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महाशिवरात्रि पर खुद को शिवभक्त साबित करते रहे नेता जी, समझिए चुनावी मौसम में डमरू वाली राजनीति

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Published : Mar 2, 2022, 10:18 AM IST

उत्तर प्रदेश में अंतिम दो चरणों के चुनाव बाकी हैं. वाराणसी की मुख्य सीटों पर सभी राजनीतिक दलों की नजर है. इसके चलते वाराणसी में महाशिवरात्रि के मौके पर धर्म के साथ राजनीति का एक अलग समागम देखने को मिला. यहां शहर दक्षिणी से पहले से ही दो ब्राह्मणों के बीच चल रही सीधी टक्कर आज खुद को एक-दूसरे से बड़ा शिवभक्त साबित करने में दिखाई दी.

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महाशिवरात्रि पर खुद को शिवभक्त साबित करते रहे नेता जी

वाराणसी: उत्तर प्रदेश में अंतिम दो चरणों के चुनाव बाकी हैं. इसके चलते गोरखपुर, वाराणसी और पूर्वांचल की कई मुख्य सीटों पर सभी राजनीतिक दलों की नजर है. पूर्वांचल की अधिकतर सीटों पर पिछली बार बीजेपी की जीत हुई थी. इस बार इन सीटों में फतह के लिए समाजवादी पार्टी से लेकर सभी विपक्षी दल पूरी ताकत से लगे हैं. इन सबके बीच वाराणसी में मंगलवार को महाशिवरात्रि के मौके पर धर्म के साथ राजनीति का एक अलग समागम देखने को मिला. शिव बारात से लेकर शिव मंदिर तक नेताओं की भारी भीड़ रही. भक्तों के बीच पहुंचकर अपने आप को शिवभक्त दिखाने की जद्दोजहद हर कोई करता दिखाई दिया. सबसे खास बात यह कि वाराणसी की शहर दक्षिणी विधानसभा से पहले से ही दो ब्राह्मणों के बीच चल रही सीधी टक्कर आज खुद को एक-दूसरे से बड़ा शिवभक्त साबित करने में दिखाई दी.

दरअसल, वाराणसी की शहर दक्षिणी विधानसभा अपने आप में ब्राह्मण वोट के लिए काफी महत्वपूर्ण है. यहां 8 फीसदी से ज्यादा ब्राह्मण वोटर हैं. यह सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. 7 बार से यहां पर बीजेपी के विधायक श्यामदेव राय चौधरी थे. 2017 में उनका टिकट कटने के बाद डॉ. नीलकंठ तिवारी ने बीजेपी के टिकट पर यहां से जीत हासिल की. यानी 8 बार से लगातार इस विधानसभा में बीजेपी का बोलबाला है. लेकिन, इस बार बीजेपी को सीधी टक्कर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी और महामृत्युंजय मंदिर के महंत किशन दीक्षित दे रहे हैं.

महाशिवरात्रि पर खुद को शिवभक्त साबित करते रहे नेता जी
प्रधानमंत्री मोदी ने यहां 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत श्री विश्वनाथ धाम का सुंदरीकरण करते हुए सीट को मजबूत करने का काम किया. लेकिन सपा ने पुराने मंदिर तोड़े जाने का मुद्दा उठाते हुए इस सीट पर ब्राह्मणों के समीकरणों को बिगाड़ने की कोशिश के साथ ब्राह्मण उम्मीदवार किशन दीक्षित को मैदान में उतारकर इस सीट की लड़ाई और कठिन कर दी है.

यह भी पढ़ें- प्रचार करने जा रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के काफिले पर हमला, सपा-भाजपा कार्यकर्ताओं में मारपीट

शायद यही वजह है कि महाशिवरात्रि के मौके पर जहां बीजेपी प्रत्याशी डॉ. नीलकंठ तिवारी और सपा प्रत्याशी किशन दीक्षित ने अपने आप को शिवभक्त के रूप में पेश करने की कवायद की. अपने आप को एक दूसरे से ज्यादा हिंदुत्ववादी चेहरे के रूप में दिखाने की कोशिश की. महामृत्युंजय मंदिर में किशन दीक्षित ने हाथों में डमरू थामकर महंत होने का एहसास कराया तो बीजेपी महिला मोर्चा की सैकड़ों महिलाओं के साथ हाथों में डमरू थामकर बीजेपी के प्रत्याशी डॉ. नीलकंठ तिवारी ने सड़क पर खुद को शिवभक्त होने का सर्टिफिकेट दिया. इतना ही नहीं शाम को शिव बारात में हर नेता ने धार्मिक कार्यक्रम में धर्म के साथ राजनीति का जमकर मजा लिया.

