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बनारस में बह रही विकास की बयार कर रही है शहर की आब-ओ-हवा खराब

यूपी के वाराणसी में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. यहां मानक के अनुरूप पीएम 2.5 जहां 97 होना चाहिए वहीं वह 266 से 299 तक पहुंच जा रहा है. पीएम 10 129 की जगह 212 से 235 तक पहुंच रहा है. ओजोन भी निर्धारित मानक 4 से बढ़कर 15 तक पहुंच चुका है, जो यह साफ कर रहा है कि बनारस में चल रहे विकास कार्यों की वजह से प्रदूषण का स्तर तेजी से बिगड़ रहा है.

शहर की आब-ओ-हवा हो रही है खराब.
शहर की आब-ओ-हवा हो रही है खराब.
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Published : Dec 2, 2020, 10:31 PM IST

वाराणसी: प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र बनारस जहां विकास की बयार बह रही है. यहां 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की परियोजनाएं धरातल पर तेजी से आगे बढ़ रही हैं. विश्वनाथ कॉरिडोर से लेकर अंडरग्राउंड केबलिंग, अंडरग्राउंड गैस पाइपलाइन, हाईवे, सड़क, मल्टी लेवल पार्किंग समेत कई अन्य विकास योजनाएं तेजी से संचालित हो रही हैं. इन विकास की योजनाओं से भले ही भविष्य में लोगों को बहुत से आराम हो, लेकिन वर्तमान में विकास की योजनाएं जिले की आबोहवा को खराब कर रही हैं. हालात ये हैं कि निर्धारित मानक से कहीं ज्यादा वायु प्रदूषण का स्तर बनारस में हो गया है. जो ना सिर्फ बनारस की हरियाली को बर्बाद कर रहा है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य को भी बिगाड़ रहा है.

बनारस की आब-ओ-हवा हो रही है खराब.
नहीं हैं कोई कल-कारखाने
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रीजनल ऑफिसर कालिका सिंह की मानें तो वाराणसी में कोई बड़े कल-कारखाने मौजूद नहीं हैं, जो कल-कारखाने हैं वह ज्यादा वायु प्रदूषण बढ़ाने वाले नहीं हैं, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जो 17 श्रेणियां हैं. उनमें कोई कल-कारखाना बनारस में स्थापित नहीं है, जिसकी वजह से वायु प्रदूषण का स्तर बिगड़े, लेकिन इन दिनों बनारस में एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार बिगड़ रहा है.
निर्धारित मानक से कहीं ज्यादा है एयर क्वालिटी इंडेक्स
मानक के अनुरूप पीएम 2.5 जहां 97 होना चाहिए वहीं वह 266 से 299 तक पहुंच जा रहा है. पीएम 10 129 की जगह 212 से 235 तक पहुंच रहा है. ओजोन भी निर्धारित मानक 4 से बढ़कर 15 तक पहुंच चुका है, जो यह साफ कर रहा है कि बनारस में चल रहे विकास कार्यों की वजह से प्रदूषण का स्तर तेजी से बिगड़ रहा है.

लापरवाही है बड़ी वजह
रीजनल ऑफिसर की मानें तो बनारस में चल रही विकास योजनाओं में बरती जा रही लापरवाही बनारस की आबोहवा को खराब कर रही है. खोदकर छोड़ी जा रही सड़कें लंबे वक्त तक वैसे ही पड़ी रह रही हैं. जिसकी वजह से उड़ रही धूल पीएम 2.5 बढ़ाने का काम कर रही है. इसके अलावा तमाम विकास की योजनाओं के स्पॉट पर पानी का छिड़काव ना होने की वजह से धूल उड़ने के कारण आसपास की आबोहवा भी खराब हो रही है.

वाराणसी: प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र बनारस जहां विकास की बयार बह रही है. यहां 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की परियोजनाएं धरातल पर तेजी से आगे बढ़ रही हैं. विश्वनाथ कॉरिडोर से लेकर अंडरग्राउंड केबलिंग, अंडरग्राउंड गैस पाइपलाइन, हाईवे, सड़क, मल्टी लेवल पार्किंग समेत कई अन्य विकास योजनाएं तेजी से संचालित हो रही हैं. इन विकास की योजनाओं से भले ही भविष्य में लोगों को बहुत से आराम हो, लेकिन वर्तमान में विकास की योजनाएं जिले की आबोहवा को खराब कर रही हैं. हालात ये हैं कि निर्धारित मानक से कहीं ज्यादा वायु प्रदूषण का स्तर बनारस में हो गया है. जो ना सिर्फ बनारस की हरियाली को बर्बाद कर रहा है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य को भी बिगाड़ रहा है.

बनारस की आब-ओ-हवा हो रही है खराब.
नहीं हैं कोई कल-कारखाने
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रीजनल ऑफिसर कालिका सिंह की मानें तो वाराणसी में कोई बड़े कल-कारखाने मौजूद नहीं हैं, जो कल-कारखाने हैं वह ज्यादा वायु प्रदूषण बढ़ाने वाले नहीं हैं, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जो 17 श्रेणियां हैं. उनमें कोई कल-कारखाना बनारस में स्थापित नहीं है, जिसकी वजह से वायु प्रदूषण का स्तर बिगड़े, लेकिन इन दिनों बनारस में एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार बिगड़ रहा है.
निर्धारित मानक से कहीं ज्यादा है एयर क्वालिटी इंडेक्स
मानक के अनुरूप पीएम 2.5 जहां 97 होना चाहिए वहीं वह 266 से 299 तक पहुंच जा रहा है. पीएम 10 129 की जगह 212 से 235 तक पहुंच रहा है. ओजोन भी निर्धारित मानक 4 से बढ़कर 15 तक पहुंच चुका है, जो यह साफ कर रहा है कि बनारस में चल रहे विकास कार्यों की वजह से प्रदूषण का स्तर तेजी से बिगड़ रहा है.

लापरवाही है बड़ी वजह
रीजनल ऑफिसर की मानें तो बनारस में चल रही विकास योजनाओं में बरती जा रही लापरवाही बनारस की आबोहवा को खराब कर रही है. खोदकर छोड़ी जा रही सड़कें लंबे वक्त तक वैसे ही पड़ी रह रही हैं. जिसकी वजह से उड़ रही धूल पीएम 2.5 बढ़ाने का काम कर रही है. इसके अलावा तमाम विकास की योजनाओं के स्पॉट पर पानी का छिड़काव ना होने की वजह से धूल उड़ने के कारण आसपास की आबोहवा भी खराब हो रही है.

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