वाराणसी: 2014 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो प्रधानमंत्री बनने के साथ ही नरेंद्र मोदी ने देश में स्वच्छता की अलख जगाने का काम शुरू किया. स्वच्छ भारत मिशन के तहत एक के बाद एक कई योजनाएं लागू की गई और दावा किया गया कि प्रदेश के सभी जिले ओडीएफ हो गए हैं. इस लिस्ट में पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. जिले में आज भी लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं.
पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के 760 ग्राम पंचायतों और 1332 राजस्व गांव की लिस्ट में सभी ओडीएफ यानी खुले में शौच मुक्त घोषित हो चुके हैं. सरकारी कागजों में खुले में शौच मुक्त गांव घोषित किए जाने के लिस्ट में चौबेपुर का शियो गांव भी शामिल है, लेकिन यह गांव सिर्फ कागजों परओडीएफ है हकीकत में नहीं. इस गांव के निवासी आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं.
शियो गांव निवासी मुन्नालाल का कहना है कि अधिकारियों में और प्रधान के ऑफिस का चक्कर काट कर थक गया, लेकिन मुझे 12000 रुपए नहीं मिले और घर में बहू बेटियां और सभी लोगों को लगातार खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है. इसलिए खुद के पैसे से ही शौचालय बनवाने का काम कर रहा हूं. गांव की रहने वाली शकुंतला का कहना है कि घर में महिलाएं हैं, बेटियां हैं पूरे गांव में बहुत से लोग ऐसे हैं जो आज भी खेतों में शौच के लिए जाते हैं.
शौचालय न मिलने की वजह से शकुंतला और उनके परिवार के सदस्य भी आज भी शौच के लिए खुले में जाने के लिए मजबूर हैं. जो यह साबित करने के लिए काफी है कि खुले में शौच मुक्त अभियान के दावा केवल हवा-हवाई है.
वहीं इस पर जिला पंचायत राज अधिकारी शाश्वत आनंद सिंह का कहना है कि 25 फरवरी 2019 तक वाराणसी में 2 लाख से अधिक शौचालयों के निर्माण के टारगेट को 100 प्रतिशत प्राप्त कर लिया गया है. इसके बाद नए सर्वे में 49 हजार परिवारों को चिन्हित किया है, जिसमें 12 प्रतिशत का शौचालय निर्माण करवा लिया है. उनका कहना है कि खुले में शौच मुक्त अभियान को दो हिस्सों में बांटा गया है. इसमें पहला हिस्सा शौचालय निर्माण का है और दूसरा लोगों की आदतों में सुधार के लिए है.