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Pitru Paksha 2021: पितरों की सेवा-आराधना करने के बाद अब है उनकी विदाई का वक्त, पितृ अमावस्या पर करें ऐसे विदा

पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध करने और तर्पण देने का विशेष महत्व होता है. पितृ पक्ष का पखवारा 15 दिनों तक रहता है और अब पितृ विसर्जन का समय भी नजदीक आ गया है. पितृ विसर्जन वह महत्वपूर्ण क्रिया है जो 15 दिनों तक पितरों की सेवा आराधना किए जाने के बाद पूर्ण करना अति आवश्यक माना जाता है. इस बार पितृ अमावस्या या पितृ विसर्जन बुधवार 6 अक्टूबर को मान्य हैं.

पितृ पक्ष.
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Published : Oct 6, 2021, 7:57 AM IST

Updated : Oct 6, 2021, 8:35 AM IST

वाराणसी: पितृ पक्ष का पखवारा 15 दिनों तक रहता है और अब पितृ विसर्जन का समय भी नजदीक आ गया है. पितृ विसर्जन वह महत्वपूर्ण क्रिया है जो 15 दिनों तक पितरों की सेवा आराधना किए जाने के बाद पूर्ण करना अति आवश्यक माना जाता है. इस बार पितृ अमावस्या या पितृ विसर्जन बुधवार 6 अक्टूबर को मान्य हैं. यह विशेष दिन कई मामले में महत्वपूर्ण माना जाता है. पितरों को विदा करने के अलावा जिन लोगों की मृत्यु तिथि अज्ञात होती है. उनका श्राद्ध कर्म व तर्पण भी इसी अंतिम दिन पूर्ण किया जाता है.

शाम को इतने बजे तक अमावस्या

इस बारे में ज्योतिष आचार्य श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के पूर्व सदस्य पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि बुधवार को अमावस्या तिथि शाम 5:11 तक है. पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पितर लोग वर्ष भर प्रसन्न रहते हैं. पितृ पक्ष में श्राद्ध तो मुख्य तिथियों को ही होते हैं, किंतु तर्पण प्रतिदिन किया जाता है. देवताओं तथा ऋषियों को जल देने के अनंतर पितरों को जल देकर तृप्त किया जाता है. यद्यपि प्रत्येक अमावस्या पितरों की पुण्यतिथि है, तथापि आश्विन की अमावस्या पितरों के लिए परम फलदाई है.

ज्योतिषाचार्य पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि आश्विन मास की अमावस्या तिथि पितृपक्ष के इस पखवारे का सबसे महत्वपूर्ण दिन मानी जाती है, क्योंकि यह वह दिन होता है जब अज्ञात तिथि के श्राद्ध तर्पण कराए जाते हैं और जो भी लोग पूरे पितृपक्ष पखवारे में अपने पितरों का श्राद्ध और नियमित तर्पण करते हैं उनको अंतिम दिन ब्राह्मण भोज कराने के साथ ही घर के ईशान कोण में बैठकर गाय के घी से दीपक बनाकर उसे जलाने के बाद तर्पण इत्यादि की प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए.

शाम को करें पितरों की विदाई

ज्योतिषाचार्य पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि सुबह से लेकर दोपहर तक तर्पण व ब्राह्मण भोज इत्यादि की प्रक्रिया अपनाने के बाद शाम को सूर्यास्त के समय घर के बाहर दहलीज पर दीपक, एक पात्र में थोड़ा सा पानी, अन्न और एक छोटी सी छड़ी रखकर उस पर माला-फूल अर्पित करने के बाद दीपक और धूप दिखाकर पितरों को विदाई दी जाती है. यह प्रक्रिया अति अनिवार्य होती है. क्योंकि जब पितर 16 दिनों तक आपके घर में रहे हैं और उसके बाद उनको उनके लोक में वापस भेजना है तो उन्हें तृप्त करना अनिवार्य होता है. ब्राह्मण भोजन कराने के बाद शाम को विदाई की यह प्रक्रिया पितरों को उनके लोग तक जाने में आसानी उत्पन्न करती है और पितर आशीर्वाद भी प्रदान करते हैं जिससे जीवन की सभी कठिनाइयां तो खत्म होती हैं. साथ ही परिवार में धन समृद्धि का भी आगमन होता है. इसलिए पितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध तर्पण व पितृ विसर्जन की प्रक्रिया को जरूर पूरा करना चाहिए नहीं तो पितर अतृप्त ही वापस लौट जाते हैं.

