वाराणसी: जिले के हैंडीक्राफ्ट जीआई उत्पादों की डिजिटल ब्रांडिंग व मार्केटिंग के लिए जिला प्रशासन पहल करने जा रहा है. इसके लिए उत्पादों की वेबसाइट तैयार कराई जाएगी. इसमें उत्पाद के साथ-साथ इससे जुड़े कारीगारों को पहचान दी जाएगी. कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने काशी में बनने वाले 8 तरीके के जीआई प्रोडक्ट को नई टेक्नोलॉजी को अपनाते हुए आकर्षक डिजाइन एवं पैकेजिंग के साथ-साथ उसके ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग पर विशेष जोर दिया है. उन्होंने बताया कि काशी में बनने वाले इन जीआईपी प्रोडक्ट्स की मांग बाजार में अधिक है. इन सामानों की आकर्षक डिजाइनिंग एवं पैकेजिंग कराकर इसे राष्ट्रीय बाजार के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी निर्यात किया जाएगा.
कमिश्नर ने सॉफ्ट स्टोन से बनने वाले जीआई प्रोडक्ट के लिए बुंदेलखंड की खदान से पत्थर मंगाने का आश्वासन कारीगरों को दिया. इसके अलावा उन्होंने अन्य हैंडीक्राफ्ट सामग्री तैयार करने के लिए वाराणसी में ही रॉ-मैटेरियल बैंक स्थापित करने की बात कही, ताकि इससे जुड़े लोगों को रॉ-मैटेरियल सुगमता से उपलब्ध हो सके.
जीआई प्रोडक्ट को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय बाजार
कमिश्नर दीपक अग्रवाल शुक्रवार को कमिश्नरी सभागार में डिजाइन डेवलपमेंट प्रशिक्षण कार्यक्रम व पैकेजिंग के गत दिवस आयोजित 15 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षण प्राप्त 87 लोगों को प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में वुडेन कार्विंग, स्टोन कार्विंग, जरी जरदोजी एवं गुलाबी मीनाकारी का कार्य करने वाले स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण दिया गया था. कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने हैंडीक्राफ्ट का कार्य करने वाले कारीगरों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि प्रशिक्षण से प्राप्त प्रशिक्षण से प्राप्त ज्ञान से अपने उत्पादों को आधुनिक बाजार की मांग के अनुसार तैयार करें, ताकि देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी इसका निर्यात किया जा सके.
कला के साथ स्वास्थ्य का भी रखें ध्यान
उन्होंने संयुक्त आयुक्त उद्योग को निर्देशित करते हुए कहा कि स्टोन कार्विंग एवं वुडेन कार्विंग का कार्य करने वाले लोगों को कार्य के दौरान उड़ने वाली डस्ट एवं बुरादे के साइड इफेक्ट से बचने के लिए डिजाइनिंग मास्क उपलब्ध कराएं .