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सनातन विरोधियों को देशभर के संतों की चेतावनी, बोले- जिहादी आतंकवाद को देंगे मुंहतोड़ जवाब

वाराणसी में संस्कृति संसद (Varanasi Sanskriti Sansad) का आयोजन हो रहा है. इसमें हिस्सा के लिए गुरुवार को ही देशभर के 1200 से अधिक संत जुट गए थे. कार्यक्रम पांच नवंबर तक चलेगा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 3, 2023, 4:43 PM IST

वाराणसी में जुटे देशभर के संत.

वाराणसी : सनातन धर्म पर हो रहे कुठाराघात का जवाब देने और राम मंदिर के भव्य निर्माण के बाद लोकार्पण की तैयारी को अंतिम रूप देने के लिए वाराणसी में संस्कृति संसद का आयोजन किया जा रहा है. देशभर से आए 1200 से अधिक संत इसमें हिस्सा ले रहे हैं. गुरुवार को ही संत वाराणसी पहुंच गए थे. राम मंदिर आंदोलन में मारे गए लोगों की स्मृति में रुद्राभिषेक किया था. आज सुबह लगभग 10:30 बजे संस्कृति संसद का भव्य शुभारंभ किया गया. ड्रोन के जरिए पुष्प वर्षा कर, शंख ध्वनि और डमरू ध्वनि के साथ संतों का स्वागत किया गया. देशभर से आए धर्माचार्य, शंकराचार्य और महामंडलेश्वरों ने धार्मिक मंच के जरिए जमकर राजनीति पर प्रहार किए. संतों ने एक स्वर में कहा कि सनातन धर्म पर राजनीति बर्दाश्त नहीं है. जो भी धर्म में राजनीति का समावेश कर सनातन धर्म को खत्म करने का प्रयास करेगा, संत एकजुट होकर उसे मुंहतोड़ जवाब देंगे.

सनातन को लेकर संभी संत एकजुट : ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए देश के प्रख्यात संत और उत्तराखंड में परमार्थ निकेतन संस्था के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि आज देश के अंदर जिस तरह से सनातन संस्कृति के ऊपर बयान दिए जा रहे हैं, उसे लेकर इस तरह के आयोजन बहुत महत्वपूर्ण हो जाते हैं. यही वजह है कि 120 से ज्यादा पंथ समुदाय से जुड़े लोग इस आयोजन में शिरकत कर रहे हैं. इसका मकसद सिर्फ और सिर्फ इतना है कि सनातन संस्कृति को सुरक्षित और संरक्षित करते हुए इसके विशाल स्वरूप को बनाए रखने के लिए सभी को एकजुट होने की जरूरत है.

संस्कृति संसद  में1200 से अधिक संत हिस्सा ले रहे हैं.
संस्कृति संसद में1200 से अधिक संत हिस्सा ले रहे हैं.

सनातनियों को एकजुट होना अनिवार्य : विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक दिनेश भाई का कहना है कि जिस तरह से जिहादी आतंकवाद हर तरफ अपना सिर उठा रहा है, उसे जवाब देने के लिए सनातनियों को एकजुट होना अनिवार्य है. इस तरह के आयोजन विश्व में भारत का कद और बढ़ाने वाले हैं, क्योंकि आज देश ही नहीं बल्कि दुनिया का हर हिस्सा जिहादी आतंकवाद से परेशान है. उसका जवाब देने के लिए इस तरह के आयोजन के जरिए संत एक बड़ा संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं. तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में संतों ने धर्म रक्षा को लेकर एकजुटता दिखाई. अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती, कार्यक्रम के संयोजक गोविंद शर्मा, परिषद के उपाध्यक्ष चंपत राय आदि मौजूद रहे. मंच पर 50 से ज्यादा संतो को बैठाया गया था.

पुष्प वर्षा कर संतों का किया गया स्वागत.
पुष्प वर्षा कर संतों का किया गया स्वागत.

विधर्मियों के खिलाफ एकजुट हैं संत : संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद ने मंच से कहा कि आज देश में सनातन धर्म के साथ हो रहे विश्वासघात और अपने ही लोगों के द्वारा सनातन पर किया जा रहा हमला, निश्चित तौर पर संतों को एकजुट होने के लिए मजबूर कर दिया है. काशी धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी है. यही वजह है कि हम सभी यहीं से सनातन धर्मियों की रक्षा और सनातन धर्म के खिलाफ बोलने वालों को जवाब देने के लिए एकजुट होने जा रहे हैं. यह आयोजन उन विधर्मियों के लिए एक संदेश है जो सनातन संस्कृति को मिटाने के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं. सनातन के खिलाफ जाने वाले विद्रोहियों को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी कर रहे हैं.

संस्कृति संसद में देश भर के संत हिस्सा ले रहे हैं.
संस्कृति संसद में देश भर के संत हिस्सा ले रहे हैं.

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर निकाली जाएगी कलशयात्रा : आज कुल 4 सत्रों में से दो सत्र खत्म हो चुके हैं. पहले सत्र में स्वामी और संतों के साथ विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय पदाधिकारी ने भी राम जन्मभूमि को लेकर संतों को आमंत्रित किया. भव्य मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का आभार जताया. राम मंदिर न्यास ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने मंच से कहा कि हम राम जन्मभूमि को लेकर बड़ी तैयारी कर रहे हैं. सभी को एकजुट करते हुए 22 जनवरी को एक भव्य आयोजन करने की तैयारी है. इसके अलावा पूरे देश को एकजुट करने के लिए कलशयात्रा निकाली जाएगी. यह घर-घर जाएगी. गांव-गांव पहुंचेगी. बड़ी संख्या में लोगों को अयोध्या ले जाने की तैयारी है.

