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वाराणसी: पिशाच मोचन कुंड पर होने वाले त्रिपिंडी श्राद्ध के लिए तैयारियां पूरी

यूपी की धार्मिक राजधानी कही जाने वाली वाराणसी में त्रिपिंडी श्राद्ध के लिए अति प्राचीन पिशाच मोचन कुंड को तैयार किया जा चुका है. पितृ पक्ष में लोग इस पिशाच मोचन पर आकर के अपने पितरों को त्रिपिंडी चढ़ाकर उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ करते हैं.

त्रिपिंडी श्राद्ध के लिए तैयारी पूर्णं.
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Published : Sep 12, 2019, 4:19 PM IST

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी मोक्ष की नगरी के नाम से जानी जाती है. पुराणों में इस नगरी को लेकर कहा जाता है कि यहां प्राण त्यागने वाले इंसान को भगवान शंकर खुद मोक्ष प्रदान करते हैं. वहीं जो लोग काशी से बाहर या काशी में अकाल प्राण त्यागते हैं उनके मोक्ष की कामना के लिए काशी के पिशाच मोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है.

काशी के अति प्राचीन पिशाच मोचन कुंड पर होने वाले इस आयोजन के लिए पूर्ण रूप से मंदिर तैयार किया जा चुका है. यहां के पंडितों का कहना है कि पितृ पक्ष के 15 दिन चलने वाली इस पूजा-पाठ की प्रक्रिया के लिए यहां के सारे पंडित पूर्ण रूप से तैयार हो चुके हैं और लोग दूर-दूर से आने भी शुरू हो गए हैं.

त्रिपिंडी श्राद्ध के लिए तैयारी पूर्णं.
प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु के बाद व्याधियों से मिलती है मुक्ति
काशी के अति प्राचीन पिशाच मोचन कुंड पर होने वाले त्रिपिंडी श्राद्ध की मान्यता है कि पितरों को प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु के बाद व्याधियों से मुक्ति मिल जाती है. इसीलिए पितृ पक्ष के दिनों में तीर्थ स्थलीय पिशाच मोचन पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है. इस वर्ष भी लोग इस पिशाच मोचन पर आकर के अपने पितरों को त्रिपिंडी चढ़ाकर उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ करेंगे. इसी को लेकर सारी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं और तालाबों आदि को भी सजाया गया है.

पितरों की आत्मा की शांति के लिए करते हैं पिंडदान

पिशाच मोचन कुंड पर पितृपक्ष में देश के कोने कोने से ही नहीं, बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीय लोग भी अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने आते हैं.

यह अनंत चौदस से शुरू होकर नवरात्र के एक दिन पहले खत्म होता है. यह लगभग 15 दिनों तक चलता है. यहां 52 जिले सहित दूर-दराज से लोग पिंडदान करने आते हैं. पितृ पक्ष में यहां लाखों की भीड़ होती है. यहां पिंडदान करने से पितरों को अक्षय गति प्राप्त होती है, यहां के बाद ही गया में पिंडदान करने की प्रथा है.
-पांडू, पंडा, पिशाच मोचन

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी मोक्ष की नगरी के नाम से जानी जाती है. पुराणों में इस नगरी को लेकर कहा जाता है कि यहां प्राण त्यागने वाले इंसान को भगवान शंकर खुद मोक्ष प्रदान करते हैं. वहीं जो लोग काशी से बाहर या काशी में अकाल प्राण त्यागते हैं उनके मोक्ष की कामना के लिए काशी के पिशाच मोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है.

काशी के अति प्राचीन पिशाच मोचन कुंड पर होने वाले इस आयोजन के लिए पूर्ण रूप से मंदिर तैयार किया जा चुका है. यहां के पंडितों का कहना है कि पितृ पक्ष के 15 दिन चलने वाली इस पूजा-पाठ की प्रक्रिया के लिए यहां के सारे पंडित पूर्ण रूप से तैयार हो चुके हैं और लोग दूर-दूर से आने भी शुरू हो गए हैं.

