ETV Bharat / state

राम मंदिर की डिजाइन वाली साड़ी राज्यपाल को भेंट की, जानें कैसे हुई तैयार - वाराणसी में यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

वाराणसी के दौरे के दूसरे दिन राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सर्किट हाउस में आयोजित एमएसएमई की बैठक में शामिल हुईं. इस दौरान उन्होंने बनारसी साड़ी का विमोचन किया. इस साड़ी पर श्रीराम मंदिर की आकृति को बुनाई से बनाया गया है.

राज्यपाल को भेंट की साड़ी
राज्यपाल को भेंट की साड़ी
author img

By

Published : Jan 4, 2021, 7:29 PM IST

वाराणसी: राज्यपाल आनंदी बेन पटेल सोमवार को सर्किट हाउस में आयोजित एमएसएमई की बैठक में शामिल हुईं. इस दौरान एक बनारसी साड़ी का विमोचन किया. इस सारी पर श्री राम मंदिर की आकृति बुनाई से बनाई गई थी. लघु उद्योग भारती काशी प्रांत के अध्यक्ष राजेश कुमार सिंह ने संघटन के उद्यमियों की ओर से राज्यपाल को साड़ी भेंट की. साथ ही संघटन का प्रतीक चिह्न देकर राज्यपाल का स्वागत और सम्मान किया.

आंचल पर उकेरा राम मंदिर
काशी की प्राचीन बिनकारी कला के एकमात्र बुनकर गोपाल पटेल ने हथकरघा पर लगभग तीन माह में दो साड़ी तैयार की हैं. इनमें से एक बनारसी साड़ी कॉटन और रेशम से बनाई गई है, जबकि दूसरी साड़ी पूरी रेशम से बनी हुई है. इसमें गोल्डन, सिल्वर और कॉपर जरी का प्रयोग किया गया है. इसके आंचल पर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की आकृति को बुनाई से बनाया गया है. इसकी डिजाइन और अन्य कार्य सर्वेश कुमार श्रीवास्तव ने किया है, जबकि परिकल्पना अदीबा रफत ने की है. राज्यपाल ने कहा कि साड़ी पर राम मंदिर की आकृति उकेरने का विचार प्रशंसनीय है. उन्होंने उद्यमियों से सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करने की अपील की. इस पर लघु उद्योग भारती संघटन के करखियांव डिवीजन के उद्यमियों ने 10 आंगनबाड़ी केंद्र को गोद लेकर पूरा सहयोग देने का वादा किया है.

बनारसी मतलब हैंडलूम
बुनकरों ने बताया कि बनारसी साड़ी की बात होती है तो बाजार में लोग पावरलूम की बनी बनारसी साड़ी को हैंडलूम की बता कर बेच देते हैं. यह गलत है. आज कोई संघटन बुनकर की बात करता है तो केवल पावरलूम को छूट मिलने पर ही चर्चा की जाती है. इसके विपरीत असली बनारसी साड़ी संत कबीर दास के काल से आज तक हथकरघा पर ही बनाई जाती है. पावरलूम पर तो सूरत, महाबलीपुरम, चीन सहित कहीं पर भी बनारसी साड़ी बनाई जा सकती है, लेकिन वह असली बनारसी साड़ी नहीं होगी.


राज्यपाल ने की सराहना
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उद्यमियों की तरफ से भेंट में दी गई राम मंदिर की कलाकृति वाली बनारसी साड़ी का विमोचन किया. इस दौरान उन्होंने कलाकृति की सराहना करते हुए कहा कि साड़ी पर राम मंदिर की आकृतियों को बनाने का विचार बेहद प्रशंसनीय है. उन्होंने सभी उद्यमियों का इसके लिए आभार प्रकट किया.

3 माह में बनकर तैयार हुई दो साड़ी
लघु उद्योग भारती काशी प्रांत के उद्यमी सर्वेश श्रीवास्तव ने बताया कि बिनकारी कला के एकमात्र बुनकर गोपाल पटेल ने हथकरघा पर 3 महीने में दो साड़ियां तैयार की हैं. उन्होंने बताया कि एक बनारसी साड़ी कॉटन, रेशम और दूसरी पूरी रेशम से बनी है. इसमें गोल्ड, सिल्वर और कॉपर कलर की जरी का प्रयोग किया गया है. इस के आंचल पर श्री राम जन्म भूमि की मंदिर की आकृति को बुनाई से बनाया गया है. ये बेहद खूबसूरत है.

