है. पटाखों पर पाबंदी वाले शहरों में वाराणसी भी शामिल है और धर्म नगरी में इसे लेकर संत विरोध में आ गए हैं. संतों ने इसके लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी भी जाहिर की है. इसमें अखिल भारतीय संत समिति और पातालपुरी मठ के संत विरोध में शामिल हैं.

संतों ने जताई नाराजगी.

इस आदेश के खिलाफ संतों ने एक बैठक कर इसका विरोध शुरू किया है. पतालपुरी मठ के महंत बालकदास ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में लिखा गया है कि सिर्फ दिवाली पर पटाखे बजाने पर ही प्रदूषण होता है, जबकि कल-कारखानों व गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाता है. ऐसे में सिर्फ एक दिन पटाखों की अनुमति दी जाए.

उन्होंने कहा कि अन्य धर्म में त्यौहार हैं, जिनसे प्रदूषण सबसे ज्यादा फैलता है तो फिर हिंदू धर्म के त्यौहार ही क्यों निशाने पर होते हैं. होली पर पानी तो दीपावली पर पटाखे पर रोक लगाई जाती है. तो क्या हम अपना धर्म और अपनी संस्कृति निभाना बंद कर दें.

संत समिति भी विरोध में

पटाखों पर रोक के बाद अखिल भारतीय संत समिति ने सोशल मीडिया पर अपना विरोध दर्ज कर दिया है. इसके बाद अब काशी के संत भी खासा नाराज हैं. ऐसे में सरकार इस विरोध को कितनी गम्भीरता से लेती है, यह तो आने वाला वक्त बताएगा. लेकिन संतों की नाराजगी काफी गम्भीर है.

वाराणसी: एनजीटी की तरफ से प्रदेश के 13 शहरों में पटाखों पर पाबंदी लगा दी गई है. इसके बाद अब इसका विरोध भी शुरू हो गया है. पटाखों पर पाबंदी वाले शहरों में वाराणसी भी शामिल है और धर्म नगरी में इसे लेकर संत विरोध में आ गए हैं. संतों ने इसके लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी भी जाहिर की है. इसमें अखिल भारतीय संत समिति और पातालपुरी मठ के संत विरोध में शामिल हैं.

संतों ने जताई नाराजगी.

इस आदेश के खिलाफ संतों ने एक बैठक कर इसका विरोध शुरू किया है. पतालपुरी मठ के महंत बालकदास ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में लिखा गया है कि सिर्फ दिवाली पर पटाखे बजाने पर ही प्रदूषण होता है, जबकि कल-कारखानों व गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाता है. ऐसे में सिर्फ एक दिन पटाखों की अनुमति दी जाए.

उन्होंने कहा कि अन्य धर्म में त्यौहार हैं, जिनसे प्रदूषण सबसे ज्यादा फैलता है तो फिर हिंदू धर्म के त्यौहार ही क्यों निशाने पर होते हैं. होली पर पानी तो दीपावली पर पटाखे पर रोक लगाई जाती है. तो क्या हम अपना धर्म और अपनी संस्कृति निभाना बंद कर दें.

संत समिति भी विरोध में

पटाखों पर रोक के बाद अखिल भारतीय संत समिति ने सोशल मीडिया पर अपना विरोध दर्ज कर दिया है. इसके बाद अब काशी के संत भी खासा नाराज हैं. ऐसे में सरकार इस विरोध को कितनी गम्भीरता से लेती है, यह तो आने वाला वक्त बताएगा. लेकिन संतों की नाराजगी काफी गम्भीर है.

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