वाराणसी: धर्म और अध्यात्म नगरी काशी में भगवान शिव के आराध्य प्रभु पुरुषोत्तम श्रीराम के स्मरण और उनके जीवन परिचय के लिए अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने तीन दिवसीय रामायण कॉन्क्लेव का आयोजन किया. कार्यक्रम का समापन अयोध्या में होगा. जापान और भारत की मैत्री स्मृति में बने जिले के सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें काशी के विभिन्न विद्वानों ने काशी, राम और शिव के विषय पर व्याख्यान किया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पर्यटन और प्रोटोकॉल मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी रहे. विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए गए.
जिले में वर्ष भर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन में हिस्सा लेने वाले कलाकारों को सम्मानित किया गया. लगभग 1000 कलाकारों को यहां पर पर्यटन मंत्री ने सम्मानित किया. अयोध्या शोध संस्थान संस्कृत विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित रामायण कॉन्क्लेव के अंतर्गत 7 फीट ऊंचे और 125 फीट लंबे कैनवास पर भगवान श्रीराम और उनके जीवन के विभिन्न चित्र को उकेरा गया. कॉन्क्लेव में शामिल होने वाले सभी पर्यटक इसी गैलरी से गुजर रहे थे. यह सबको अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे, उसके साथ ही भगवान श्रीराम का सांकेतिक खड़ाऊ भी बनाया गया था.
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सुबह-ए-बनारस मंच के सदस्य सुनील शुक्ला ने बताया कि अयोध्या शोध संस्थान संस्कृति विभाग और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रामायण कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया है. सुबह-ए-बनारस के साथ वर्ष भर बनारस के विभिन्न मंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन करने वाले लगभग 1000 कलाकारों को यहां पर प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया. उसके साथ ही काशी के विद्वानों ने भगवान पुरुषोत्तम राम के बारे में बताया कि शिव ही राम हैं और राम ही शिव हैं. आज की युवा पीढ़ी के लिए भगवान पुरुषोत्तम राम के संघर्षों और उनके कार्यों को जानना बहुत ही आवश्यक है. कार्यक्रम का मात्र एक मकसद था कि युवा पीढ़ी भगवान राम के दर्शन और भावना से जुड़ा रहे.