वाराणसी: देश की पहली सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस के रूप में विकसित किए जाने वाले रोपवे प्रोजेक्ट की शुरुआत वाराणसी में होने वाली है. 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी दौरे पर रोपवे प्रोजेक्ट का शिलान्यास और भूमि पूजन करेंगे. इसके साथ इसकी औपचारिक शुरुआत भी हो जाएगी. मार्च 2024 तक रोपवे प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन भी शुरू हो जाएगा.
देश की पहली अर्बन ट्रांसपोर्ट रोपवे परियोजना का काम इस सप्ताह से शुरू हो चुका है. अलग-अलग विभाग मिलकर पहले फेज में चीजों के स्थानांतरण के काम को शुरू कर चुके हैं. इस बारे में कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने बताया कि वाराणसी नगर निगम को 3500 वर्ग मीटर जमीन और वाराणसी विकास प्राधिकरण को भी अपनी जमीन पर हस्तांतरण के लिए प्लान तैयार करने के लिए कहा गया है.
उन्होंने बताया कि काशी विद्यापीठ यूनिवर्सिटी की जमीन हस्तांतरित करने के लिए शासन से अनुमति मिल गई है. यह प्रक्रिया अगले सप्ताह तक पूरा कर ली जायेगी. रास्ते में पड़ने वाले बिजली के खंभे, पानी के कनेक्शन और बिजली की तारों को हटाने का काम शुरू हो चुका है. इस पर कार्य योजना बनाकर अलग-अलग विभाग अपने स्तर पर काम कर रहे हैं.
36 करोड़ शासन ने भेजे: उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट पर स्विट्जरलैंड और भारत की दो कंपनियां कार्य कर रही हैं. उनके इंजीनियर बनारस आ चुके हैं. उन्होंने अपना ऑफिस भी खोल लिया है. फाइनल डीपीआर तैयार करके यह लोग अपना काम शुरू कर चुके हैं. जिस रास्ते से रोपवे गुजारना है, उस रास्ते पर स्टेशन और पिलर के लिए 1:50 हेक्टेयर यानी करीब 15000 वर्ग मीटर जमीन की जरूरत है. इसमें से 7500 वर्ग मीटर जमीन सरकारी है. वहीं, मकानों और जमीनों को खरीदने के लिए 67 करोड़ की जरूरत है. शासन से 36 करोड़ रुपये मिल चुके हैं. शेष धनराशि जल्द भेजने की बात कही गई है.
सर्वे का काम पूराः रोपवे कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया चौराहे तक जाने वाले रास्ते पर सर्वे का काम पूरा कर अगले सप्ताह से कार्य शुरू हो जाएगा. इस रास्ते की दूरी 3.8 किलोमीटर है. बीच में कैंट रेलवे स्टेशन, काशी विद्यापीठ, रथयात्रा ,गोदौलिया चौराहा स्टेशन पर बनाए जाने हैं. रोपवे मार्ग पर स्टेशन और पिलर के लिए सर्वे के साथ मकान और जमीन को चिन्हित कर लिया गया है. इस रूट पर कुल 30 पिलर बनाए जाएंगे.
इसमें से 15 ऑर्गेनिक भूमि पर और 15 निजी भूमि पर होंगे. इस पूरे रूट पर पड़ने वाले पब्लिक यूटिलिटी की चीजों को स्थानांतरित करने के लिए 6 विभागों को 31 करोड़ रुपए से ज्यादा की धनराशि आवंटित की गई है. इसमें जल निगम को 467.45 लाख, बिजली विभाग को 1192.6 लाख, जलकल विभाग को 1227.9 लाख, गेल को 29.16 लाख, बीएसएनएल को 24.92 लाख और स्मार्ट सिटी को 165.56 लाख रुपये दिये गए हैं.
655 करोड़ का है रोपवे प्रोजेक्टः कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने बताया कि यह प्रोजेक्ट लगभग 655 करोड़ रुपए का है. 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों शिलान्यास होने वाले प्रोजेक्ट में रोपवे को सबसे ऊपर रखा गया है. यह मोदी 2.0 सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है. पिछली सरकार में जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वनाथ धाम की रूपरेखा तैयार की थी.
सितंबर 2024 तक का है टारगेटः वैसे ही इस बार यह रोपवे प्रोजेक्ट पूरे यूपी की दशा दिशा बदलने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. और इसकी सफलता के बाद इसे अन्य महानगरों में लागू करने की तैयारी की जा सकती है. अगले साल मार्च 2024 में टेंट और विद्यापीठ के बीच इस रोपवे प्रोजेक्ट को शुरू कर दिया जाएगा. जबकि अगस्त से लेकर सितंबर तक में बाकी 3 स्टेशन और कुल 5 स्टेशनों पर इस सेवा की शुरुआत करने की प्लानिंग की गई है. यानी सितंबर 2024 तक इस पूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने का टारगेट रखा गया है.
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