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आजादी की लड़ाई में वाराणसी की मिठाइयों का है खास कनेक्शन

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आजादी से पहले के दौर से लेकर आज तक खास तरह की मिठाइयां तैयार की जाती रही हैं. इनमें जवाहर लड्डू और तिरंगी बर्फी खास मिठाइयां हैं.

क्रांतिकारी मिठाइयां.
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Published : Aug 17, 2019, 10:25 AM IST

वाराणसी: बनारस की गलियां, यहां की साड़ी, बनारसी पान और यहां की मिठाईयां यही सब चीजें बनारस को बेहद खास बनाती हैं, लेकिन अगर आपको यह पता चले कि बनारस में बनने वाली मिठाइयां देश के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी हैं, तो इसे सुनकर चौंक जाना लाजमी है. ईटीवी भारत कुछ ऐसी ही मिठाइयों के बारे में बताने जा रहा है जिन्हे देखकर ही आपके रोम-रोम में देशभक्ति का जज्बा भर जाएगा.

बनारस में बनने वाली इन मिठाइयों का तिरंगे और स्वतंत्रता आंदोलन के साथ कुछ खास रिश्ता है. पक्के महाल में बनकर तैयार हुई यह मिठाईयां बनारस की शान कही जाती हैं. दरअसल बनारस की जान कहे जाने वाले पक्के महाल की कुछ पुरानी दुकानों पर तिरंगी बर्फी लोगों को लुभाती है. यह मिठाइयां मुंह में पानी लाने के लिए काफी हैं, लेकिन बहुत ही कम लोग यह जानते हैं कि तिरंगी बर्फी देश के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन का सूत्रधार हुआ करती थी.

वाराणसी की इन मिठाइयों की है खास बात.

पक्के महाल का ठठेरी बाजार तिरंगी बर्फी की कहानी सुनाता है, जहां एक पुरानी मिठाई की दुकान चलाने वाले हनुमान प्रसाद और रघुनाथ प्रसाद ने महात्मा गांधी के नमक आंदोलन में बनारस की भागीदारी करने की ठानी और फिर अपनी ही मिठाई की दुकान में एक ऐसी मिठाई बनाना शुरू किया जिससे न सिर्फ आजादी के नारे को घर-घर पहुंचाया जा सकता था बल्कि लोगों का मुंह भी मीठा किया जा सकता था. इस मिठाई का नाम रखा गया 'तिरंगी'. बिल्कुल सफेद और हरे रंग की बर्फी आजादी की लड़ाई लड़ रहे लोगों को एकजुट करने और संघर्ष करने का संदेश देने में कामयाब हो रही थी.

तिरंगी मिठाई के दुकान मालिक रघुनाथ प्रसाद के परपोते वरुण गुप्ता ने बताया कि जब गांधी जी ने आंदोलन चलाकर देश को आजाद करने के लिए एकजुट होने की बात कही थी, तो अंग्रेजों ने इस लड़ाई को आगे बढ़ाने में रुकावट डालने के लिए कई हथकंडे अपनाए थे. तब बनारस की इस ऐतिहासिक दुकान में तिरंगी बर्फी लाकर नई कहानी गढ़ी गई. आंदोलन को धार देने के लिए इस तरह की मिठाइयों का सहारा लिया गया. वरुण ने बताया कि न सिर्फ तिरंगी बर्फी बल्कि जवाहर लड्डू, बल्लभ संदेश और ऐसे ही कई नामों की मिठाईयां उस समय दुकान में बनाई गईं और सब जगह भेजी जाने लगीं. हालांकि अब इन मिठाइयों में से सिर्फ तिरंगी बर्फी और जवाहर लड्डू ही बनते हैं.

इसे भी पढ़ें- स्वतंत्रता दिवस से पहले PM मोदी के संसदीय क्षेत्र में बढ़ाई गई सुरक्षा

मिठाई के कारखाने में केसर, पिस्ता और खोवा के साथ शुरू किया गया यह एक्सपेरिमेंट तिरंगी बर्फी की शक्ल में बाजार में आया और आज तक इसके अपनी जगह पूरे देश में बना रखी है. इसके साथ ही जवाहर लड्डू आज भी हरे रंग में काजू पिस्ता के साथ कुछ मसाले संजोए हुए बाजार में मौजूद हैं. हालांकि आज लोग इन मिठाइयों को आजादी का जश्न मनाने और मुंह मीठा करने के लिए अपनाते हैं.

वाराणसी: बनारस की गलियां, यहां की साड़ी, बनारसी पान और यहां की मिठाईयां यही सब चीजें बनारस को बेहद खास बनाती हैं, लेकिन अगर आपको यह पता चले कि बनारस में बनने वाली मिठाइयां देश के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी हैं, तो इसे सुनकर चौंक जाना लाजमी है. ईटीवी भारत कुछ ऐसी ही मिठाइयों के बारे में बताने जा रहा है जिन्हे देखकर ही आपके रोम-रोम में देशभक्ति का जज्बा भर जाएगा.

