वाराणसी: शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की अदालत ने 28 साल पहले दर्ज हुए गबन के एक मुकदमे में सेवानिवृत्त अवर अभियंता को 10 साल की सजा (Retired junior engineer gets jail punishment in Varanasi) सुनाई. अवनीश गौतम की अदालत ने गबन के मामले में ग्रामीण अभियंत्रण सेवा गाजीपुर के तत्कालीन अवर अभियंता कैलाश सिंह (Retired Junior Engineer Kailash Singh) को दोषी पाते हुए यह आदेश दिया.
दरअसल बलिया के इंदिरा आवास निर्माण समिति के सचिव और लखनऊ के मोहनलालगंज के रहने वाले कैलाश सिंह सरकारी सेवा से रिटायर हो चुके हैं और 65 वर्ष के हैं. वर्तमान समय में वह लखनऊ में ही रह रहे हैं. बलिया जिले के सिकंदरपुर थाने में 23 मई 1995 को सतर्कता अधिष्ठान वाराणसी के डिप्टी एसपी राधे सिंह यादव ने एफआईआर दर्ज करवाई थी.
इस बारे में एडीजीसी आलोक कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि बलिया के विकासखंड के अधिकारियों और कर्मचारियों ने वित्तीय वर्ष 1987- 88 में और 88- 89 में सड़क निर्माण, संपर्क मार्ग, नाला नाली निर्माण, समेत शौचालय निर्माण और वृक्षारोपण के कार्यों को कराने के दौरान श्रमिकों को काम के बदले अनाज देने की योजना में गड़बड़ी की थी. प्रस्तावित कार्य पूरे ही नहीं हुए और अभिलेखों में इसे पूरा दिखा कर पैसा रिलीज करवा लिया गया.
मस्टररोल तैयार करके शासन से प्राप्त खाद्यान्न के वितरण में गंभीर अनियमितता की गई. श्रमिकों को खाद्यान्न न देकर उसे बाजार में बेचकर धनराशि की बंदरबांट भी हुई. इस मामले में अधिष्ठान ने 20 फरवरी 1995 को जांच का आदेश दिया और विवेचना के बाद कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया गया. 20 अप्रैल 2015 को आरोप तय हुआ और अदालत ने गवाहों के बयान के बाद लोकसेवक रहते हुए गंभीर प्रवृत्ति के अपराध को पाया और इस मामले में अवर अभियंता कैलाश सिंह को दोषी पाते हुए शुक्रवार को यह सजा सुनाई.
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