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जम्मू-कश्मीर में मंदिरों के पुनर्निर्माण के फैसले का संतों ने किया स्वागत

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में अखिल भारतीय संत समिति ने जम्मू-कश्मीर में ध्वस्त मंदिरों का पुनर्निर्माण किये जाने के सरकार के फैसले का स्वागत किया है. अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि मंदिरों के जीर्णोद्धार से हिंदुओं का स्वाभिमान वापस आएगा.

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Published : Sep 26, 2019, 1:41 PM IST

जम्मू कश्मीर में मंदिरों के पुनर्निर्माण से संत खुश.


वाराणसी: जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने और अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को हटाए जाने के बाद सरकार टूटे और वर्षों से बंद पड़े मंदिरों के पुनर्निर्माण की बात कर रही है. ये मंदिर ज्यादातर जम्मू-कश्मीर से लेकर लेह लद्दाख के क्षेत्र में स्थित हैं. जैसा कि 90 के दशक में हिंदुओं के मंदिर तोड़ दिए गए थे. अब सरकार ने उन मंदिरों का सर्वे कराकर पुनर्निर्माण कराने का फैसला लिया है. लिहाजा सरकार के इस फैसले का संत समाज ने जमकर स्वागत किया है.

जम्मू-कश्मीर में मंदिरों के पुनर्निर्माण से संत खुश.

स्वामी ने कहा हमारा इतिहास फिर होगा जीर्णोद्धार
स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि पचास हजार से ज्यादा छोटे बड़े मंदिर तोड़े गए थे. उन मंदिरों का जीर्णोद्धार का फैसला भारत सरकार ने लिया है. क्योंकि जो मंदिर तोड़े गए वास्तव में वह सिर्फ मंदिर नहीं हैं. वह हमारे कुल देवता, ग्राम देवता, स्थान देवता हैं. हमारा एक पूरा इतिहास डल झील के किनारे से शंकराचार्य घाटी और अनंतनाग के रास्ते में कई मंदिर नष्ट कर दिए गए थे. इन सब के जीर्णोद्धार पर अखिल भारतीय संत समिति ने प्रश्न खड़ा किया था.


हिंदुओं का स्वाभिमान फिर लौटेगा वापस
स्वामी ने कहा कि काला पहाड़ से लेकर मुफ्ती मोहम्मद सईद, महबूबा मुफ्ती तक के शासन काल तक जो अत्याचार हिंदुओं पर हुए हैं. उन अत्याचारों से उभरकर एक बार भी फिर अपने स्वाभिमान के लिए मंदिर के बहाने ही हिंदू खड़ा होगा. मंदिरों के जीर्णोद्धार निर्णय से पूरे देश का संत समाज खुश है.


वाराणसी: जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने और अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को हटाए जाने के बाद सरकार टूटे और वर्षों से बंद पड़े मंदिरों के पुनर्निर्माण की बात कर रही है. ये मंदिर ज्यादातर जम्मू-कश्मीर से लेकर लेह लद्दाख के क्षेत्र में स्थित हैं. जैसा कि 90 के दशक में हिंदुओं के मंदिर तोड़ दिए गए थे. अब सरकार ने उन मंदिरों का सर्वे कराकर पुनर्निर्माण कराने का फैसला लिया है. लिहाजा सरकार के इस फैसले का संत समाज ने जमकर स्वागत किया है.

जम्मू-कश्मीर में मंदिरों के पुनर्निर्माण से संत खुश.

स्वामी ने कहा हमारा इतिहास फिर होगा जीर्णोद्धार
स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि पचास हजार से ज्यादा छोटे बड़े मंदिर तोड़े गए थे. उन मंदिरों का जीर्णोद्धार का फैसला भारत सरकार ने लिया है. क्योंकि जो मंदिर तोड़े गए वास्तव में वह सिर्फ मंदिर नहीं हैं. वह हमारे कुल देवता, ग्राम देवता, स्थान देवता हैं. हमारा एक पूरा इतिहास डल झील के किनारे से शंकराचार्य घाटी और अनंतनाग के रास्ते में कई मंदिर नष्ट कर दिए गए थे. इन सब के जीर्णोद्धार पर अखिल भारतीय संत समिति ने प्रश्न खड़ा किया था.


