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उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष बने काशी के पद्मश्री राजेश्वर आचार्य

प्रोफेसर राजेश्वर आचार्य को उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. वे वाराणसी जिले के रहने वाले हैं. भारत सरकार की तरफ से उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है.

professor rajeshwar acharya
उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष बने प्रोफेसर राजेश्वर आचार्य.
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Published : Oct 18, 2020, 11:56 AM IST

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी को संगीत और परंपराओं का भी शहर कहा जाता है. यही वजह रही कि बनारस घराने के संगीत साधना करने वाले लोग देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपनी अलग पहचान बना कर आए. यहीं के भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खां हैं, जिन्होंने बनारस की सीढ़ियों से लेकर विश्व के पटल पर खुद को स्थापित किया. इसी क्रम में आज बनारस ने एक नया कीर्तिमान हासिल किया. संगीत आचार्य पद्मश्री प्रोफेसर राजेश्वर आचार्य को उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी का अध्यक्ष बनाया गया है. इसकी जानकारी मिलते ही फोन और घर पर बधाई देने वालों का तांता लग गया. घर के लोगों ने भी मिठाई खिलाकर अपनी खुशी जाहिर की.

कला और संगीत के विकास पर रहेगा जोर.

संगीत आचार्य प्रोफेसर राजेश्वर आचार्य को 25 जनवरी 2019 में पद्मश्री मिला है. सन 1967 में वे काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कल्चरल फैकेल्टी के छात्रसंघ पदाधिकारी थे. ऑल इंडिया रेडियो कंपटीशन में उन्होंने सर्वोच्च अंक प्राप्त किया है. गोरखपुर यूनिवर्सिटी में म्यूजिक एंड फाइन आर्ट्स के हेड के रूप में कार्य किया.

प्रोफेसर राजेश्वर आचार्य ध्रुपद गायक और जलतरंग वादन में महारत हासिल किए हुए विख्यात संगीतकार हैं. संकट मोचन फाउंडेशन के साथ मिलकर उन्होंने न केवल ध्रुपद मेले का आयोजन शुरू करवाया, बल्कि विश्व विश्व विख्यात संकट मोचन संगीत समारोह में तत्कालीन महंत स्वर्गीय वीरभद्र मिश्र के साथ अहम भूमिका निभाई. ज्ञान का भंडार होने के बाद भी अंदाज बिल्कुल खाटी बनारसी है. उन्हें बनारस का इनसाइक्लोपीडिया कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी.

लोगों ने किताब में पढ़कर बनारस को जाना होगा, लेकिन डॉ. आचार्य ने काशी को जिया है, तब जाना है. इन सबसे अलग हंसमुख मिजाज आचार्य पक्के बनारसी हैं, जिन्हें स्वाभिमान सबसे प्यारा है. उनके साथ कोई भी समझौता कर ही नहीं सकता. एक बात और है कि वह महामना की बगिया के खूबसूरत नगीने भी हैं. देश-विदेश में उनके शिष्यों की लंबी शाखाएं आज भी विद्यमान है.

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी को संगीत और परंपराओं का भी शहर कहा जाता है. यही वजह रही कि बनारस घराने के संगीत साधना करने वाले लोग देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपनी अलग पहचान बना कर आए. यहीं के भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खां हैं, जिन्होंने बनारस की सीढ़ियों से लेकर विश्व के पटल पर खुद को स्थापित किया. इसी क्रम में आज बनारस ने एक नया कीर्तिमान हासिल किया. संगीत आचार्य पद्मश्री प्रोफेसर राजेश्वर आचार्य को उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी का अध्यक्ष बनाया गया है. इसकी जानकारी मिलते ही फोन और घर पर बधाई देने वालों का तांता लग गया. घर के लोगों ने भी मिठाई खिलाकर अपनी खुशी जाहिर की.

कला और संगीत के विकास पर रहेगा जोर.

संगीत आचार्य प्रोफेसर राजेश्वर आचार्य को 25 जनवरी 2019 में पद्मश्री मिला है. सन 1967 में वे काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कल्चरल फैकेल्टी के छात्रसंघ पदाधिकारी थे. ऑल इंडिया रेडियो कंपटीशन में उन्होंने सर्वोच्च अंक प्राप्त किया है. गोरखपुर यूनिवर्सिटी में म्यूजिक एंड फाइन आर्ट्स के हेड के रूप में कार्य किया.

प्रोफेसर राजेश्वर आचार्य ध्रुपद गायक और जलतरंग वादन में महारत हासिल किए हुए विख्यात संगीतकार हैं. संकट मोचन फाउंडेशन के साथ मिलकर उन्होंने न केवल ध्रुपद मेले का आयोजन शुरू करवाया, बल्कि विश्व विश्व विख्यात संकट मोचन संगीत समारोह में तत्कालीन महंत स्वर्गीय वीरभद्र मिश्र के साथ अहम भूमिका निभाई. ज्ञान का भंडार होने के बाद भी अंदाज बिल्कुल खाटी बनारसी है. उन्हें बनारस का इनसाइक्लोपीडिया कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी.

लोगों ने किताब में पढ़कर बनारस को जाना होगा, लेकिन डॉ. आचार्य ने काशी को जिया है, तब जाना है. इन सबसे अलग हंसमुख मिजाज आचार्य पक्के बनारसी हैं, जिन्हें स्वाभिमान सबसे प्यारा है. उनके साथ कोई भी समझौता कर ही नहीं सकता. एक बात और है कि वह महामना की बगिया के खूबसूरत नगीने भी हैं. देश-विदेश में उनके शिष्यों की लंबी शाखाएं आज भी विद्यमान है.

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