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वाराणसी: पीएम के संसदीय क्षेत्र में आज भी खुले में शौच के लिए जाने को मजबूर हैं लोग - defecation in the open

ओडीएफ घोषित होने के बावजूद पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के चौबेपुर के शियो गांव में आज भी लोग खुले में शौच करने जाते हैं. यह साबित करने के लिए काफी है कि खुले में शौच मुक्त अभियान के दावा केवल हवा-हवाई है.

खुले में शौच
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Published : Feb 27, 2019, 1:27 PM IST

वाराणसी: 2014 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो प्रधानमंत्री बनने के साथ ही नरेंद्र मोदी ने देश में स्वच्छता की अलख जगाने का काम शुरू किया. स्वच्छ भारत मिशन के तहत एक के बाद एक कई योजनाएं लागू की गई और दावा किया गया कि प्रदेश के सभी जिले ओडीएफ हो गए हैं. इस लिस्ट में पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. जिले में आज भी लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं.

ओडीएफ घोषित होने के बावजूद वाराणसी में खुले में शौच करने जाते हैं लोग.

पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के 760 ग्राम पंचायतों और 1332 राजस्व गांव की लिस्ट में सभी ओडीएफ यानी खुले में शौच मुक्त घोषित हो चुके हैं. सरकारी कागजों में खुले में शौच मुक्त गांव घोषित किए जाने के लिस्ट में चौबेपुर का शियो गांव भी शामिल है, लेकिन यह गांव सिर्फ कागजों परओडीएफ है हकीकत में नहीं. इस गांव के निवासी आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं.

शियो गांव निवासी मुन्नालाल का कहना है कि अधिकारियों में और प्रधान के ऑफिस का चक्कर काट कर थक गया, लेकिन मुझे 12000 रुपए नहीं मिले और घर में बहू बेटियां और सभी लोगों को लगातार खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है. इसलिए खुद के पैसे से ही शौचालय बनवाने का काम कर रहा हूं. गांव की रहने वाली शकुंतला का कहना है कि घर में महिलाएं हैं, बेटियां हैं पूरे गांव में बहुत से लोग ऐसे हैं जो आज भी खेतों में शौच के लिए जाते हैं.
शौचालय न मिलने की वजह से शकुंतला और उनके परिवार के सदस्य भी आज भी शौच के लिए खुले में जाने के लिए मजबूर हैं. जो यह साबित करने के लिए काफी है कि खुले में शौच मुक्त अभियान के दावा केवल हवा-हवाई है.

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वहीं इस पर जिला पंचायत राज अधिकारी शाश्वत आनंद सिंह का कहना है कि 25 फरवरी 2019 तक वाराणसी में 2 लाख से अधिक शौचालयों के निर्माण के टारगेट को 100 प्रतिशत प्राप्त कर लिया गया है. इसके बाद नए सर्वे में 49 हजार परिवारों को चिन्हित किया है, जिसमें 12 प्रतिशत का शौचालय निर्माण करवा लिया है. उनका कहना है कि खुले में शौच मुक्त अभियान को दो हिस्सों में बांटा गया है. इसमें पहला हिस्सा शौचालय निर्माण का है और दूसरा लोगों की आदतों में सुधार के लिए है.

वाराणसी: 2014 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो प्रधानमंत्री बनने के साथ ही नरेंद्र मोदी ने देश में स्वच्छता की अलख जगाने का काम शुरू किया. स्वच्छ भारत मिशन के तहत एक के बाद एक कई योजनाएं लागू की गई और दावा किया गया कि प्रदेश के सभी जिले ओडीएफ हो गए हैं. इस लिस्ट में पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. जिले में आज भी लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं.

ओडीएफ घोषित होने के बावजूद वाराणसी में खुले में शौच करने जाते हैं लोग.

पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के 760 ग्राम पंचायतों और 1332 राजस्व गांव की लिस्ट में सभी ओडीएफ यानी खुले में शौच मुक्त घोषित हो चुके हैं. सरकारी कागजों में खुले में शौच मुक्त गांव घोषित किए जाने के लिस्ट में चौबेपुर का शियो गांव भी शामिल है, लेकिन यह गांव सिर्फ कागजों परओडीएफ है हकीकत में नहीं. इस गांव के निवासी आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं.

