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काशी में गौरा के गौने की तैयारियां शुरू, हल्दी तेल की रस्म के बाद महिलाओं ने समझाया ससुराल के लोकाचार

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Published : Mar 1, 2023, 10:38 PM IST

वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में रंगभरी एकाशी पर माता पार्वती के गौने की परंपरा को निभाई जा रही है. जिसकी तैयारियों जोरों से हो रही है. इस दौरान महिलाओं में माता गौरा के विग्रह को हल्दी लगाकर तैयार किया और उन्हें लोकाचार की परंपराओं को समझाया.

काशी में गौरा के गौने की तैयारियां शुरू
काशी में गौरा के गौने की तैयारियां शुरू
महिलाओं ने बताये गौरा को ससुराल के लोकाचार
महिलाओं ने बताये गौरा को ससुराल के लोकाचार

वाराणसी: बनारस में होली से पहले रंगभरी उत्सव को लेकर तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई हैं. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में रंग भरी पर माता पार्वती के गौने की परंपरा को निभाया जाता है. जिसके लिए माता पार्वती को हल्दी तेल की रस्म पूरी की गई. इसके बाद महिलाओं ने माता गौरा को लोकाचार की परंपराओं के अनुरूप ससुराल के रीति रिवाज और अन्य चीजें समझाई. महिलाओं ने गीत गाकर माता पार्वती को तैयार किया.

गौने के लिए बनाए गए वस्त्र
गुजारात से आए खादी से बने गौने के लिए वस्त्र
शिव-पार्वती विवाह के उपरांत रंगभरी (अमला) एकादशी पर बाबा के गौना की रस्म उत्सव का क्रम मंगलवार से टेढीनिम स्थित विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर आरंभ हो गया. महंत आवास पर गौरा के विग्रह को संध्याबेला हल्दी लगाई. महंत आवास पर गौरा के विग्रह के समक्ष सुहागिनों और गवनहिरयों की टोली संध्या बेला में अचल सुहाग की कामना के साथ पहुंची. इस उत्सव में मोहल्ले की बुजुर्ग महिलाएं भी शरीक हुईं.
गौरा के गौने के लिए बने विशेष वस्त्र
बरसाने से आया गौरा के गौने के लिए विशेष वस्त्र
बुधवार की शाम हुए इस उत्सव में ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच मंगल गीत गाते हुए महिलाओं ने गौरा को ससुराल के नियम समझाए. दूल्हे के स्वागत के लिए कौन-कौन से पकवान पकाए जा रहे हैं. सखियां पार्वती का साज श्रृंगार करने के लिए सुंदर फूल चुन कर ला रही हैं. मांगलिक गीतों से महंत आवास गुंजायमान हो उठा. लोक संगीत के बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना पर आधारित पारंपरिक गीतों का क्रम देर तक चला. मंगल गीतों में यह चर्चा भी की गई कि गौना के लिए कहां क्या तैयारी हो रही है.
गौने के बनाए गए भोले नाथ और गौरा के मुकुट
गौने के बनाए गए भोले नाथ और गौरा के मुकुट


गौरा को विदा कराने रविवार को भोले बाबा ससुराल पहुंचेगे. भोले बाबा के आगमन के लिये तैयारियां की जा रही है. ठंडई मेवे और पकवान की व्यवस्था की गई है. तीन मार्च को रंगभरी (अमला) एकादशी पर बाबा विश्वनाथ, माता पार्वती संग प्रथमेश की चल प्रतिमा की पालकी यात्रा को लेकर लोकाचार के लिए महंत आवास पर पालकी की मरम्मत से लेकर बाबा के राजसी स्वरूप और पुजन परंपरा के साथ गौरा के गौना के सामानों को सूची बद्ध कर लिया गया है. गुजरात (सूरत) से आई खादी व बरसाने से आये लहंगे में माता गौरा का गौना होगा. बुधवार सांयकाल सुरत व मथुरा के बरसाने से आये गौने के राजशाही पोशाक का महंत आवास में विधिवत् पूजन किया गया. आचार्य सुशील त्रिपाठी ने पालकी एंव राजशाही पोशाक का पूजन कराया.

