लखनऊ : भारतीय रिजर्व बैंक ने सचिवालय स्थित यूपी सिविल सेक्रेटेरिएट प्राइमरी को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड के खाताधारकों को बड़ी राहत देते हुए सितम्बर 2018 से लगी रोक हटा ली है. इससे अब बैंक में वित्तीय लेनदेन प्रारम्भ करने की अनुमति मिलने से सचिवालय कमर्चारियों को बड़ी राहत मिली है. आरबीआई ने बैंक प्रबन्धन को निर्देश दिया है कि वह छः सप्ताह के अन्दर बैंक के कामकाज की रिपोर्ट प्रस्तुत करें. साथ ही आरबीआई ने लोन दिए जाने पर बैंक पर प्रतिबन्ध बनाए रखा है. जबकि बैंक के खाताधारक बैंक में अपनी जमा धनराशि बिना किसी व्यवधान के निकाल सकते हैं. फिक्स्ड डिपोजिट की धनराशि का भुगतान अवधि पूरा होने पर किया जा सकेगा. अवधि से पूर्व फिक्स्ड डिपोजिट का भुगतान नहीं हो सकेगा.
सचिवालय कोआपरेटिव बैंक बचाव संघर्ष समिति ने जताया आभार
उत्तर प्रदेश सचिवालय को-आपरेटिव बैंक बचाव संघर्ष समिति के अध्यक्ष अर्जुन देव भारती ने कहा है कि संघर्ष समिति द्वारा सचिवालय कोआपरेटिव बैंक में लेनदेन की प्रक्रिया प्रारम्भ किए जाने पर मुख्यमंत्री का आभार एवं धन्यवाद व्यक्त किया गया है. संघर्ष समिति द्वारा कहा गया है कि उनके एक प्रतिनिधि मण्डल ने 09 जनवरी 2019 को मुख्यमंत्री से भेंटकर उन्हें सम्पूर्ण स्थिति से अवगत कराया था एवं बैंक में वित्तीय संचालन शुरू कराने का अनुरोध किया था.
2018 में भ्रष्टाचार को लेकर लगी थी रोक
अर्जुन देव भारती ने कहा कि उप्र सचिवालय को-आपरेटिव बैंक में व्याप्त अनियमितताओं एवं आर्थिक घोटाले के कारण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सितम्बर, 2018 में खाताधारकों के वित्तीय लेनदेन पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था, जिस कारण सचिवालय के हजारों खाताधारकों का करोड़ों रुपये फंस गया. सचिवालय कर्मियों की समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए को-आपरेटिव बैंक में वित्तीय लेनदेन शुरू कराने एवं अन्य प्रतिबन्ध हटाने के लिए उप्र सचिवालय को-आपरेटिव बैंक बचाओ संघर्ष समिति का गठन किया गया था.