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पीएम ने किया था उद्घाटन, कागजी कार्रवाई में फंसा बनारस का नाइट बाजार

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Published : Nov 16, 2022, 11:17 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) अपने दौरे पर बनारस को लाखों करोड़ों की योजनाओं की सौगात देते हैं. 7 जुलाई 2022 को प्रधानमंत्री का बनारस आगमन हुआ तो उन्होंने कई सौ करोड़ रुपए से ज्यादा की योजनाओं की सौगात दी थी. इसमें सबसे महत्वपूर्ण था कैंट रेलवे स्टेशन के बाहर फ्लाईओवर के नीचे डेवलप किया गया नाइट बाजार.

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वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) अपने दौरे पर बनारस को लाखों करोड़ों की योजनाओं की सौगात देते हैं. 7 जुलाई 2022 को प्रधानमंत्री का बनारस आगमन हुआ तो उन्होंने कई सौ करोड़ रुपए से ज्यादा की योजनाओं की सौगात दी थी. कुछ ऐसे नए प्रोजेक्ट का भी उद्घाटन किया था जो शहर की दशा और दिशा बदलने का काम कर सकते थे. इसमें सबसे महत्वपूर्ण था कैंट रेलवे स्टेशन के बाहर फ्लाईओवर के नीचे डेवलप किया गया नाइट बाजार. विदेशों की तर्ज पर बनारस में तैयार किया गया यह कांसेप्ट अपने आप में बिल्कुल अलग था. माना जा रहा था कि इसकी सफलता उत्तर प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में भी नाइट बाजार के प्लान को आगे बढ़ाने का काम करेगी, लेकिन इसके उद्घाटन के बाद आज 4 महीने का वक्त बीत जाने के बाद भी यहां पर बनाई गई 80 से ज्यादा दुकानों में से किसी भी ताला तक नहीं खुला है. अब तक मामला सिर्फ और सिर्फ कागजी कार्यवाही में ही उलझा हुआ है. जिसकी वजह से इस नाइट बाजार के असली हकदार सिर्फ विभागों के चक्कर काट रहे हैं.

दरअसल, वाराणसी के चौकाघाट लहरतारा मार्ग पर फ्लाईओवर के नीचे नाइट बाजार डेवलप कर एक नया कॉन्सेप्ट तैयार कर पहली बार उत्तर प्रदेश में ऐसे बाजार को संचालित करने की प्लानिंग की गई थी. विदेशों की तर्ज पर छोटी-छोटी गुमटीनुमा दुकानों को बनाने के बाद इस इलाके से उजाड़े गए ठेला, पटरी और रेहड़ी कारोबारियों को इस नाइट बाजार में शिफ्ट करने की प्लानिंग की गई थी, लेकिन उद्घाटन के बाद भी अब तक यहां की एक दुकान भी आवंटित नहीं हो सकी है. इसके पीछे बड़ी वजह अब तक कागजी कार्रवाई को माना जा रहा है, क्योंकि इस पूरे नाइट बाजार के संचालन की जिम्मेदारी स्मार्ट सिटी को दी गई है. वाराणसी नगर निगम स्मार्ट सिटी के साथ मिलकर इसको आगे बढ़ाने की प्लानिंग कर रहा है.

जानकारी देते संवाददाता गोपाल मिश्रा

इस बारे में स्मार्ट सिटी के जनसंपर्क अधिकारी शाकंभरी नंदन सोंथालिया (Public Relations Officer Shakambhari Nandan Sonthalia) का कहना है कि इस दिशा में सबसे पहले रेहड़ी, पटरी और ठेला कारोबारियों को दुकान आवंटन की प्रक्रिया की जानी है. कुछ कागजी गड़बड़ी और बैंक से हुई समस्याओं की वजह से स्मार्ट सिटी ने जिस कार्यदायी संस्था को इस प्रोजेक्ट को हैंड ओवर किया है वह काम नहीं शुरू कर पाई थी, लेकिन अब इस दिशा में काम शुरू हो गया है. 31 से लेकर 10 तारीख तक फॉर्म के बिक्री का कार्य किया जा रहा है. इसके लिए डूडा के साथ मिलकर उन लोगों की लिस्ट तैयार की गई है जो ठेला, पटरी और रेहड़ी कारोबारी हैं. इस सर्वे की कार्रवाई पूरी करने के बाद एक लिस्ट चस्पा भी कर दी गई है, जिसमें नाम देखकर संबंधित कारोबारी अपना फॉर्म लेकर उसे जमा कर सकते हैं. इसकी जांच के बाद दुकान आवंटन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, लेकिन इसे लेकर अब एक नया विरोध भी शुरू हो रहा है.

कारोबारी समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि यह सर्वे किस और कौन से आधार पर किया गया यह किसी को नहीं पता, क्योंकि जो रजिस्टर्ड पटरी कारोबारी हैं उन तक इस योजना का लाभ पहुंच ही नहीं रहा है. जिनको कैंट स्टेशन या आसपास के क्षेत्र से उजाड़ा गया, उनमें से किसी का नाम इस सर्वे सूची में शामिल ही नहीं किया गया है. जिसकी वजह से अब पटरी कारोबारी भी लड़ाई के मूड में आ गए हैं. फिलहाल सवाल सबसे बड़ा यही है कि आज 4 महीने बीत जाने के बाद भी इस नाइट बाजार की शुरुआत ही नहीं हो सकी है और अब जब शुरुआत होने की तैयारी है तो इसे लेकर विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं. जिसके बाद यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या अभी यह शुरू हो पाएगा या नहीं.