बनारस में बनने वाली इन मिठाइयों का तिरंगे और स्वतंत्रता आंदोलन के साथ कुछ खास रिश्ता है. पक्के महाल में बनकर तैयार हुई यह मिठाईयां बनारस की शान कही जाती हैं. दरअसल बनारस की जान कहे जाने वाले पक्के महाल की कुछ पुरानी दुकानों पर तिरंगी बर्फी लोगों को लुभाती है. यह मिठाइयां मुंह में पानी लाने के लिए काफी हैं, लेकिन बहुत ही कम लोग यह जानते हैं कि तिरंगी बर्फी देश के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन का सूत्रधार हुआ करती थी.

वाराणसी की इन मिठाइयों की है खास बात.

पक्के महाल का ठठेरी बाजार तिरंगी बर्फी की कहानी सुनाता है, जहां एक पुरानी मिठाई की दुकान चलाने वाले हनुमान प्रसाद और रघुनाथ प्रसाद ने महात्मा गांधी के नमक आंदोलन में बनारस की भागीदारी करने की ठानी और फिर अपनी ही मिठाई की दुकान में एक ऐसी मिठाई बनाना शुरू किया जिससे न सिर्फ आजादी के नारे को घर-घर पहुंचाया जा सकता था बल्कि लोगों का मुंह भी मीठा किया जा सकता था. इस मिठाई का नाम रखा गया 'तिरंगी'. बिल्कुल सफेद और हरे रंग की बर्फी आजादी की लड़ाई लड़ रहे लोगों को एकजुट करने और संघर्ष करने का संदेश देने में कामयाब हो रही थी.

तिरंगी मिठाई के दुकान मालिक रघुनाथ प्रसाद के परपोते वरुण गुप्ता ने बताया कि जब गांधी जी ने आंदोलन चलाकर देश को आजाद करने के लिए एकजुट होने की बात कही थी, तो अंग्रेजों ने इस लड़ाई को आगे बढ़ाने में रुकावट डालने के लिए कई हथकंडे अपनाए थे. तब बनारस की इस ऐतिहासिक दुकान में तिरंगी बर्फी लाकर नई कहानी गढ़ी गई. आंदोलन को धार देने के लिए इस तरह की मिठाइयों का सहारा लिया गया. वरुण ने बताया कि न सिर्फ तिरंगी बर्फी बल्कि जवाहर लड्डू, बल्लभ संदेश और ऐसे ही कई नामों की मिठाईयां उस समय दुकान में बनाई गईं और सब जगह भेजी जाने लगीं. हालांकि अब इन मिठाइयों में से सिर्फ तिरंगी बर्फी और जवाहर लड्डू ही बनते हैं.

इसे भी पढ़ें- स्वतंत्रता दिवस से पहले PM मोदी के संसदीय क्षेत्र में बढ़ाई गई सुरक्षा

मिठाई के कारखाने में केसर, पिस्ता और खोवा के साथ शुरू किया गया यह एक्सपेरिमेंट तिरंगी बर्फी की शक्ल में बाजार में आया और आज तक इसके अपनी जगह पूरे देश में बना रखी है. इसके साथ ही जवाहर लड्डू आज भी हरे रंग में काजू पिस्ता के साथ कुछ मसाले संजोए हुए बाजार में मौजूद हैं. हालांकि आज लोग इन मिठाइयों को आजादी का जश्न मनाने और मुंह मीठा करने के लिए अपनाते हैं.

Intro:वाराणसी। बनारस की गलियां, यहां की साड़ी, बनारसी पान और यहां की मिठाईयां यह चीजें हैं जो बनारस को बेहद खास बनाती है, लेकिन अगर आपको यह पता चले बनारस में मिलने वाली मिठाईयां अपने देश के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी है तो इसको सुनकर चौंकना लाजमी है। जिन मिठाइयों के बारे में ईटीवी भारत आपको बताने जा रहा है उनको देखकर ही आपके रोम-रोम में देशभक्ति का जज्बा भर जाएगा। ऐसा इसलिए नहीं कि इन पर देश भक्ति का रंग चढ़ा है बल्कि इन मिठाइयों का कुछ खास रिश्ता है तिरंगे और स्वतंत्रता आंदोलन के साथ। इन मिठाइयों का कोई जोड़ नहीं है। रंग बिरंगी चांदी की परत लगी है मिठाइयां किसी को भी अपनी तरफ खींच लेती है, लेकिन बनारस की यह मिठाई बाजार में बिकने वाली अपने आप में एक अनूठी मिठाई है, जिसके साथ जुड़े हैं इतिहास के कई बेहतरीन किस्से इन मिठाइयों में इतिहास है देश के स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में हिस्सेदारी का।


