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सिंगल यूज प्लास्टिक: बैन के दो सालों के बाद भी काशी में हो रहा है धड़ल्ले से प्रयोग

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Published : Jul 19, 2020, 12:43 PM IST

Updated : Jul 19, 2020, 11:30 PM IST

यूपी सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिए 15 जुलाई 2018 को सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया था. पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में इसके दो सालों के बाद भी लोग धड़ल्ले से इसका प्रयोग कर रहे हैं. देखिए ईटीवी भारत की यह खास रिपोर्ट...

वाराणसी में सिंगल यूज प्लास्टिक की हकीकत.
वाराणसी में सिंगल यूज प्लास्टिक की हकीकत.

वाराणसी: प्लास्टिक जो नष्ट नहीं होती और पर्यावरण को भी बहुत नुकसान पहुंचाती है. इसको नियंत्रित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिए 15 जुलाई 2018 को सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण रुप से प्रतिबंध लगा दिया था. गांधी जयंती के अवसर पर विस्तृत रूप में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक भी किया गया. इसके साथ ही प्रशासन को प्लास्टिक का इस्तेमाल करने वालों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे. सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगे दो सालों के बाद भी पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लोग इसका धड़ल्ले से प्रयोग कर रहे हैं.

5 जुलाई 2018 को सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण रुप से प्रतिबंध लगा दिया था.

ईटीवी भारत की टीम वाराणसी के विशेश्वरगंज सब्जी मंडी पहुंची तो देखा कि यहां प्रतिबंधों के बावजूद भी धड़ल्ले से दुकानदार प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल सब्जियों को देने में कर रहे हैं. इस संबंध में जब दुकानदारों से बातचीत की तो उन्होंने इसको लेकर अपना अलग ही मुद्दा रख दिया. दुकानदारों ने कहा कि हम प्लास्टिक का प्रयोग बंद कर देंगे, यदि सरकार ऊपर से प्लास्टिक बनवाना बंद कर दे. यदि हम ग्राहकों को मना करते हैं कि हम आपको प्लास्टिक में सामान नहीं देंगे तो आगे बढ़ जाते हैं और हमारा सौदा टूट जाता है.

क्या है सिंगल यूज प्लास्टिक
वो प्लास्टिक जिसका इस्तेमाल सिर्फ एक बार किया जाता है, उसे सिंगल यूज प्लास्टिक कहते हैं. रोजमर्रा की जिंदगी में हम प्लास्टिक के कई प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करते हैं और उन्हें फेंक देते हैं. ये प्रोडक्ट्स सिंगल यूज प्लास्टिक में आते हैं. सिंगल यूज प्लास्टिक को डिस्पोजेबल प्लास्टिक भी कहते हैं.

ग्राहक झोला लेकर नहीं आते हैं
दुकानदारों का कहना है कि कोई भी ग्राहक घर से झोला लेकर नहीं आना चाहता. सरकार को चाहिए कि जिस तरह से प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया है, वैसे ही बाजारों में आने वालों के लिए झोला लाना भी निश्चित कर दिया जाए. अगर ऐसा होता है तो सबको फायदा होगा और तभी प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद हो सकेगा. दुकानदारों का कहना है कि सबसे पहले सरकार को अन्य जो सामान प्लास्टिक में पैक होते हैं, उस पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए, तभी वास्तव में प्लास्टिक बैन हो सकती है.

ग्राहक करते हैं पॉलीथिन की डिमांड
जब दुकानदारों से यह पूछा गया कि यह प्लास्टिक उन्हें कहां से मिलता है इस सवाल पर उन्होंने बताया कि हर सुबह फेरीवाले यहां पर प्लास्टिक देकर जाते हैं. जब कपड़े के झोले के इस्तेमाल पर सवाल पूछा गया तो दुकानदारों ने कहा कि कपड़े का झोला 5 से 10 रुपये का मिलता है और कोई भी ग्राहक झोले का पैसा देना नहीं चाहता. वह इतना मजबूत भी नहीं होता है. ग्राहक खुद डिमांड करते हैं कि हमें प्लास्टिक के झोले में सामान दीजिए.

जब ईटीवी भारत की टीम ने बाजार में सब्जी लेने आए लोगों से बातचीत की तो कुछ लोगों ने अपनी गलती स्वीकार की और कहा कि हमें वाकई कपड़े के झोले का प्रयोग करना चाहिए. वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जो कह रहे थे कि जब तक प्लास्टिक की मैन्यूफैक्चरिंग बंद नहीं होती जब तक इसका इस्तेमाल बंद नहीं होगा.

नगर आयुक्त ने दी जानकारी
इस बारे में नगर आयुक्त गौरांग राठी ने बताया कि लगातार नगर निगम की विभिन्न टीमें प्लास्टिक बनाने वाली कंपनियों पर कार्यवाई कर रही हैं. हमारी टीम ने बीते दो सालों में 37 टन प्लास्टिक बरामद की है. वहीं 1 जुलाई 2020 से हमारी टीम एक विशेष अभियान चला रही है. इस अभियान के तहत 14 टन प्लास्टिक बरामद की गई है.

