वाराणसीः महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में बीएससी गणित विषय के तृतीय सेमेस्टर में अब प्रैक्टिकल फीस नहीं लगेगी. विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस फैसले को वापस ले लिया है. काशी विद्यापीठ में बीएससी तृतीय सेमेस्टर में गणित से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों से 500 रुपये प्रैक्टिकल फीस लेने का आदेश जारी हुआ था. इस फैसले से छात्र नाराज थे. छात्रों ने इसको लेकर विरोध जताया था और कुलपति से इस फीस को वापस लिए जाने की मांग की थी. छात्रों का कहना था कि जब थर्ड सेमेस्टर में पढ़ाई ही नहीं हुई तो किसलिए फीस दी जाए. वहीं, प्रैक्टिकल इस सेमेस्टर में है भी नहीं.
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में बीएससी गणित विषय के छात्रों ने प्रदर्शन किया था. प्रदर्शन कर रहे तृतीय सेमेस्टर छात्र के छात्र प्रशासनिक भवन के गेट पर धरने पर बैठे थे. इस दौरान न कोई अंदर जा सकता था और न ही बाहर आ सकता था. इस दौरान धरना दे रहे विद्यार्थियों ने कुलपति से मांग की थी कि 500 रुपये प्रैक्टिकल के नाम पर लिए जा रहे हैं, जोकि गलत है. इसे तत्काल रोकने की कार्रवाई की जाए. छात्रों ने इसे लेकर घंटों प्रदर्शन किया था. छात्रों ने यह भी आरोप लगाया था कि उनमें से बहुत से छात्रों प्रथम सेमेस्टर में अनुपस्थित बताकर फेल कर दिया गया था, जिसमें संशोधन नहीं हो सका है.
प्रथम सेमेस्टर के रिजल्ट में गड़बड़ी
प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना था कि जब थर्ड सेमेस्टर में मैथ की पढ़ाई हो ही नहीं रही है तो फीस किसलिए ली जा रही है. छात्रों का कहना है कि परीक्षा फॉर्म में आधार कार्ड और बीए फर्स्ट सेमेस्टर के रिजल्ट की कॉपी लगाने को कहा गया है मगर रिजल्ट में अभी तक संशोधन भी नहीं हुआ है. उनका कहना है कि फर्स्ट सेमेस्टर का रिजल्ट आने के बाद बहुत से छात्रों को अनुपस्थित दिखाकर उनको फेल कर दिया गया था. इसमें अभी तक किसी भी तरह का संशोधन नहीं हुआ है. ऐसे में तो परीक्षा फॉर्म भरने में परेशानी होगी. इसको लेकर भी छात्रों ने विरोध दर्ज कराया है.
कुलपति ने लिया फीस वापसी का फैसला
इस मामले में कुलपति प्रो. एके त्यागी ने कहा कि छात्रों से प्रैक्टिल का शुल्क लिए जाने का मामला पता चला है. जब इस बारे में पता लगाया तो यह जानकारी सामने आई कि गणित विषय में प्रैक्टिकल की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में छात्रों से 500 रुपये लेने का फैसला वापस लिया गया है. छात्र इसके फैसले के बाद मान गए थे. हालांकि छात्र अभी भी अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में कुलपति का कहना है कि वे किस मामले में अब प्रदर्शन कर रहे हैं यह अभी पता नहीं चला है. उनकी फीस वापसी की मांग को विश्वविद्यालय प्रशासन ने मान लिया है.
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