Body:VO1: पक्के महाल में बनकर तैयार हुई यह मिठाईयां बनारस की शान कही जाती है। दरअसल बनारस की जान कहां जाने वाला पक्का महान यानी पुराना बनारस, जहां पर आज भी मिठाई की कुछ पुरानी दुकानों पर तिरंगी बर्फी किश्ती में लगी लोगों को लुभाती है, उस इतिहास को समेटे हुए कैसी जगह है जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। यह मिठाइयां मुंह में पानी लाने के लिए काफी है पर बहुत ही कम लोग यह जानते हैं कि तिरंगी बर्फी देश के स्वतंत्रता संग्राम की आंदोलन में किस तरह सूत्रधार हुआ करती थी। पक्के महाल का ठठेरी बाजार तिरंगी बर्फी की कहानी सुनाता है जहां पर एक पुरानी मिठाई की दुकान चलाने वाले हनुमान प्रसाद और रघुनाथ प्रसाद में महात्मा गांधी के नमक आंदोलन में बनारस की भागीदारी करने की ठानी और शुरू किया अपनी ही मिठाई की दुकान में एक ऐसी मिठाई बनाना जिससे न सिर्फ आजादी के नारे को घर-घर पहुंचाया जा सकता था बल्कि लोगों का मुंह भी मीठा किया जा सकता था। इस मिठाई का नाम रखा गया 'तिरंगी'। बिल्कुल सफेद और हरे रंग की बर्फी आजादी की लड़ाई लड़ रहे लोगों को एकजुट करने में और संघर्ष करने का संदेश देने में कामयाब हो रही थी। हालात यह थे कि लोगों को मिठाई के नाम पर सिर्फ यही तिरंगी बर्फी जा रही थी अंग्रेजी हुकूमत की बैठकों में भी पहुंचने लगी तो वहां हड़कंप मच गया।

बाइट: वरुण, राम भंडार दुकान के मालिक


Conclusion:VO2: इस मिठाई की दुकान के मालिक और रघुनाथ प्रसाद के परपोते वरुण गुप्ता ने बताया कि जब उस वक्त गांधी जी ने आंदोलन चलाकर देश को आजाद करने के लिए एकजुट होने की बात कही थी तो अंग्रेजों ने आजादी की लड़ाई को आगे बढ़ाने में रुकावट डालने के लिए कई हथकंडे अपनाए थे। तब बनारस की इस ऐतिहासिक दुकान में तिरंगी बर्फी लाकर नई कहानी गढ़ी गयी। आंदोलन को धार देने के लिए इस तरह की मिठाइयों का सहारा लिया गया। वरुण बताते हैं कि न सिर्फ तिरंगी बर्फी बल्कि जवाहर लड्डू बल्लभ संदेश और इस जैसे कई नामों की मिठाईयां उस समय दुकान में बनाई गई और सब जगह भेजी जाने लगी। हालांकि, अब इन मिठाइयों में से सिर्फ तिरंगी बर्फी और जवाहर लड्डू बनते हैं लेकिन बनारस के पुराने लोग अभी भी उन मिठाइयों को भूल नहीं पाए हैं। मिठाई के कारखाने में केसर पिसता और खोवा के साथ शुरू किया गया यह एक्सपेरिमेंट तिरंगी बर्फी की शक्ल में बाजार में आया और आज तक अपनी जगह खासतौर पर पूरे देश में बनाए हुए है। इसके साथ ही जवाहर लड्डू आज भी हरे रंग में काजू पिस्ता के साथ कुछ मसाले संजोए हुए बाजार में मौजूद है। हालांकि, इन सब मिठाइयों का मकसद सिर्फ और सिर्फ बड़े नेताओं और क्रांतिकारियों के संदेशों को एक जगह से दूसरी जगह भेजना था। लेकिन आज यही वजह है कि मिठाइयों के माध्यम से उस वक्त आजादी के आंदोलन की अलख जगाए रखने में बनारस में एक खास भूमिका अदा की। आज आजादी का जश्न मनाने और मुंह मीठा करने के लिए लोग इस बर्फी को अपनाते हैं और दूर-दूर देशों से इस बर्फी को लेने आ रहे हैं। इसके साथ ही जवाहर लड्डू लेने आ रहे हैं ताकि 15 अगस्त के जश्न में इसका इस्तेमाल कर इतिहास और बर्फी के बेहद खास अनुभव और स्वाद का मजा लिया जाए।

नोट: इस स्टोरी को स्पेशल 15 अगस्त के लिए आरएफसी में एडिट किया जाना है, जिसके लिए कुछ एक्स्ट्रा शॉट्स भी साथ मे अटैच किये जा रहे हैं।

Regards
Arnima Dwivedi
Varanasi
7523863236
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