यह भी पढ़ें : लोक भवन में कैबिनेट की बैठक आज, कई प्रस्तावों पर लग सकती है मुहर

वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) अपने दौरे पर बनारस को लाखों करोड़ों की योजनाओं की सौगात देते हैं. 7 जुलाई 2022 को प्रधानमंत्री का बनारस आगमन हुआ तो उन्होंने कई सौ करोड़ रुपए से ज्यादा की योजनाओं की सौगात दी थी. कुछ ऐसे नए प्रोजेक्ट का भी उद्घाटन किया था जो शहर की दशा और दिशा बदलने का काम कर सकते थे. इसमें सबसे महत्वपूर्ण था कैंट रेलवे स्टेशन के बाहर फ्लाईओवर के नीचे डेवलप किया गया नाइट बाजार. विदेशों की तर्ज पर बनारस में तैयार किया गया यह कांसेप्ट अपने आप में बिल्कुल अलग था. माना जा रहा था कि इसकी सफलता उत्तर प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में भी नाइट बाजार के प्लान को आगे बढ़ाने का काम करेगी, लेकिन इसके उद्घाटन के बाद आज 4 महीने का वक्त बीत जाने के बाद भी यहां पर बनाई गई 80 से ज्यादा दुकानों में से किसी भी ताला तक नहीं खुला है. अब तक मामला सिर्फ और सिर्फ कागजी कार्यवाही में ही उलझा हुआ है. जिसकी वजह से इस नाइट बाजार के असली हकदार सिर्फ विभागों के चक्कर काट रहे हैं.

दरअसल, वाराणसी के चौकाघाट लहरतारा मार्ग पर फ्लाईओवर के नीचे नाइट बाजार डेवलप कर एक नया कॉन्सेप्ट तैयार कर पहली बार उत्तर प्रदेश में ऐसे बाजार को संचालित करने की प्लानिंग की गई थी. विदेशों की तर्ज पर छोटी-छोटी गुमटीनुमा दुकानों को बनाने के बाद इस इलाके से उजाड़े गए ठेला, पटरी और रेहड़ी कारोबारियों को इस नाइट बाजार में शिफ्ट करने की प्लानिंग की गई थी, लेकिन उद्घाटन के बाद भी अब तक यहां की एक दुकान भी आवंटित नहीं हो सकी है. इसके पीछे बड़ी वजह अब तक कागजी कार्रवाई को माना जा रहा है, क्योंकि इस पूरे नाइट बाजार के संचालन की जिम्मेदारी स्मार्ट सिटी को दी गई है. वाराणसी नगर निगम स्मार्ट सिटी के साथ मिलकर इसको आगे बढ़ाने की प्लानिंग कर रहा है.

जानकारी देते संवाददाता गोपाल मिश्रा

इस बारे में स्मार्ट सिटी के जनसंपर्क अधिकारी शाकंभरी नंदन सोंथालिया (Public Relations Officer Shakambhari Nandan Sonthalia) का कहना है कि इस दिशा में सबसे पहले रेहड़ी, पटरी और ठेला कारोबारियों को दुकान आवंटन की प्रक्रिया की जानी है. कुछ कागजी गड़बड़ी और बैंक से हुई समस्याओं की वजह से स्मार्ट सिटी ने जिस कार्यदायी संस्था को इस प्रोजेक्ट को हैंड ओवर किया है वह काम नहीं शुरू कर पाई थी, लेकिन अब इस दिशा में काम शुरू हो गया है. 31 से लेकर 10 तारीख तक फॉर्म के बिक्री का कार्य किया जा रहा है. इसके लिए डूडा के साथ मिलकर उन लोगों की लिस्ट तैयार की गई है जो ठेला, पटरी और रेहड़ी कारोबारी हैं. इस सर्वे की कार्रवाई पूरी करने के बाद एक लिस्ट चस्पा भी कर दी गई है, जिसमें नाम देखकर संबंधित कारोबारी अपना फॉर्म लेकर उसे जमा कर सकते हैं. इसकी जांच के बाद दुकान आवंटन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, लेकिन इसे लेकर अब एक नया विरोध भी शुरू हो रहा है.

कारोबारी समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि यह सर्वे किस और कौन से आधार पर किया गया यह किसी को नहीं पता, क्योंकि जो रजिस्टर्ड पटरी कारोबारी हैं उन तक इस योजना का लाभ पहुंच ही नहीं रहा है. जिनको कैंट स्टेशन या आसपास के क्षेत्र से उजाड़ा गया, उनमें से किसी का नाम इस सर्वे सूची में शामिल ही नहीं किया गया है. जिसकी वजह से अब पटरी कारोबारी भी लड़ाई के मूड में आ गए हैं. फिलहाल सवाल सबसे बड़ा यही है कि आज 4 महीने बीत जाने के बाद भी इस नाइट बाजार की शुरुआत ही नहीं हो सकी है और अब जब शुरुआत होने की तैयारी है तो इसे लेकर विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं. जिसके बाद यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या अभी यह शुरू हो पाएगा या नहीं.

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