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पैसों की कमी से जूझ रहा बीएचयू: बंद हुआ बाहरी मरीजों का RT-PCR टेस्ट - वाराणसी कोरोना न्यूज

वाराणसी का बीएचयू अस्पताल फंड की कमी से जूझ रहा है. यही कारण है कि बीएचयू लैब में वाराणसी समेत जिले के बाहरी करीब 6 जिलों के मरीजों का आरटीपीसीआर टेस्ट बंद कर दिया गया है.

पैसों की कमी से जूझ रहा बीएचयू
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Published : Sep 11, 2021, 6:24 PM IST

वाराणसी : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार टीकाकरण का काम काफी तेजी से करवा रही है. प्रदेश के करोड़ों लोगों को टीका लग भी चुका है. लेकिन इसके बावजूद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्थिति ठीक नहीं है. वाराणसी के IMS-BHU में लगे कोरोना जांच की दो RT-PCR मशीनें सिर्फ BHU अस्पताल में ही भर्ती मरीजों की जांच कर रही हैं. और वाराणसी सहित बाकी के 6 जनपदों के मरीजों की जांच को बंद कर दिया गया है. इसके पीछे की वजह पिछले दो वित्तीय वर्ष के बकाया राशि 55 करोड़ के भुगतान का नहीं होना है.

दरअसल, वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में कोरोना के लिए जांच दो लैब में मौजूद है. यहां आरटी-पीसीआर की जांच होती थी. लेकिन जांच बंद होने से वाराणसी सहित 6 जनपदों के मरीजों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. लोगों को अधिक पैसा देकर प्राइवेट लैब में आरटी पीसीआर जांच कराना पड़ रही है.

पैसों की कमी से जूझ रहा बीएचयू

इस पूरे मामले पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सर सुंदरलाल अस्पताल चिकित्सा अधीक्षक केके गुप्ता ने बताया कि पिछले डेढ़ वर्षों से जब से कोविड शुरू हुआ तो उनके आई एम एस बीएचयू में माइक्रोबायोलॉजी विभाग और वीआरडीएल लैब में RT-PCR मशीनें लग गई. और करीबन हम लोग 10 हजार से ज्यादा टेस्ट कर रहे थे, लेकिन आर्थिक सहयोग कम था. पिछले वित्तीय वर्ष 45 करोड़ खर्च हुए जिसमें से 5 करोड़ रुपए आए, जबकि इस वित्तीय वर्ष 15 करोड़ रूपए खर्च हो चुके हैं. और पूरा बकाया पेंडिंग पड़ा हुआ है. राॅ मटेरियल सप्लाई करने वाले वेंडर्स का भी भुगतान हम नहीं कर पा रहें हैं. क्योंकि हमारे पास फंड्स उपलब्ध नहीं हैं. जैसे ही हमारे पास फंड आएंगे तो हम अपनी प्रक्रिया दोबारा चालू कर पाएंगे. हमने अपनी व्यवस्था में अभी प्रतिबंध लगाया है, अभी सिर्फ बीएचयू अस्पताल में आने वाले मरीजों का ही RT-PCR टेस्ट किया जा रहा है.

इसे भी पढे़ं- बीजेपी नेता का विवादित बयान, बोले- राहुल गांधी को मूर्ख कहूंगा तो ये मूर्खों का अपमान होगा



प्रोफेसर केके गुप्ता ने बताया स्टेट पॉलिसी के तहत उनको फंड आना चाहिए, लेकिन ऐसा न होने पर लाचार होकर प्रतिबंध लगा दिया है. जिसके तहत दोनों BHU-IMS के लैब MRU और VRDL में भी प्रतिबंधित तौर पर काम हो रहा है. जहां पहले रोजाना 12 हजार कोरोना जांच दोनों लैब में हो जाया करता था. तो अब यह 50 प्रतिशत से भी नीचे कर दिया गया है. क्योंकि फंड नहीं मिला है. सरकार और सारे संभावित एजेंसी को फंड के लिए लिखा जा रहा है, लेकिन कहीं से अभी तक यह आश्वासन नहीं मिला है. पैसा मिल जाएगा, इसके अलावा हमारी अथॉरिटी ने भी आदेश दिया है कि सिर्फ BHU अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की ही जांच हो. आगे कब तक पूरी तरह से दोनों लैब चालू किए जाएंगे, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह तो फंड्स रिलीज होने और बैलेंस के पेमेंट के बाद ही कहा जा सकता है.

