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कोरोना संकटकाल में ड्यूटी पर डटे खाकी को सताता है इस बात का डर!

कोरोना महामारी की इस जंग में योद्धा बने पुलिसकर्मियों का त्याग सदैव याद किया जाएगा. ये लोग अपने परिवार, अपनी खुशियों का त्याग करके आमजन की सुरक्षा में लगे हुए हैं. किसी ने सच ही कहा है...'पुलिस वालों पर जिम्मेदारी का सवाल होता है, इन्हें खुद से ज्यादा दूसरों का ख्याल होता है.'

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लॉकडाउन में ड्यूटी पर खाकी.
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Published : Apr 28, 2020, 4:42 PM IST

वाराणसी: जिस दौर में लोग अपने घरों में सुरक्षित बैठे हुए हैं, उस वक्त खाकी वाले दूसरों की सुरक्षा में चौराहे पर खड़े हैं. रेड जोन में ड्यूटी करना हो या फिर आम चौराहे पर, यह पूरी हिम्मत के साथ डटे हुए हैं. ईटीवी भारत संवाददाता ने इस संकटकाल में दिन रात ड्यूटी में लगे कुछ पुलिसकर्मियों से बात की. इस दौरान पुलिसकर्मियों का जज्बा और अंदर का दर्द दोनों उभर आया.

लॉकडाउन में ड्यूटी पर खाकी.
भले ही इनकी जुबान पर हिम्मत हो, दिल में हौसला हो, लेकिन फिर भी कहीं न कहीं एक डर इनके मन में भी होता है. इनको भी दर्द होता है अपने परिवार से दूर होने का. इस बीमारी से संक्रमित होने का, लेकिन उसके बावजूद भी यह पूरे हिम्मत के साथ अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं.

कोरोना संकटकाल में बखूबी ड्यूटी निभा रही खाकी
बीते दिनों वाराणसी में कुल आठ पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव पाए गए, जिसके बाद से पूरे प्रशासनिक अमले में हड़कंप व डर का माहौल व्याप्त हो गया. इस रिपोर्ट के बाद हम इन्हीं पुलिसकर्मियों के बीच गए, उनसे बातचीत की. इस दौरान यह जानने की कोशिश की कि इस दौर में इनके दिल में क्या चल रहा है. जब इन पुलिसकर्मियों से उनका हाल पूछा गया तो उनके मुंह से एक ही बात निकली कि साहब खाकी को भी दर्द होता है.

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ड्यूटी हमारी जिम्मेदारी

कोरोना संकटकाल में ड्यूटी निभाने वाले एक उपनिरीक्षक से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि यह हमारा कर्तव्य है. हमें ट्रेनिंग भी इसी बात की दी जाती है कि हम सभी विपरीत परिस्थिति में अपनी ड्यूटी निभाने और लोगों की सुरक्षा करें. यह बहुत ही नाजुक समय है. लोग हमारी राह देखते रहते हैं कि कब हम उन्हें भोजन प्रदान करेंगे. उन्होंने बताया कि परिवार वाले कभी-कभी डरते हैं, लेकिन हमारा उत्साहवर्धन भी करते हैं. वही अन्य पुलिसकर्मी का कहना है कि सतर्कता के साथ अपनी ड्यूटी करते हैं और घर वालों को भी समझा देते हैं, मगर फिर भी उनकी फिक्र लाजमी है. दिल में हमें भी डर लगता है, लेकिन ड्यूटी है तो ड्यूटी तो निभानी पड़ेगी.

महिला पुलिसकर्मी का छलका दर्द
इस दौरान जब महिला पुलिसकर्मी से बातचीत की तो उनका दर्द उनकी आंखों से छलक गया, उनकी बातों में तो हिम्मत थी. मगर उनका दिल और उनकी आंखें उनके दर्द की गवाही दे रहे थे. महिला पुलिसकर्मी का कहना है कि हमें ड्यूटी करने से डर नहीं लगता, लेकिन हमारे परिवार वाले बहुत परेशान हैं. हम उनको तो हिम्मत बंधाते हैं, उनके सामने रो नहीं सकते, लेकिन उनकी बेबसी देखकर हमें भी बहुत दुख होता है. कई महीने बीत गए अभी तक घर नहीं गए और अब घर वालों की बहुत याद आती है.

वाराणसी: जिस दौर में लोग अपने घरों में सुरक्षित बैठे हुए हैं, उस वक्त खाकी वाले दूसरों की सुरक्षा में चौराहे पर खड़े हैं. रेड जोन में ड्यूटी करना हो या फिर आम चौराहे पर, यह पूरी हिम्मत के साथ डटे हुए हैं. ईटीवी भारत संवाददाता ने इस संकटकाल में दिन रात ड्यूटी में लगे कुछ पुलिसकर्मियों से बात की. इस दौरान पुलिसकर्मियों का जज्बा और अंदर का दर्द दोनों उभर आया.

लॉकडाउन में ड्यूटी पर खाकी.
भले ही इनकी जुबान पर हिम्मत हो, दिल में हौसला हो, लेकिन फिर भी कहीं न कहीं एक डर इनके मन में भी होता है. इनको भी दर्द होता है अपने परिवार से दूर होने का. इस बीमारी से संक्रमित होने का, लेकिन उसके बावजूद भी यह पूरे हिम्मत के साथ अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं.

कोरोना संकटकाल में बखूबी ड्यूटी निभा रही खाकी
बीते दिनों वाराणसी में कुल आठ पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव पाए गए, जिसके बाद से पूरे प्रशासनिक अमले में हड़कंप व डर का माहौल व्याप्त हो गया. इस रिपोर्ट के बाद हम इन्हीं पुलिसकर्मियों के बीच गए, उनसे बातचीत की. इस दौरान यह जानने की कोशिश की कि इस दौर में इनके दिल में क्या चल रहा है. जब इन पुलिसकर्मियों से उनका हाल पूछा गया तो उनके मुंह से एक ही बात निकली कि साहब खाकी को भी दर्द होता है.

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ड्यूटी हमारी जिम्मेदारी

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महिला पुलिसकर्मी का छलका दर्द
इस दौरान जब महिला पुलिसकर्मी से बातचीत की तो उनका दर्द उनकी आंखों से छलक गया, उनकी बातों में तो हिम्मत थी. मगर उनका दिल और उनकी आंखें उनके दर्द की गवाही दे रहे थे. महिला पुलिसकर्मी का कहना है कि हमें ड्यूटी करने से डर नहीं लगता, लेकिन हमारे परिवार वाले बहुत परेशान हैं. हम उनको तो हिम्मत बंधाते हैं, उनके सामने रो नहीं सकते, लेकिन उनकी बेबसी देखकर हमें भी बहुत दुख होता है. कई महीने बीत गए अभी तक घर नहीं गए और अब घर वालों की बहुत याद आती है.

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