वाराणसी: अयोध्या में श्री रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा और मंदिर के उद्घाटन समारोह से पहले मंगलवार से अयोध्या में अनुष्ठान शुरू हो गया. मुख्य आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित और उनके कुछ विशेष शिष्य अयोध्या के लिए रवाना हो रहे हैं, जो शाम तक आयोध्या पहुंच भी जाएंगे, बाकी 55 विद्वानों के अतिरिक्त 11 ज्योतिषाचार्य जिसमें गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ भी शामिल थे. वह सारे लोग अयोध्या पहुंच चुके हैं.
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में मुख्य आचार्य पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित और उनके बेटे और सहायक आचार्य पंडित जयकृष्ण दीक्षित मंगलवार को रवाना हो रहे हैं. इन लोगों के वहां जाने से पहले इन्होंने मीडिया से औपचारिक बातचीत में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी सहायता मां के तौर पर शामिल होंगे. जबकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर्फ एक दिन के अनुष्ठान में शामिल होंगे.
प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के मुख्य आचार्य पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित और उनके बेटे जय कृष्ण दीक्षित ने बताया कि अयोध्या में जो अनुष्ठान होने जा रहा है, उसमें 16 स्तंभ 16 देवताओं के प्रतीक हैं. इनमें गणेश, विश्वकर्मा, ब्रह्मा, वरुण समेत अन्य देवी देवताओं को अलग-अलग रंग के वस्त्र अर्पित करके अनुष्ठान की शुरुआत होगी. 16 स्तंभों और चार द्वारों के पूजन से इस अनुष्ठान को शुरू किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि मंडप के चार द्वारा चार वेदों और उन द्वार के दो-दो द्वारपाल चारों वेदों की दो-दो शाखों के प्रतिनिधि माने गए हैं. पूर्व दिशा ऋग्वेद, दक्षिण यजुर्वेद, पश्चिम दिशा सामवेद और उत्तर दिशा अथर्ववेद की प्रतीक होगी. उनकी विधिवत पूजा आराधना के बाद चार वेदियों की पूजा होगी. यह चार वेदियां वास्तु वेदी, योगिनी वेदी, क्षेत्रपाल वेदी और भैरव वेदी के रूप में पूजित होगी.
इन चार के मध्य प्रधान वेदी होगी, इसे पंचांग वेदी कहा जाता है. पहले दिन प्रधान वेदी के समक्ष पांच प्रकार के पूजन संपन्न होंगे. इसमें गणेश अंबिका पूजन, वरुण षोड्षोपचार पूजन, सप्तघृत मातृका पूजन, नांदी श्राद्ध पूजन संपन्न होगा. इसके बाद प्रधान वेदी पर भगवान राम की मूर्ति को रखने के बाद इसकी नित्य पूजा शुरू होगी. राम मूर्ति की पूजा के बाद प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान शुरू होंगे और भगवान का कर्म कुटीर किया जाएगा. आगे के दिनों में प्राण प्रतिष्ठा होने तक प्रधान विधि के समक्ष नांदी श्राद्ध को छोड़कर शेष चार पूजन होते रहेंगे.
आयोजन के सहायक आचार्य पंडित जय कृष्ण दीक्षित ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का मुख्य यजमान श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा को बनाया गया है. वह सपत्नीक पूजन में शामिल होंगे. मुख्य यजमान 10 विधि स्नान के साथ पूजन शुरू करेंगे. सर्वप्रथम गोमूत्र से स्नान कराया जाएगा, इसके बाद गोमय, गो दुग्ध, दही, घी, कुशोदक, भस्म, मिट्टी, शहद, के स्नान के बाद पवित्र जल से स्नान संपन्न होगा. इसके बाद प्रायश्चित का अंग भूत हवन होगा. हवन की पूर्णता के बाद पंचगव्य का सेवन करके प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के लिए यजमान को योग्य माना जाएगा.
उन्होंने बताया कि 16 तारीख से पूजन की तैयारी और 17 जनवरी से पूजन की शुरुआत हो जाएगी. 108 कलशों और सहस्त्र छिद्र कलश से भरे अलग-अलग तीर्थ के जलों से महासागरों के जल से और नदियों के जलों से विग्रह का स्नान पूर्ण करवाया जाएगा. इसके बाद पांच वेदियों की पूजा के बाद शिल्पी प्रधान विग्रह को मुख्य आचार्य को सौंप देंगे. इसके बाद पंडित लक्ष्मीकांत दिक्षित, वेद मूर्ति पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़, पंडित गजानंद ज्योत्कार, पंडित जयराम दीक्षित और पंडित सुनील दीक्षित मुख्य विग्रह का निरीक्षण करेंगे.
निरीक्षण में सब कुशल पाए जाने के बाद विग्रह के संस्कार पूर्ण किए जाएंगे. इसके बाद 81 कलशों के जल से स्नान पूर्ण करके 18 जनवरी को मुख्य गर्भ ग्रह में विग्रह के स्थान अधिवास का कार्यक्रम किया जाएगा. 22 को मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा पूर्ण होते ही शालका को खींच लिया जाएगा संपूर्ण विग्रह अपने स्थान पर स्थित हो जाएगा.
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