वाराणसी : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार टीकाकरण का काम काफी तेजी से करवा रही है. प्रदेश के करोड़ों लोगों को टीका लग भी चुका है. लेकिन इसके बावजूद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्थिति ठीक नहीं है. वाराणसी के IMS-BHU में लगे कोरोना जांच की दो RT-PCR मशीनें सिर्फ BHU अस्पताल में ही भर्ती मरीजों की जांच कर रही हैं. और वाराणसी सहित बाकी के 6 जनपदों के मरीजों की जांच को बंद कर दिया गया है. इसके पीछे की वजह पिछले दो वित्तीय वर्ष के बकाया राशि 55 करोड़ के भुगतान का नहीं होना है.

दरअसल, वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में कोरोना के लिए जांच दो लैब में मौजूद है. यहां आरटी-पीसीआर की जांच होती थी. लेकिन जांच बंद होने से वाराणसी सहित 6 जनपदों के मरीजों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. लोगों को अधिक पैसा देकर प्राइवेट लैब में आरटी पीसीआर जांच कराना पड़ रही है.

पैसों की कमी से जूझ रहा बीएचयू

इस पूरे मामले पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सर सुंदरलाल अस्पताल चिकित्सा अधीक्षक केके गुप्ता ने बताया कि पिछले डेढ़ वर्षों से जब से कोविड शुरू हुआ तो उनके आई एम एस बीएचयू में माइक्रोबायोलॉजी विभाग और वीआरडीएल लैब में RT-PCR मशीनें लग गई. और करीबन हम लोग 10 हजार से ज्यादा टेस्ट कर रहे थे, लेकिन आर्थिक सहयोग कम था. पिछले वित्तीय वर्ष 45 करोड़ खर्च हुए जिसमें से 5 करोड़ रुपए आए, जबकि इस वित्तीय वर्ष 15 करोड़ रूपए खर्च हो चुके हैं. और पूरा बकाया पेंडिंग पड़ा हुआ है. राॅ मटेरियल सप्लाई करने वाले वेंडर्स का भी भुगतान हम नहीं कर पा रहें हैं. क्योंकि हमारे पास फंड्स उपलब्ध नहीं हैं. जैसे ही हमारे पास फंड आएंगे तो हम अपनी प्रक्रिया दोबारा चालू कर पाएंगे. हमने अपनी व्यवस्था में अभी प्रतिबंध लगाया है, अभी सिर्फ बीएचयू अस्पताल में आने वाले मरीजों का ही RT-PCR टेस्ट किया जा रहा है.

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प्रोफेसर केके गुप्ता ने बताया स्टेट पॉलिसी के तहत उनको फंड आना चाहिए, लेकिन ऐसा न होने पर लाचार होकर प्रतिबंध लगा दिया है. जिसके तहत दोनों BHU-IMS के लैब MRU और VRDL में भी प्रतिबंधित तौर पर काम हो रहा है. जहां पहले रोजाना 12 हजार कोरोना जांच दोनों लैब में हो जाया करता था. तो अब यह 50 प्रतिशत से भी नीचे कर दिया गया है. क्योंकि फंड नहीं मिला है. सरकार और सारे संभावित एजेंसी को फंड के लिए लिखा जा रहा है, लेकिन कहीं से अभी तक यह आश्वासन नहीं मिला है. पैसा मिल जाएगा, इसके अलावा हमारी अथॉरिटी ने भी आदेश दिया है कि सिर्फ BHU अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की ही जांच हो. आगे कब तक पूरी तरह से दोनों लैब चालू किए जाएंगे, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह तो फंड्स रिलीज होने और बैलेंस के पेमेंट के बाद ही कहा जा सकता है.

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