वाराणसीः जिले में स्थित केंद्रीय कारागार के कैदियों को मेहनतकश, हुनरमंद और आत्मनिर्भर बनाने के लिए जेल प्रशासन लगातार कवायद कर रहा है. वाराणसी के केंद्रीय कारागार के सजायाफ्ता कैदी इन दिनों बीएचयू के कृषि वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में जड़ी-बूटी और औषधिय गुणों युक्त पौधे उगा रहे हैं. इसके अलावा सेंट्रल जेल में इग्नू के अलग-अलग कोर्स संचालित हैं. कैदियों का बैच बनाकर उन्हें कौशल विकास मिशन योजना के तहत बढ़ई, प्लंबर, बिजली मिस्त्री, जैसे काम के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है.
कैदियों को मिलता है पारिश्रमिक
बता दें कि केंद्रीय कारागार में 1700 के करीब कैदी निरुद्ध हैं. जेल में अलग-अलग काम करने के लिए अलग-अलग दर से पारिश्रमिक निर्धारित है. वरिष्ठ जेल अधीक्षक अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि हर बंदी को उनके कार्यों के हिसाब से पारिश्रमिक दिया जाता है. जेल में बेकरी और गोशाला है, जिसमें कई बंदी कार्य करते हैं. उन्होंने बताया कि जेल में निरुद्ध बंदियों के एकाउंट खोले गए हैं. बंदियों के पारिश्रमिक की धनराशि उनके बैंक एकाउंट में ट्रांसफर की जाती है.
कैदी लगा रहे औषधीय गुणों से युक्त पौधे
वरिष्ठ जेल अधीक्षक अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि जेल में कैदियों द्वारा औषधीय गुणों से युक्त अश्वगंधा, चिरायता, कालमेघ, विधारा, सफेद मूसली के पौधे लगाए गए हैं. बन्दी इसका इस्तेमाल काढ़ा व अन्य छोटी-मोटी बीमारियों में उपयोग कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि औद्योगिक कार्यों में बहुत से बन्दी लगे हैं, लेकिन औषधीय कार्यों में तीन से चार बंदी लगे हैं.
संगीत की भी दी जा रही शिक्षा
अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि जेल में करीब 1700 बंदी निरुद्ध है. जेल में कैदियों द्वारा संगीत की भी शिक्षा ली जाती है, जिसमें 13 बंदी रजिस्टर्ड हैं और वह डिप्लोमा प्राप्त कर रहे हैं. वहीं जेल में वाद्ययंत्र भी मौजूद है.