यह भी पढ़ें:शिवरात्रि से पहले बाबा भोलेनाथ को लगेगी हल्दी, दो दिन पहले शुरू होगी गौरा शिव के विवाह की रस्में

महिलाओं ने बताये गौरा को ससुराल के लोकाचार
महिलाओं ने बताये गौरा को ससुराल के लोकाचार

वाराणसी: बनारस में होली से पहले रंगभरी उत्सव को लेकर तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई हैं. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में रंग भरी पर माता पार्वती के गौने की परंपरा को निभाया जाता है. जिसके लिए माता पार्वती को हल्दी तेल की रस्म पूरी की गई. इसके बाद महिलाओं ने माता गौरा को लोकाचार की परंपराओं के अनुरूप ससुराल के रीति रिवाज और अन्य चीजें समझाई. महिलाओं ने गीत गाकर माता पार्वती को तैयार किया.

गौने के लिए बनाए गए वस्त्र
गुजारात से आए खादी से बने गौने के लिए वस्त्र
शिव-पार्वती विवाह के उपरांत रंगभरी (अमला) एकादशी पर बाबा के गौना की रस्म उत्सव का क्रम मंगलवार से टेढीनिम स्थित विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर आरंभ हो गया. महंत आवास पर गौरा के विग्रह को संध्याबेला हल्दी लगाई. महंत आवास पर गौरा के विग्रह के समक्ष सुहागिनों और गवनहिरयों की टोली संध्या बेला में अचल सुहाग की कामना के साथ पहुंची. इस उत्सव में मोहल्ले की बुजुर्ग महिलाएं भी शरीक हुईं.
गौरा के गौने के लिए बने विशेष वस्त्र
बरसाने से आया गौरा के गौने के लिए विशेष वस्त्र
बुधवार की शाम हुए इस उत्सव में ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच मंगल गीत गाते हुए महिलाओं ने गौरा को ससुराल के नियम समझाए. दूल्हे के स्वागत के लिए कौन-कौन से पकवान पकाए जा रहे हैं. सखियां पार्वती का साज श्रृंगार करने के लिए सुंदर फूल चुन कर ला रही हैं. मांगलिक गीतों से महंत आवास गुंजायमान हो उठा. लोक संगीत के बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना पर आधारित पारंपरिक गीतों का क्रम देर तक चला. मंगल गीतों में यह चर्चा भी की गई कि गौना के लिए कहां क्या तैयारी हो रही है.
गौने के बनाए गए भोले नाथ और गौरा के मुकुट
गौने के बनाए गए भोले नाथ और गौरा के मुकुट


गौरा को विदा कराने रविवार को भोले बाबा ससुराल पहुंचेगे. भोले बाबा के आगमन के लिये तैयारियां की जा रही है. ठंडई मेवे और पकवान की व्यवस्था की गई है. तीन मार्च को रंगभरी (अमला) एकादशी पर बाबा विश्वनाथ, माता पार्वती संग प्रथमेश की चल प्रतिमा की पालकी यात्रा को लेकर लोकाचार के लिए महंत आवास पर पालकी की मरम्मत से लेकर बाबा के राजसी स्वरूप और पुजन परंपरा के साथ गौरा के गौना के सामानों को सूची बद्ध कर लिया गया है. गुजरात (सूरत) से आई खादी व बरसाने से आये लहंगे में माता गौरा का गौना होगा. बुधवार सांयकाल सुरत व मथुरा के बरसाने से आये गौने के राजशाही पोशाक का महंत आवास में विधिवत् पूजन किया गया. आचार्य सुशील त्रिपाठी ने पालकी एंव राजशाही पोशाक का पूजन कराया.

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