यह भी पढ़ें : संस्कृति संसद में जुटे 1200 संत, राम मंदिर आंदोलन में जान गंवाने वालों के लिए किया महारुद्राभिषेक

वाराणसी में जुटे देशभर के संत.

वाराणसी : सनातन धर्म पर हो रहे कुठाराघात का जवाब देने और राम मंदिर के भव्य निर्माण के बाद लोकार्पण की तैयारी को अंतिम रूप देने के लिए वाराणसी में संस्कृति संसद का आयोजन किया जा रहा है. देशभर से आए 1200 से अधिक संत इसमें हिस्सा ले रहे हैं. गुरुवार को ही संत वाराणसी पहुंच गए थे. राम मंदिर आंदोलन में मारे गए लोगों की स्मृति में रुद्राभिषेक किया था. आज सुबह लगभग 10:30 बजे संस्कृति संसद का भव्य शुभारंभ किया गया. ड्रोन के जरिए पुष्प वर्षा कर, शंख ध्वनि और डमरू ध्वनि के साथ संतों का स्वागत किया गया. देशभर से आए धर्माचार्य, शंकराचार्य और महामंडलेश्वरों ने धार्मिक मंच के जरिए जमकर राजनीति पर प्रहार किए. संतों ने एक स्वर में कहा कि सनातन धर्म पर राजनीति बर्दाश्त नहीं है. जो भी धर्म में राजनीति का समावेश कर सनातन धर्म को खत्म करने का प्रयास करेगा, संत एकजुट होकर उसे मुंहतोड़ जवाब देंगे.

सनातन को लेकर संभी संत एकजुट : ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए देश के प्रख्यात संत और उत्तराखंड में परमार्थ निकेतन संस्था के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि आज देश के अंदर जिस तरह से सनातन संस्कृति के ऊपर बयान दिए जा रहे हैं, उसे लेकर इस तरह के आयोजन बहुत महत्वपूर्ण हो जाते हैं. यही वजह है कि 120 से ज्यादा पंथ समुदाय से जुड़े लोग इस आयोजन में शिरकत कर रहे हैं. इसका मकसद सिर्फ और सिर्फ इतना है कि सनातन संस्कृति को सुरक्षित और संरक्षित करते हुए इसके विशाल स्वरूप को बनाए रखने के लिए सभी को एकजुट होने की जरूरत है.

संस्कृति संसद  में1200 से अधिक संत हिस्सा ले रहे हैं.
संस्कृति संसद में1200 से अधिक संत हिस्सा ले रहे हैं.

सनातनियों को एकजुट होना अनिवार्य : विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक दिनेश भाई का कहना है कि जिस तरह से जिहादी आतंकवाद हर तरफ अपना सिर उठा रहा है, उसे जवाब देने के लिए सनातनियों को एकजुट होना अनिवार्य है. इस तरह के आयोजन विश्व में भारत का कद और बढ़ाने वाले हैं, क्योंकि आज देश ही नहीं बल्कि दुनिया का हर हिस्सा जिहादी आतंकवाद से परेशान है. उसका जवाब देने के लिए इस तरह के आयोजन के जरिए संत एक बड़ा संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं. तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में संतों ने धर्म रक्षा को लेकर एकजुटता दिखाई. अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती, कार्यक्रम के संयोजक गोविंद शर्मा, परिषद के उपाध्यक्ष चंपत राय आदि मौजूद रहे. मंच पर 50 से ज्यादा संतो को बैठाया गया था.

पुष्प वर्षा कर संतों का किया गया स्वागत.
पुष्प वर्षा कर संतों का किया गया स्वागत.

विधर्मियों के खिलाफ एकजुट हैं संत : संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद ने मंच से कहा कि आज देश में सनातन धर्म के साथ हो रहे विश्वासघात और अपने ही लोगों के द्वारा सनातन पर किया जा रहा हमला, निश्चित तौर पर संतों को एकजुट होने के लिए मजबूर कर दिया है. काशी धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी है. यही वजह है कि हम सभी यहीं से सनातन धर्मियों की रक्षा और सनातन धर्म के खिलाफ बोलने वालों को जवाब देने के लिए एकजुट होने जा रहे हैं. यह आयोजन उन विधर्मियों के लिए एक संदेश है जो सनातन संस्कृति को मिटाने के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं. सनातन के खिलाफ जाने वाले विद्रोहियों को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी कर रहे हैं.

संस्कृति संसद में देश भर के संत हिस्सा ले रहे हैं.
संस्कृति संसद में देश भर के संत हिस्सा ले रहे हैं.

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर निकाली जाएगी कलशयात्रा : आज कुल 4 सत्रों में से दो सत्र खत्म हो चुके हैं. पहले सत्र में स्वामी और संतों के साथ विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय पदाधिकारी ने भी राम जन्मभूमि को लेकर संतों को आमंत्रित किया. भव्य मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का आभार जताया. राम मंदिर न्यास ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने मंच से कहा कि हम राम जन्मभूमि को लेकर बड़ी तैयारी कर रहे हैं. सभी को एकजुट करते हुए 22 जनवरी को एक भव्य आयोजन करने की तैयारी है. इसके अलावा पूरे देश को एकजुट करने के लिए कलशयात्रा निकाली जाएगी. यह घर-घर जाएगी. गांव-गांव पहुंचेगी. बड़ी संख्या में लोगों को अयोध्या ले जाने की तैयारी है.

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