हिंदुओं का स्वाभिमान फिर लौटेगा वापस
स्वामी ने कहा कि काला पहाड़ से लेकर मुफ्ती मोहम्मद सईद, महबूबा मुफ्ती तक के शासन काल तक जो अत्याचार हिंदुओं पर हुए हैं. उन अत्याचारों से उभरकर एक बार भी फिर अपने स्वाभिमान के लिए मंदिर के बहाने ही हिंदू खड़ा होगा. मंदिरों के जीर्णोद्धार निर्णय से पूरे देश का संत समाज खुश है.

Intro:वाराणसी जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद सरकार अब वहां के विकास कार्यों पर ध्यान भी है ऐसे में जम्मू-कश्मीर धरती का स्वर्ग कहा जाता है और भारतीय संस्कृति और सभ्यता से गहरा नाता है आस्था का केंद्र भी जम्मू कश्मीर रहा है ऐसे में सरकार ने जम्मू कश्मीर से लेकर लेह लद्दाख के क्षेत्र में जो पहले एक ही प्रदेश में समाहित थे भारत सरकार ने उन्हें विभिन्न केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया है यहां टूटे हुए हजारों मंदिर हैं। 90 के दशक में जो हिंदुओं के मंदिर तोड़ दिए गए थे अब सरकार ने सर्वे कराकर उन मंदिरों का पुनर्निर्माण कराने जा रही है सरकार के इस फैसले से संत समाज ने स्वागत किया है।


Body:यानी ने टूटे हुए हजारों मंदिरों के पुजारी सेवक और अरसा पहले कश्मीर छोड़ चुके लुटे पिटे कश्मीरी पंडितों में नई आस जागृत करेगा जब कुल देवता ग्राम देवता नगर देवता स्थापित हो जाएंगे तो वहां के मूल निवासी भी वापस अपने घरों के तरफ लौट चलेंगे।


Conclusion:स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा पचास हजार ज्यादा छोटे बड़े मंदिर तोड़े गए। उन मंदिरों का जीर्णोद्धार का फैसला भारत सरकार ने लिया है। क्योंकि जो मंदिर तोड़े गए वास्तव में वह सिर्फ मंदिर नहीं है। हमारे कुल देवता, ग्राम देवता,स्थान देवता, हमारा एक पूरा इतिहास डल झील के किनारे शंकराचार्य घाटी अनंतनाग के रास्ते में बूढ़ा अमरनाथ अमरनाथ की यात्रा, वैष्णो देवी का मंदिर छोटे-छोटे मंदिर रास्ते के नष्ट कर दिए गए इन सब के जीर्णोद्धार का निर्णय इस निर्णय पर अखिल भारतीय संत समिति ने प्रश्न खड़ा किया था कि यह भारत सरकार को करना चाहिए। ताकि सैकड़ों वर्षों से जो हिंदुओं को पददलित किया गया। काला पहाड़ से लेकर के मुफ्ती मोहम्मद सईद, महबूबा मुफ्ती तक शासन काल तक जो अत्याचार हिंदुओं पर हुआ। अत्याचारों से उबर करके एक बार भी फिर अपने स्वाभिमान के लिए मंदिर के बहाने ही हिंदू खड़ा होगा।संतो से पूछिए के मंदिरों के जीर्णोद्धार निर्णय से पूरे पूरे देश का खुश है। संत की तो बात छोड़िए जो थोड़ा भी धार्मिक आस्थावान होगा वह खुश होगा कि मेरे देवता का घर फिर से बस जाएगा इस बात को लेकर के खुश है।

बाईट :-- स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती, राष्ट्रीय महामंत्री, अखिल भारतीय संत समिति।

अशुतोष उपध्याय

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