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वाराणसी: उत्तर प्रदेश में अंतिम दो चरणों के चुनाव बाकी हैं. इसके चलते गोरखपुर, वाराणसी और पूर्वांचल की कई मुख्य सीटों पर सभी राजनीतिक दलों की नजर है. पूर्वांचल की अधिकतर सीटों पर पिछली बार बीजेपी की जीत हुई थी. इस बार इन सीटों में फतह के लिए समाजवादी पार्टी से लेकर सभी विपक्षी दल पूरी ताकत से लगे हैं. इन सबके बीच वाराणसी में मंगलवार को महाशिवरात्रि के मौके पर धर्म के साथ राजनीति का एक अलग समागम देखने को मिला. शिव बारात से लेकर शिव मंदिर तक नेताओं की भारी भीड़ रही. भक्तों के बीच पहुंचकर अपने आप को शिवभक्त दिखाने की जद्दोजहद हर कोई करता दिखाई दिया. सबसे खास बात यह कि वाराणसी की शहर दक्षिणी विधानसभा से पहले से ही दो ब्राह्मणों के बीच चल रही सीधी टक्कर आज खुद को एक-दूसरे से बड़ा शिवभक्त साबित करने में दिखाई दी.

दरअसल, वाराणसी की शहर दक्षिणी विधानसभा अपने आप में ब्राह्मण वोट के लिए काफी महत्वपूर्ण है. यहां 8 फीसदी से ज्यादा ब्राह्मण वोटर हैं. यह सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. 7 बार से यहां पर बीजेपी के विधायक श्यामदेव राय चौधरी थे. 2017 में उनका टिकट कटने के बाद डॉ. नीलकंठ तिवारी ने बीजेपी के टिकट पर यहां से जीत हासिल की. यानी 8 बार से लगातार इस विधानसभा में बीजेपी का बोलबाला है. लेकिन, इस बार बीजेपी को सीधी टक्कर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी और महामृत्युंजय मंदिर के महंत किशन दीक्षित दे रहे हैं.

महाशिवरात्रि पर खुद को शिवभक्त साबित करते रहे नेता जी
प्रधानमंत्री मोदी ने यहां 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत श्री विश्वनाथ धाम का सुंदरीकरण करते हुए सीट को मजबूत करने का काम किया. लेकिन सपा ने पुराने मंदिर तोड़े जाने का मुद्दा उठाते हुए इस सीट पर ब्राह्मणों के समीकरणों को बिगाड़ने की कोशिश के साथ ब्राह्मण उम्मीदवार किशन दीक्षित को मैदान में उतारकर इस सीट की लड़ाई और कठिन कर दी है.

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शायद यही वजह है कि महाशिवरात्रि के मौके पर जहां बीजेपी प्रत्याशी डॉ. नीलकंठ तिवारी और सपा प्रत्याशी किशन दीक्षित ने अपने आप को शिवभक्त के रूप में पेश करने की कवायद की. अपने आप को एक दूसरे से ज्यादा हिंदुत्ववादी चेहरे के रूप में दिखाने की कोशिश की. महामृत्युंजय मंदिर में किशन दीक्षित ने हाथों में डमरू थामकर महंत होने का एहसास कराया तो बीजेपी महिला मोर्चा की सैकड़ों महिलाओं के साथ हाथों में डमरू थामकर बीजेपी के प्रत्याशी डॉ. नीलकंठ तिवारी ने सड़क पर खुद को शिवभक्त होने का सर्टिफिकेट दिया. इतना ही नहीं शाम को शिव बारात में हर नेता ने धार्मिक कार्यक्रम में धर्म के साथ राजनीति का जमकर मजा लिया.

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