वाराणसी: राज्यपाल आनंदी बेन पटेल सोमवार को सर्किट हाउस में आयोजित एमएसएमई की बैठक में शामिल हुईं. इस दौरान एक बनारसी साड़ी का विमोचन किया. इस सारी पर श्री राम मंदिर की आकृति बुनाई से बनाई गई थी. लघु उद्योग भारती काशी प्रांत के अध्यक्ष राजेश कुमार सिंह ने संघटन के उद्यमियों की ओर से राज्यपाल को साड़ी भेंट की. साथ ही संघटन का प्रतीक चिह्न देकर राज्यपाल का स्वागत और सम्मान किया.

आंचल पर उकेरा राम मंदिर
काशी की प्राचीन बिनकारी कला के एकमात्र बुनकर गोपाल पटेल ने हथकरघा पर लगभग तीन माह में दो साड़ी तैयार की हैं. इनमें से एक बनारसी साड़ी कॉटन और रेशम से बनाई गई है, जबकि दूसरी साड़ी पूरी रेशम से बनी हुई है. इसमें गोल्डन, सिल्वर और कॉपर जरी का प्रयोग किया गया है. इसके आंचल पर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की आकृति को बुनाई से बनाया गया है. इसकी डिजाइन और अन्य कार्य सर्वेश कुमार श्रीवास्तव ने किया है, जबकि परिकल्पना अदीबा रफत ने की है. राज्यपाल ने कहा कि साड़ी पर राम मंदिर की आकृति उकेरने का विचार प्रशंसनीय है. उन्होंने उद्यमियों से सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करने की अपील की. इस पर लघु उद्योग भारती संघटन के करखियांव डिवीजन के उद्यमियों ने 10 आंगनबाड़ी केंद्र को गोद लेकर पूरा सहयोग देने का वादा किया है.

बनारसी मतलब हैंडलूम
बुनकरों ने बताया कि बनारसी साड़ी की बात होती है तो बाजार में लोग पावरलूम की बनी बनारसी साड़ी को हैंडलूम की बता कर बेच देते हैं. यह गलत है. आज कोई संघटन बुनकर की बात करता है तो केवल पावरलूम को छूट मिलने पर ही चर्चा की जाती है. इसके विपरीत असली बनारसी साड़ी संत कबीर दास के काल से आज तक हथकरघा पर ही बनाई जाती है. पावरलूम पर तो सूरत, महाबलीपुरम, चीन सहित कहीं पर भी बनारसी साड़ी बनाई जा सकती है, लेकिन वह असली बनारसी साड़ी नहीं होगी.


राज्यपाल ने की सराहना
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उद्यमियों की तरफ से भेंट में दी गई राम मंदिर की कलाकृति वाली बनारसी साड़ी का विमोचन किया. इस दौरान उन्होंने कलाकृति की सराहना करते हुए कहा कि साड़ी पर राम मंदिर की आकृतियों को बनाने का विचार बेहद प्रशंसनीय है. उन्होंने सभी उद्यमियों का इसके लिए आभार प्रकट किया.

3 माह में बनकर तैयार हुई दो साड़ी
लघु उद्योग भारती काशी प्रांत के उद्यमी सर्वेश श्रीवास्तव ने बताया कि बिनकारी कला के एकमात्र बुनकर गोपाल पटेल ने हथकरघा पर 3 महीने में दो साड़ियां तैयार की हैं. उन्होंने बताया कि एक बनारसी साड़ी कॉटन, रेशम और दूसरी पूरी रेशम से बनी है. इसमें गोल्ड, सिल्वर और कॉपर कलर की जरी का प्रयोग किया गया है. इस के आंचल पर श्री राम जन्म भूमि की मंदिर की आकृति को बुनाई से बनाया गया है. ये बेहद खूबसूरत है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.