त्रिपिंडी श्राद्ध के लिए तैयारी पूर्णं.
प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु के बाद व्याधियों से मिलती है मुक्ति
काशी के अति प्राचीन पिशाच मोचन कुंड पर होने वाले त्रिपिंडी श्राद्ध की मान्यता है कि पितरों को प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु के बाद व्याधियों से मुक्ति मिल जाती है. इसीलिए पितृ पक्ष के दिनों में तीर्थ स्थलीय पिशाच मोचन पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है. इस वर्ष भी लोग इस पिशाच मोचन पर आकर के अपने पितरों को त्रिपिंडी चढ़ाकर उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ करेंगे. इसी को लेकर सारी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं और तालाबों आदि को भी सजाया गया है.

पितरों की आत्मा की शांति के लिए करते हैं पिंडदान

पिशाच मोचन कुंड पर पितृपक्ष में देश के कोने कोने से ही नहीं, बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीय लोग भी अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने आते हैं.

यह अनंत चौदस से शुरू होकर नवरात्र के एक दिन पहले खत्म होता है. यह लगभग 15 दिनों तक चलता है. यहां 52 जिले सहित दूर-दराज से लोग पिंडदान करने आते हैं. पितृ पक्ष में यहां लाखों की भीड़ होती है. यहां पिंडदान करने से पितरों को अक्षय गति प्राप्त होती है, यहां के बाद ही गया में पिंडदान करने की प्रथा है.
-पांडू, पंडा, पिशाच मोचन

Intro:एंकर: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी वैसे तो मोक्ष की नगरी के नाम से जानी जाती है पुराणों में इस नगरी को लेकर के कहा जाता है कि यहां प्राण त्यागने वाले इंसान को भगवान शंकर खुद मोक्ष प्रदान करते हैं मगर जो लोग काशी से बाहर या काशी में अकाल प्राण त्याग ते हैं उनके मोक्ष की कामना से काशी के पिशाच मोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है काशी के अति प्राचीन पिशाच मोचन कुंड पर होने वाली इस आयोजन के लिए पूर्ण रूप से मंदिर तैयार है और यहां के पंडितों का कहना है कि 15 दिन चलने वाली यह पूजा पाठ की प्रक्रिया के लिए यहां के सारे पंडित पूर्ण रूप से तैयार हो चुके हैं और लोग दूर-दूर से आने भी शुरू हो गए हैं।


Body:वीओ: दरअसल काशी के अति प्राचीन पिशाच मोचन कुंड पर होने वाली त्रिपिंडी श्राद्ध की मान्यताएं हैं कि पितरों को प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु से मरने के बाद व्याधियों से मुक्ति मिल जाती है इसीलिए पितृपक्ष के दिनों तीर्थ स्थलीय पिशाच मोचन पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है इस वर्ष भी लोग काफी मात्रा में इस पिशाच मोचन पर आकर के अपने पितरों को त्रिपिंडी चढ़ाकर उनकी आत्मा की शांति के लिए भव्य पूजा पाठ करेंगे इसी को लेकर के साथ मोचन की तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं और तालाबों आदि को भी सजाया गया है।


Conclusion:वीओ: पिशाच मोचन के इस कुंड पर पितृपक्ष में देश के कोने कोने से ही नहीं बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीय लोग भी अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने आते हैं पिशाच मोचन कुंड वर्ष श्राद्ध करने वाले पांडू की मानें तो यह अनंत चौदस से शुरू होकर नवरात्र के 1 दिन पहले खत्म होता है और यह लगभग 15 दिनों तक चलता है यहां 52 जिले सहित दूरदराज हर जगह से लोग पिंडदान करने आते हैं पितर पक्ष में यहां लाखों की भीड़ होती है यहां पिंडदान करने से पितरों को अक्षय गति प्राप्त होती है यहां के बाद ही गया में पिंडदान करने की प्रथा है।

बाइट: पिशाच मोचन पंडा

अमित दत्ता वाराणसी
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