नगर आयुक्त ने सब्जी मंडियों में प्लास्टिक के प्रयोग पर कहा कि हमारा ध्यान रिटेलर से ज्यादा होलसेलर पर होता है, जिससे उन पर शिकंजा कसा जा सके. इस दिशा में नगर प्रशासन लगातार कार्ररत है. हम भविष्य में लगभग 95% प्लास्टिक के प्रयोग पर नियंत्रण कर सकेंगे.

वाराणसी: प्लास्टिक जो नष्ट नहीं होती और पर्यावरण को भी बहुत नुकसान पहुंचाती है. इसको नियंत्रित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिए 15 जुलाई 2018 को सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण रुप से प्रतिबंध लगा दिया था. गांधी जयंती के अवसर पर विस्तृत रूप में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक भी किया गया. इसके साथ ही प्रशासन को प्लास्टिक का इस्तेमाल करने वालों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे. सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगे दो सालों के बाद भी पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लोग इसका धड़ल्ले से प्रयोग कर रहे हैं.

5 जुलाई 2018 को सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण रुप से प्रतिबंध लगा दिया था.

ईटीवी भारत की टीम वाराणसी के विशेश्वरगंज सब्जी मंडी पहुंची तो देखा कि यहां प्रतिबंधों के बावजूद भी धड़ल्ले से दुकानदार प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल सब्जियों को देने में कर रहे हैं. इस संबंध में जब दुकानदारों से बातचीत की तो उन्होंने इसको लेकर अपना अलग ही मुद्दा रख दिया. दुकानदारों ने कहा कि हम प्लास्टिक का प्रयोग बंद कर देंगे, यदि सरकार ऊपर से प्लास्टिक बनवाना बंद कर दे. यदि हम ग्राहकों को मना करते हैं कि हम आपको प्लास्टिक में सामान नहीं देंगे तो आगे बढ़ जाते हैं और हमारा सौदा टूट जाता है.

क्या है सिंगल यूज प्लास्टिक
वो प्लास्टिक जिसका इस्तेमाल सिर्फ एक बार किया जाता है, उसे सिंगल यूज प्लास्टिक कहते हैं. रोजमर्रा की जिंदगी में हम प्लास्टिक के कई प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करते हैं और उन्हें फेंक देते हैं. ये प्रोडक्ट्स सिंगल यूज प्लास्टिक में आते हैं. सिंगल यूज प्लास्टिक को डिस्पोजेबल प्लास्टिक भी कहते हैं.

ग्राहक झोला लेकर नहीं आते हैं
दुकानदारों का कहना है कि कोई भी ग्राहक घर से झोला लेकर नहीं आना चाहता. सरकार को चाहिए कि जिस तरह से प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया है, वैसे ही बाजारों में आने वालों के लिए झोला लाना भी निश्चित कर दिया जाए. अगर ऐसा होता है तो सबको फायदा होगा और तभी प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद हो सकेगा. दुकानदारों का कहना है कि सबसे पहले सरकार को अन्य जो सामान प्लास्टिक में पैक होते हैं, उस पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए, तभी वास्तव में प्लास्टिक बैन हो सकती है.

ग्राहक करते हैं पॉलीथिन की डिमांड
जब दुकानदारों से यह पूछा गया कि यह प्लास्टिक उन्हें कहां से मिलता है इस सवाल पर उन्होंने बताया कि हर सुबह फेरीवाले यहां पर प्लास्टिक देकर जाते हैं. जब कपड़े के झोले के इस्तेमाल पर सवाल पूछा गया तो दुकानदारों ने कहा कि कपड़े का झोला 5 से 10 रुपये का मिलता है और कोई भी ग्राहक झोले का पैसा देना नहीं चाहता. वह इतना मजबूत भी नहीं होता है. ग्राहक खुद डिमांड करते हैं कि हमें प्लास्टिक के झोले में सामान दीजिए.

जब ईटीवी भारत की टीम ने बाजार में सब्जी लेने आए लोगों से बातचीत की तो कुछ लोगों ने अपनी गलती स्वीकार की और कहा कि हमें वाकई कपड़े के झोले का प्रयोग करना चाहिए. वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जो कह रहे थे कि जब तक प्लास्टिक की मैन्यूफैक्चरिंग बंद नहीं होती जब तक इसका इस्तेमाल बंद नहीं होगा.

नगर आयुक्त ने दी जानकारी
इस बारे में नगर आयुक्त गौरांग राठी ने बताया कि लगातार नगर निगम की विभिन्न टीमें प्लास्टिक बनाने वाली कंपनियों पर कार्यवाई कर रही हैं. हमारी टीम ने बीते दो सालों में 37 टन प्लास्टिक बरामद की है. वहीं 1 जुलाई 2020 से हमारी टीम एक विशेष अभियान चला रही है. इस अभियान के तहत 14 टन प्लास्टिक बरामद की गई है.

नगर आयुक्त ने सब्जी मंडियों में प्लास्टिक के प्रयोग पर कहा कि हमारा ध्यान रिटेलर से ज्यादा होलसेलर पर होता है, जिससे उन पर शिकंजा कसा जा सके. इस दिशा में नगर प्रशासन लगातार कार्ररत है. हम भविष्य में लगभग 95% प्लास्टिक के प्रयोग पर नियंत्रण कर सकेंगे.

Last Updated : Jul 19, 2020, 11:30 PM IST
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