शियो गांव निवासी मुन्नालाल का कहना है कि अधिकारियों में और प्रधान के ऑफिस का चक्कर काट कर थक गया, लेकिन मुझे 12000 रुपए नहीं मिले और घर में बहू बेटियां और सभी लोगों को लगातार खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है. इसलिए खुद के पैसे से ही शौचालय बनवाने का काम कर रहा हूं. गांव की रहने वाली शकुंतला का कहना है कि घर में महिलाएं हैं, बेटियां हैं पूरे गांव में बहुत से लोग ऐसे हैं जो आज भी खेतों में शौच के लिए जाते हैं.
शौचालय न मिलने की वजह से शकुंतला और उनके परिवार के सदस्य भी आज भी शौच के लिए खुले में जाने के लिए मजबूर हैं. जो यह साबित करने के लिए काफी है कि खुले में शौच मुक्त अभियान के दावा केवल हवा-हवाई है.

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वहीं इस पर जिला पंचायत राज अधिकारी शाश्वत आनंद सिंह का कहना है कि 25 फरवरी 2019 तक वाराणसी में 2 लाख से अधिक शौचालयों के निर्माण के टारगेट को 100 प्रतिशत प्राप्त कर लिया गया है. इसके बाद नए सर्वे में 49 हजार परिवारों को चिन्हित किया है, जिसमें 12 प्रतिशत का शौचालय निर्माण करवा लिया है. उनका कहना है कि खुले में शौच मुक्त अभियान को दो हिस्सों में बांटा गया है. इसमें पहला हिस्सा शौचालय निर्माण का है और दूसरा लोगों की आदतों में सुधार के लिए है.

Intro:स्पेशल स्टोरी:

एंकर- वाराणसी: 2014 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो प्रधानमंत्री बनने के साथी नरेंद्र मोदी ने देश में स्वच्छता की अलख जगाने का काम शुरू किया स्वच्छ भारत मिशन के तहत एक के बाद एक कई योजनाएं लागू की गई जिनमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में साफ सफाई के साथ लोगों को खुले में शौच से जाने से रोकने के लिए उपाय शुरू किए गए सरकार ने इस टारगेट को ध्यान में रखकर काम किया कि देशभर के ग्रामीण इलाकों में लोग खेतों में खुले में ना जाकर बल्कि शौचालय का इस्तेमाल करें इसके लिए हर घर के बाहर लोगों को उनका पर्सनल टॉयलेट देने के उद्देश्य से सरकार ने 12000 रुपये की आर्थिक मदद भी देने की शुरुआत की दावा हुआ कि यूपी के 75 से ज्यादा जिलों को खुले में शौच मुक्त डिक्लेअर कर दिया गया इस लिस्ट में पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी है प्रशासनिक दावों पर यदि गौर करें तो पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के 760 ग्राम पंचायतों और 1332 राजस्व गांव की लिस्ट में सभी ओडीएफ यानी खुले में शौच मुक्त घोषित हो चुके हैं लेकिन जब हमने एक गांव में जाकर इसकी सच्चाई जाने तो यह साफ हो गया कि आज भी चीजें से सरकारी कागजों में ही ठीक-ठाक संचालित हो रही है क्योंकि जिस गांव में ईटीवी ने खुले में शौच मुक्त अभियान का रियलिटी चेक किया उस गांव के लोग आज भी खेतों में जाने पर मजबूर हैं जानिए पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में खुले में शौच मुक्त अभियान की जमीनी हकीकत.

