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वाराणसी: मंदिरों के खुले कपाट लेकिन घाटों पर सन्नाटा, आश्रितों को रोजी का संकट

वाराणसी में मंदिर खुल गए हैं. लेकिन घाटों पर लोगों के आने पर अभी भी रोक है. इससे उस पर आश्रित पंडितों और फूल विक्रेताओं के सामने अभी भी रोजी-रोटी का संकट बना हुआ है. परेशान घाटों के पुजारियों और माला-फूल बेचने वालों ने सरकार से घाटों को खोलने की अपील की है.

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घाटों के पुजारियों ने सरकार से घाटों को खोलने की अपील की.
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Published : Jun 11, 2020, 10:12 AM IST

वाराणसी: अनलॉक वन में काशी के अधिकांश मंदिर खुल गए हैं. इसकी वजह से मंदिर के आसपास दुकान चलाने वाले और पुजारियों की कमाई एक बार फिर से शुरू हो गई है. वहीं इन सबके बीच काशी के पंडितों का वह तबका परेशान है, जिनका गुजर-बसर घाटों के जरिए ही चलता है. वे लगभग 70 दिनों के इस बंदी की वजह से अब भूखे मरने की कगार पर हैं. ये वे पंडित हैं, जो काशी के घाटों पर रोजाना सुबह-शाम बैठकर लोगों के पूजा-पाठ संकल्प इत्यादि करवाने का काम करते हैं.

घाटों के पुजारियों ने सरकार से घाटों को खोलने की अपील की.

गंगा स्नान करने आने वाले लोगों से दान पुण्य लेकर अपने परिवार का पेट पालने वाले ये ब्राह्मण परेशान हैं. क्योंकि काशी के घाटों पर अभी भी पुलिसिया पहरा है. हाल यह है कि घाट पर किसी को आने नहीं दिया जा रहा. यहां घूमना-फिरना मना है और गंगा स्नान तो बिल्कुल नहीं कर सकते. इसकी वजह से इन ब्राह्मणों के आगे रोजी-रोटी का बड़ा संकट पैदा होता दिख रहा है.

घाटों के भरोसे हैं तीन हजार परिवार
दरअसल, काशी में घाटों की लंबी श्रृंखला है. अस्सी घाट से लेकर राजघाट तक लगभग 84 घाटों की यह लंबी श्रृंखला काशी की पहचान है. इन घाटों पर सुबह के वक्त स्नान करने वालों की लंबी भीड़ होती है. शाम को भी दर्शन-पूजन करने वाले यात्री यहां पहुंचते हैं. इन यात्रियों का पूजा-पाठ गंगास्नान के बाद संकल्प इत्यादि करवाकर यहां बैठने वाले घाट के ब्राह्मण अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं. हर घाट पर लगभग 10 से 15 ब्राह्मणों की टोली आपको आसानी से मिल जाएगी. अस्सी घाट की लंबी श्रृंखला में लगभग 3,000 से ज्यादा परिवार घाट पर पूजा पाठ करने वाले ब्राह्मणों की मेहनत पर पल रहे हैं. वहीं लंबे लॉकडाउन के बाद जब मंदिर खुले तो इन ब्राह्मणों को उम्मीद थी कि इनकी जिंदगी भी फिर से पटरी पर आएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

सरकार से मांग रहे मदद
घाटों पर पुलिसिया पहरा के कारण हजारों परिवार अब भी संकट में हैं. घाट पर बैठने वाले पंडितों का कहना है कि सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए कि हम अपना पेट कैसे पालेंगे. हमारे लिए यह बड़ा संकट है. मंदिर खुल गए हैं, तो घाटों पर गंगा स्नान कराने में दिक्कत क्या है. हमारा भी परिवार है. सरकार हमको भी जीने का हक दे.

वाराणसी: अनलॉक वन में काशी के अधिकांश मंदिर खुल गए हैं. इसकी वजह से मंदिर के आसपास दुकान चलाने वाले और पुजारियों की कमाई एक बार फिर से शुरू हो गई है. वहीं इन सबके बीच काशी के पंडितों का वह तबका परेशान है, जिनका गुजर-बसर घाटों के जरिए ही चलता है. वे लगभग 70 दिनों के इस बंदी की वजह से अब भूखे मरने की कगार पर हैं. ये वे पंडित हैं, जो काशी के घाटों पर रोजाना सुबह-शाम बैठकर लोगों के पूजा-पाठ संकल्प इत्यादि करवाने का काम करते हैं.

घाटों के पुजारियों ने सरकार से घाटों को खोलने की अपील की.

गंगा स्नान करने आने वाले लोगों से दान पुण्य लेकर अपने परिवार का पेट पालने वाले ये ब्राह्मण परेशान हैं. क्योंकि काशी के घाटों पर अभी भी पुलिसिया पहरा है. हाल यह है कि घाट पर किसी को आने नहीं दिया जा रहा. यहां घूमना-फिरना मना है और गंगा स्नान तो बिल्कुल नहीं कर सकते. इसकी वजह से इन ब्राह्मणों के आगे रोजी-रोटी का बड़ा संकट पैदा होता दिख रहा है.

घाटों के भरोसे हैं तीन हजार परिवार
दरअसल, काशी में घाटों की लंबी श्रृंखला है. अस्सी घाट से लेकर राजघाट तक लगभग 84 घाटों की यह लंबी श्रृंखला काशी की पहचान है. इन घाटों पर सुबह के वक्त स्नान करने वालों की लंबी भीड़ होती है. शाम को भी दर्शन-पूजन करने वाले यात्री यहां पहुंचते हैं. इन यात्रियों का पूजा-पाठ गंगास्नान के बाद संकल्प इत्यादि करवाकर यहां बैठने वाले घाट के ब्राह्मण अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं. हर घाट पर लगभग 10 से 15 ब्राह्मणों की टोली आपको आसानी से मिल जाएगी. अस्सी घाट की लंबी श्रृंखला में लगभग 3,000 से ज्यादा परिवार घाट पर पूजा पाठ करने वाले ब्राह्मणों की मेहनत पर पल रहे हैं. वहीं लंबे लॉकडाउन के बाद जब मंदिर खुले तो इन ब्राह्मणों को उम्मीद थी कि इनकी जिंदगी भी फिर से पटरी पर आएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

सरकार से मांग रहे मदद
घाटों पर पुलिसिया पहरा के कारण हजारों परिवार अब भी संकट में हैं. घाट पर बैठने वाले पंडितों का कहना है कि सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए कि हम अपना पेट कैसे पालेंगे. हमारे लिए यह बड़ा संकट है. मंदिर खुल गए हैं, तो घाटों पर गंगा स्नान कराने में दिक्कत क्या है. हमारा भी परिवार है. सरकार हमको भी जीने का हक दे.

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