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सरकार से नाराज हैं शहीद के परिवार, आज भी मदद की दरकार - पुलवामा हमले में वाराणसी के शहीद

पुलवामा अटैक की दूसरी बरसी पर आज पूरा देश शहीद जवानों को नमन कर रहा है. इस हमले के जवाब में भारत द्वारा की गई एयर स्ट्राइक में वाराणसी का लाल विशाल पांडेय शहीद हो गया था. उस समय शहीद के परिवार को हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया गया था. यह आश्वासन आज तक पूरा नहीं किया गया. इससे शहीद के परिजनों में आक्रोश है.

पुलवामा शहीदों को आज भी मदद की दरकार
पुलवामा शहीदों को आज भी मदद की दरकार
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Published : Feb 14, 2021, 4:50 PM IST

वाराणसी: दो साल पहले पुलवामा हमले में शहीद हुए विशाल पांडेय के परिवार को आज भी सरकार से मदद की दरकार है. उनके पिता का कहना है कि सरकार ने उस समय मदद के बड़े-बड़े दावे किए थे. आज दो साल बीत जाने के बाद भी सरकार ने उन्हें किसी भी तरह की मदद उपलब्ध नहीं कराई है.

शहीद के परिजनों से बातचीत.

काशी का लाल हुआ था शहीद
आज का दिन भारत के इतिहास में जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमले की दुखद घटना के साथ दर्ज है. दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले में सीपीआरएफ जवानों के काफिले पर हुए आतंकी हमले की आज दूसरी बरसी है. पाकिस्तानी आतंकियों के इस हमले में भारत के 40 जवान शहीद हो गए थे. जवाब में भारत ने भी महज 12 दिनों में एयर स्ट्राइक की थी. भारत की इस कार्रवाई के दौरान एक प्लेन क्रैश में वाराणसी का लाल विशाल पांडेय शहीद हो गया था. विशाल के परिवार को आज भी सरकार से मिले आश्वासनों के पूरे होने का इंतजार है.

आज भी मदद का है इंतजार
शहीदों की शहादत के बाद बड़े-बड़े दावे करने वाले नेताओं और अधिकारियों ने कभी भी विशाल पांडेय के परिवार की सुध नहीं ली. विशाल पांडेय की शहादत के दो साल बीत जाने के बाद आज भी उनके बुजुर्ग माता-पिता की आंखें बेटे का जिक्र करते ही नम हो जाती हैं. पिता विजय शंकर पांडेय का कहना है कि उन्हें न तो केंद्र सरकार से कोई मदद मिली और न ही जनप्रतिनिधियों ने उनके लिए कोई व्यवस्था की है. उन्होंने कहा कि जब उनका लाल शहीद हुआ था तो सरकार ने बड़े-बड़े दावे किए थे. शहीद विशाल की याद में स्मारक बनाया जाना था, लेकिन सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया.

हमें सियासत नहीं, मदद चाहिए
विजय शंकर पांडेय ने कहा कि हमें सरकार की सियासत नहीं, बल्कि मदद चाहिए. सरकार ने घर के बाहर ही तिरंगा बनवाकर उस पर शहीद विशाल भवन लिखवा दिया है, जिससे की याद बनी रहे. यदि सरकार शहीदों के मां-बाप के दुःख को नहीं समझ पाएगी तो अब कोई मां-बाप अपने बेटे को सेना में नहीं भेजेगा.

शहीद विशाल की मां विमला पांडेय ने बताया कि हमारी तो सारी पूंजी हमारी औलाद थी. वह हमें छोड़ कर चला गया. हर दिन ऐसा लगता है कि अभी दरवाजे पर विशाल आएगा. उसके जाने के बाद सरकार ने भी हमारी सुध नहीं ली. बता दें कि विशाल पांडेय वायुसेना में सार्जेंट पद पर तैनात थे. सीमा पर mi-17 हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया. इसमें वह शहीद हो गए थे.

वाराणसी: दो साल पहले पुलवामा हमले में शहीद हुए विशाल पांडेय के परिवार को आज भी सरकार से मदद की दरकार है. उनके पिता का कहना है कि सरकार ने उस समय मदद के बड़े-बड़े दावे किए थे. आज दो साल बीत जाने के बाद भी सरकार ने उन्हें किसी भी तरह की मदद उपलब्ध नहीं कराई है.

शहीद के परिजनों से बातचीत.

काशी का लाल हुआ था शहीद
आज का दिन भारत के इतिहास में जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमले की दुखद घटना के साथ दर्ज है. दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले में सीपीआरएफ जवानों के काफिले पर हुए आतंकी हमले की आज दूसरी बरसी है. पाकिस्तानी आतंकियों के इस हमले में भारत के 40 जवान शहीद हो गए थे. जवाब में भारत ने भी महज 12 दिनों में एयर स्ट्राइक की थी. भारत की इस कार्रवाई के दौरान एक प्लेन क्रैश में वाराणसी का लाल विशाल पांडेय शहीद हो गया था. विशाल के परिवार को आज भी सरकार से मिले आश्वासनों के पूरे होने का इंतजार है.

आज भी मदद का है इंतजार
शहीदों की शहादत के बाद बड़े-बड़े दावे करने वाले नेताओं और अधिकारियों ने कभी भी विशाल पांडेय के परिवार की सुध नहीं ली. विशाल पांडेय की शहादत के दो साल बीत जाने के बाद आज भी उनके बुजुर्ग माता-पिता की आंखें बेटे का जिक्र करते ही नम हो जाती हैं. पिता विजय शंकर पांडेय का कहना है कि उन्हें न तो केंद्र सरकार से कोई मदद मिली और न ही जनप्रतिनिधियों ने उनके लिए कोई व्यवस्था की है. उन्होंने कहा कि जब उनका लाल शहीद हुआ था तो सरकार ने बड़े-बड़े दावे किए थे. शहीद विशाल की याद में स्मारक बनाया जाना था, लेकिन सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया.

हमें सियासत नहीं, मदद चाहिए
विजय शंकर पांडेय ने कहा कि हमें सरकार की सियासत नहीं, बल्कि मदद चाहिए. सरकार ने घर के बाहर ही तिरंगा बनवाकर उस पर शहीद विशाल भवन लिखवा दिया है, जिससे की याद बनी रहे. यदि सरकार शहीदों के मां-बाप के दुःख को नहीं समझ पाएगी तो अब कोई मां-बाप अपने बेटे को सेना में नहीं भेजेगा.

शहीद विशाल की मां विमला पांडेय ने बताया कि हमारी तो सारी पूंजी हमारी औलाद थी. वह हमें छोड़ कर चला गया. हर दिन ऐसा लगता है कि अभी दरवाजे पर विशाल आएगा. उसके जाने के बाद सरकार ने भी हमारी सुध नहीं ली. बता दें कि विशाल पांडेय वायुसेना में सार्जेंट पद पर तैनात थे. सीमा पर mi-17 हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया. इसमें वह शहीद हो गए थे.

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