ओपनिंग पीटीसी- गोपाल मिश्र


Body:वीओ-01 सरकारी कागजों में खुले में शौच मुक्त गांव डिक्लेअर किए जाने के लिस्ट में चौबेपुर का शियो गांव भी शामिल है, इसलिए हमने इस गांव में पहुंचकर इस अभियान की सच्चाई जानने की कोशिश की लगभग 10000 से ज्यादा आबादी वाले इस गांव में हर घर के बाहर शौचालय देखकर हमें यह एहसास हुआ कि निश्चित तौर पर इस पूरे गांव में अब कोई खुले में शौच के लिए तो नहीं जाता होगा लेकिन जब हमने गांव के लोगों से बातचीत शुरू की तो इस पूरे अभियान की पोल खुल गई गांव के रहने वाले मुन्नालाल अपने घर के बाहर एक शौचालय तैयार कर रहे थे वह भी अपने हाथों से हमने जब उनसे इस बाबत पूछा कि सरकारी पैसे से शौचालय बनवा रहे हैं तो उनका जवाब था बिल्कुल नहीं या शौचालय में अपने पैसे से बनवा रहा हूं अधिकारियों में और प्रधान के ऑफिस का चक्कर काट कर थक गया लेकिन मुझे ₹12000 नहीं मिले और घर में बहू बेटियां और सभी लोगों को लगातार खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है इसलिए प्रयास करके किसी तरह पाई पाई जोड़ कर शौचालय बनवाने का काम कर रहा हूं इस बात से गांव के लोग भी बेहद नाराज हैं गांव की रहने वाली शकुंतला का कहना है कि घर में महिलाएं हैं बेटियां हैं हुए हैं पूरे गांव में बहुत से लोग ऐसे हैं जो आज भी खेतों में जाते हैं शकुंतला और उनके परिवार के सदस्य भी आज भी सोच के लिए खुले में जाने पर मजबूर हैं इस गांव के लोगों की यह बातें यह साफ कर रही हैं कि सरकारी आंकड़ों में भले ही 90 वार्ड और 760 ग्राम पंचायतें ओडीएफ घोषित हो गई हो लेकिन इन दावों से परे लोग अब भी शौचालय के अभाव में खेतों में जाने पर मजबूर हैं जो यह साफ कर रहा है कि पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ही खुले में शौच मुक्त अभियान के दावों की हकीकत हवा हवाई है.

मिड पीटीसी- गोपाल मिश्र

बाईट- मुन्ना लाल, ग्रामीण
बाईट- शकुंतला देवी, ग्रामीण


Conclusion:वीओ-02 हालांकि जब खुले में शौच मुक्त अभियान की हकीकत जानने के बाद हमने अधिकारियों से इस बारे में जानकारी हासिल की तो उन्होंने आंकड़ों के माध्यम से हमें यह समझाने की कोशिश की कि 25 फरवरी 2019 तक वाराणसी में 2,21,852 शौचालयों के निर्माण के टारगेट को 100% प्राप्त कर लिया गया है जियो टैगिंग का लक्ष्य 2,21,138 का है जिसमें से 2,08,422 के टारगेट को पाकर 94% से ज्यादा का काम पूरा किया जा चुका है. इतना ही नहीं 760 ओडीएफ ग्राम पंचायतों की संख्या और 1332 ओडीएफ राजस्व गांव की संख्या के साथ 99.77% ग्रामीण क्षेत्रों को ओडीएफ वेरीफाइड कर खुले में शौच मुक्त क्षेत्र घोषित किया जा चुका है. इस बारे में जिला पंचायत राज अधिकारी शाश्वत आनंद सिंह का कहना है कि खुले में शौच मुक्त अभियान को दो हिस्सों में बांटा गया है. इसमें पहला हिस्सा शौचालय निर्माण का है और दूसरा लोगों की आदतों में सुधार के लिए किए जा रहे प्रयास का शौचालय निर्माण का कार्य लगभग पूरा हो चुका है और लोगों की आदतों में सुधार के लिए जिले में 821 सुरक्षा ग्रहों को तैनात किया गया है जिनमें से 555 को विशेष ट्रेनिंग दी गई है और 4992 राज्य में स्त्रियों की मदद से लगातार शौचालयों का निर्माण भी कराया जा रहा है. कुल मिलाकर कहा जाए तो प्रशासनिक आंकड़ों में खुले में शौच मुक्त अभियान पूरी तरह से सफल है लेकिन इसकी हकीकत क्या है यह तो ग्रामीण क्षेत्रों में जाने के बाद ही साफ हो चुका है.

बाईट- शाश्वत आनंद सिंह, जिला पंचायत राज अधिकारी
वाराणसी

क्लोजिंग पीटीसी- गोपाल मिश्र
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