इसे भी पढें- Pitru Paksha 2021: जानिए 'पितृ विसर्जन अमावस्या' का महत्व, किस तरह पूजन विधि से दें पितरों को विदाई

वाराणसी: पितृ पक्ष का पखवारा 15 दिनों तक रहता है और अब पितृ विसर्जन का समय भी नजदीक आ गया है. पितृ विसर्जन वह महत्वपूर्ण क्रिया है जो 15 दिनों तक पितरों की सेवा आराधना किए जाने के बाद पूर्ण करना अति आवश्यक माना जाता है. इस बार पितृ अमावस्या या पितृ विसर्जन बुधवार 6 अक्टूबर को मान्य हैं. यह विशेष दिन कई मामले में महत्वपूर्ण माना जाता है. पितरों को विदा करने के अलावा जिन लोगों की मृत्यु तिथि अज्ञात होती है. उनका श्राद्ध कर्म व तर्पण भी इसी अंतिम दिन पूर्ण किया जाता है.

शाम को इतने बजे तक अमावस्या

इस बारे में ज्योतिष आचार्य श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के पूर्व सदस्य पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि बुधवार को अमावस्या तिथि शाम 5:11 तक है. पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पितर लोग वर्ष भर प्रसन्न रहते हैं. पितृ पक्ष में श्राद्ध तो मुख्य तिथियों को ही होते हैं, किंतु तर्पण प्रतिदिन किया जाता है. देवताओं तथा ऋषियों को जल देने के अनंतर पितरों को जल देकर तृप्त किया जाता है. यद्यपि प्रत्येक अमावस्या पितरों की पुण्यतिथि है, तथापि आश्विन की अमावस्या पितरों के लिए परम फलदाई है.

ज्योतिषाचार्य पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि आश्विन मास की अमावस्या तिथि पितृपक्ष के इस पखवारे का सबसे महत्वपूर्ण दिन मानी जाती है, क्योंकि यह वह दिन होता है जब अज्ञात तिथि के श्राद्ध तर्पण कराए जाते हैं और जो भी लोग पूरे पितृपक्ष पखवारे में अपने पितरों का श्राद्ध और नियमित तर्पण करते हैं उनको अंतिम दिन ब्राह्मण भोज कराने के साथ ही घर के ईशान कोण में बैठकर गाय के घी से दीपक बनाकर उसे जलाने के बाद तर्पण इत्यादि की प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए.

शाम को करें पितरों की विदाई

ज्योतिषाचार्य पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि सुबह से लेकर दोपहर तक तर्पण व ब्राह्मण भोज इत्यादि की प्रक्रिया अपनाने के बाद शाम को सूर्यास्त के समय घर के बाहर दहलीज पर दीपक, एक पात्र में थोड़ा सा पानी, अन्न और एक छोटी सी छड़ी रखकर उस पर माला-फूल अर्पित करने के बाद दीपक और धूप दिखाकर पितरों को विदाई दी जाती है. यह प्रक्रिया अति अनिवार्य होती है. क्योंकि जब पितर 16 दिनों तक आपके घर में रहे हैं और उसके बाद उनको उनके लोक में वापस भेजना है तो उन्हें तृप्त करना अनिवार्य होता है. ब्राह्मण भोजन कराने के बाद शाम को विदाई की यह प्रक्रिया पितरों को उनके लोग तक जाने में आसानी उत्पन्न करती है और पितर आशीर्वाद भी प्रदान करते हैं जिससे जीवन की सभी कठिनाइयां तो खत्म होती हैं. साथ ही परिवार में धन समृद्धि का भी आगमन होता है. इसलिए पितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध तर्पण व पितृ विसर्जन की प्रक्रिया को जरूर पूरा करना चाहिए नहीं तो पितर अतृप्त ही वापस लौट जाते हैं.

इसे भी पढें- Pitru Paksha 2021: जानिए 'पितृ विसर्जन अमावस्या' का महत्व, किस तरह पूजन विधि से दें पितरों को विदाई

Last Updated : Oct 6, 2021, 8:35 AM IST
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