वाराणसी: जून के महीने में 11 से 13 तारीख तक वाराणसी में जी 20 सम्मेलन की महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है. पिछले दिनों एग्रीकल्चर ग्रुप की बैठक में जी-20 देशों के अलावा भारत के वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया था, लेकिन यह बैठक विदेश मंत्रियों के ग्रुप की है. इसमें सभी जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों के अलावा भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी मौजूद रहेंगे. यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण है, इसलिए यहां आने वाले मेहमानों को बनारस की सुंदरता दिखाने लिए पिछली बैठक के दौरान की गई तैयारियों को नए तरीके से तैयार किया जा रहा है. इनमें सबसे ज्यादा है शहर की सुंदरता बढ़ाने के लिए की गई ग्रीनरी को फिर से हरा भरा करना है, लेकिन हरा भरा तो तब होगा जब गमले सुरक्षित होंगे, क्योंकि शहर में डिवाइडर्स पर जालियां लगाकर लगाए गए गमले ही गायब हैं.
दरअसल, वाराणसी नगर निगम की तरफ से शहर को सुंदर दिखाने के लिए एक लाख से ज्यादा पौधे लगाए गए. इनमें सबसे ज्यादा जोर शहर के डिवाइडर्स पर दिया गया. डिवाइडर्स के बीचो-बीच बड़े बड़े पौधे और छोटे सुंदर पौधे लगाकर शहर की सुंदरता को बढ़ाने का काम किया गया. इस दौरान वाराणसी में सिगरा इलाके से लेकर नदेसर और लहुराबीर से लेकर मलदहिया कैंट रोड तक डिवाइडर्स के ऊपर चौराहों पर बड़े ही सुंदर तरीके से जालियां तैयार करके इनमें गमले रखकर यह उम्मीद जताई गई थी कि जालियों के अंदर यह पौधे और गमले सुरक्षित होंगे, लेकिन समय के साथ यह गमले और पौधे दोनों गायब हो गए हैं.
हालांकि जब इस बारे में नगर आयुक्त शिपू गिरी से ईटीवी भारत की टीम ने बात की तो पहले वह यही करेक्शन करने में जुट गए कि गमले नहीं पौधे गायब हैं, लेकिन जब उन्हें गमले गायब होने की कुछ तस्वीरें दिखाईं गईं तो उनका कहना था इन जालियों को तो वह हरियाली बढ़ाने वाले प्लान में शामिल ही नहीं कर रहे हैं. इन्हें उन्होंने अर्नामेंट शो प्लांट के तौर पर तैयार करवाया है, जिनमें गमले रखे गए हैं. नगर आयुक्त का कहना था की गमले गायब नहीं हुए हैं. जी 20 सम्मेलन से पहले जिस एजेंसी को यह काम सौंपा गया था. यह उनकी जिम्मेदारी होगी कि इन सभी जगहों पर फिर से गमलों को लगवाया जाए.
सवाल उठना लाजिमी
इन सबके बीच सवाल तो यह उठता है कि क्या शहर की सुंदरता सिर्फ मेहमानों को दिखाने के लिए ही बढ़ाई जाएगी. जिन जगहों को हरियाली बढ़ाने के लिए तैयार करवाया गया था, चौराहे से लेकर डिवाइडर्स तक पर गमले लगाने की व्यवस्था की गई तो लाखों रुपये खर्च कर ही महीने इन पौधों को मेंटेन रखने में गिर रहे मोटे खर्च का क्या फायदा. क्यों आखिर सिर्फ कार्यक्रम के दौरान ही इन्हें लगाने का मेंटेन करने की प्लानिंग की गई, निश्चित तौर पर हर किसी के मन में कई सवाल खड़े कर रहे हैं.
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